मिर्जा खोंच के एगो भोजपुरी व्यंग्य “हमहुँ सम्मानित होखब”
कविता में हम छींकब सगरो कविता में हम खोंखब
लाग रहल बा तब जाके हमहूँ सम्मानित होखब
हम का जानी साहित्य ह का, का होखेला ई भाषा
बाकिर जे लिख के देदेना उ बन जाला परिभाषा
इन कर उनकर माल खपा के जब अपना के जोखब
लाग रहल बा तब जाके हमहूँ सम्मानित होखब
धरम के नाम पर दंगा बा, भगवन ई अउरो होखे
एहि में नेता बन जाएब काहे जाईं रोके
जेतना खून बही उहवाँ अपना कुरता में सोखब
लाग रहल बा तब जाके हमहूँ सम्मानित होखब
संतोष कुमार