शैलजा कुमारी श्रीवास्तव जी के भोजपुरी में लिखल कथा कादम्बरी

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एह ग्रन्थ के विदुषी लेखिका श्रीमती शैलजा कुमारी श्रीवास्तव ३१ दिसंबर १९८९ के दिवंगत हो गइली। ओहि साल, उनका निधन से कुछ महीना पाहिले उनकर भोजपुरी निबंध संग्रह ‘चिंतन कुसुम’ प्रकाशित भइल रहे। आगे चलके १९९० में, उनका ‘चिंतन कुसुम’ पर अखिल भारतीय साहित्य सम्मेलन का ओर से उनका के ‘चित्रलेखा पुरस्कार’ मरणोपरांत अर्पित कइल गइल रहे।

१९८५ में सरकारी सेवा से निवृति के काफी पाहिले शैलजा जी प्रस्तुत पुस्तक ‘कदंबरी’ के लेखन पूरा कर चुकल रहली। बाकिर उनका जीवन काल में त एकर प्रकाशन नाहिएँ हो सकल, उनका निधन के बादो बारह बारिस बीत गइल त अब एकरा प्रकाशन के संजोग जुटल ह। शैलजाजी के पतिदेव श्री महेंद्र कुमार जी उनका पाण्डुलिपियान के जोगा के रखले बानी, आ उहाँ के ई आंतरिक अभिलाषा बा की शैलजाजी के कृतियन के क्रम क्रम से पुस्तकाकार प्रकाशित करा दिहल जाये। ओकर शुरुआत एही ‘कादंबरी’ से हो रहल बा, जे रउआ हाथ में बा। शैलजाजी के अधययन के क्षेत्र व्यापक आ बहुवणी रहे, बाकिर संस्कृत साहित्य से उनका विशेष लगाव रहे। वाल्मीकि, कालिदास, हाल, माघ, शूद्रक, श्रीहर्ष, भवभूति, वाणभट्ट, जयदेव, भोज, मुरारी, विल्हण आ पंडितराज जग्गनाथ के गहन अध्ययन कइले रहली।

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