3० गो जोगीरा | त बोलीं जोगीरा सा रा रा रा….

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जोगीरा होरी के एगो अलगे कनछी ह। एकर एगो अलग रंग-लालित्य बा । गवनई का बीच में फोरन लेखा, एह नगीनन के चमक सहजे मन लोभि लेला । एकरा परंपरा का बारे  में सोध करेवाला लोगन आ विदवानन के कहनाम बा कि हमनी किहाँ नाथन आ सीधन के जबन परंपरा पावल जाला आ जेकरा साहित्य का बारे में हिन्दी के राहुल जी आ हजारी प्रसाद द्विवेदी से आज ले कतूना ना विद्ववान लिखले बा ओही काल से एकरो चलन बा । पहिले एकर रूप दोसरा तरह के रहे। कबीर पंथी निरगुने मत में एगो अलग सान के साधु रहेन । एह लोगन का केहू से पटरी ना खाय । एही दरम्यान ई लोगन के भिड़न्त नाथन आ सिधन से होत रहे। पहिले से शास्त्रार्थ के परंपरा न वैदिको मत में पावल जाला, एह से नया तरह के मत वाला लोगन के आपस में जवाब-सवाल करे के परत रहे। इहे कारन वा कि जोगीरा सएली में जवाब-सवाल के बहते चलन बा। एगो दोसरा के थाह पावे, तरक-वितरक मेवात काटे या आपन मत मनवावे खातिर ई सएली के जनम दिहल । एह से अपने देखब, कि पहले एगो सवाल दागना त दोलर ओकर जबाव देता । बहुत सवालो धरम से जुडल मिलऽता ।

एकरो में होरी लेखा सुमिरन, सिव, राम, कृस्न भा निरगुन भाव से जुड़ल भा एतिहासिक आ लोक जीवनो के बिसय बना के आपन भीतर के भावन के सब्द दिहल गइल वा । एह तरे तरह-तरह के सएली में लोकजन आपन भड़ास निकालऽता । बेवस्था आ जीवन के कटु अनुभव प अपने के बहुते जोगीरा मिली। एह सभ के नमुना नीचे दिहल जाता

कवनो-कवनो अनुप्रास-उपमा का साथे कतुना गम्हीर भाव से भरल जोगीरा बा । संख्या (६,११-१२,) में पाखंडन प सीधे चोट कइल गइल बा, जवन कबीर  के मत आ सोभाव से मिलता। समाज में वेआपल ँच-नीच के भाव पर विरोध फूटता । सवाल-जवाब सएली से अपने ई बात जरूर बुझात होई कि गंवई लोगन में पउरानिक भा दोसर-दोसर जानकारी, अनुभव के परीच्छा लेवे खातिर एकर उपयोग भइल-एह दिसाई लोक-सोभाव के जाने-परखे के दुआर खुलऽता ।

कुँवर सिंघ के बिसय बना के कहल जोगीरा में जवन आखिरी डॉढ़ि बा, ओकरा प बेल मी। लोगन के उछाह आ बिजय-भाव के उपरवाँछल  सदेहे बुझा जाता। करो कुँवर को ठीक के आदेस आ भासा के टोन के लाट के सोभाव-सनमति से बइठाई तब एकर महिमा खुल जाता। समाज आ अड़ोस-पड़ोस में फइलल उलझन एक से एक चोटार वेअंग जोगीड़न में भरल वा, . देखि के अचरज होता । वाकिर आगे चल के एह जोगिड़न में फटहपन आ फूहड़पन आवत गइल । ओह जोगिड़न के एगो आपन रंग आ बेधाकरन वा । ओकरो लोगन के रूचि के पता चलेला । आपन हुलास के परगट करे के ढंग खुलेला । बाकिर मरजाद के धेआन में राखत ओह गीतन के अपना मगरह से एह संकलन में ले आवे के हिम्मत ना परल । अब नमूना देखीं –

पुरान भोजपुरी संस्कृति के जाने खातिर एकमातर सभसे उत्तम साहित्य लोकोक्ति आ जोगीड़े बाड़न स । ई भोजपुरी संस्कृति के साफ झलकत दरपन बाड़े स।

    1. जोगीरा सा रा रा रा
      प्रथम सुमिरो सरस्वती की, दूजे दुरगा माय ।
      फागुन में जोगीरा गाँ कण्ठ विराजो आय ।
      जो कोई दुस्मन सम्मुख पावे लो तू सिर उतार ।।
      फिर जोगीरा सा रा रा रा ……..
    2. सवाल :- कवन देस को चलें भवानी,
      कवन देस को जाती ।
      कवना हाँथे खप्पड़ ले के।
      कवना हाँथे खाती ॥
      जोगीरा सा रा रा रा ……..
      जबाब :- पुरुब देस को चले भवानी,
      पच्छिम देस को जाती ।
      बावाँ हाँथ में खप्पड़ ले के,
      दाहिना हाँथे खाती ।।
      जोगीरा सा रा रा रा ……..
    3. जोगीरा सा रा रा रा
      झाल बाजे डम्फ बाजे, बाजे मिरदंग ।
      सिवसंकर खेले होली पारबती के संग ।।
      अबीर गुलाल डारे, घोर घोर के रंग ।
      संकरजी के जटा-जट से वहती माता गंग ।।
      फिर देखे चलो जा सा रा रा रा……
    4. जोगीरा सा रा रा रा
      प्रथम सुमिरो सरस्वती की, दूजे दुरगा माय ।
      फागुन में जोगीरा गाँ कण्ठ विराजो आय ।
      जो कोई दुस्मन सम्मुख पावे लो तू सिर उतार ।।
      फिर जोगीरा सा रा रा रा ……..
    5. सवाल :- कवन देस को चलें भवानी,
      कवन देस को जाती ।
      कवना हाँथे खप्पड़ ले के।
      कवना हाँथे खाती ॥
      जोगीरा सा रा रा रा ……..
      जबाब :- पुरुब देस को चले भवानी,
      पच्छिम देस को जाती ।
      बावाँ हाँथ में खप्पड़ ले के,
      दाहिना हाँथे खाती ।।
      जोगीरा सा रा रा रा ……..
    6. जोगीरा सा रा रा रा
      झाल बाजे डम्फ बाजे, बाजे मिरदंग ।
      सिवसंकर खेले होली पारबती के संग ।।
      अबीर गुलाल डारे, घोर घोर के रंग ।
      संकरजी के जटा-जट से वहती माता गंग ।।
      फिर देखे चलो जा सा रा रा रा……
    7. सवाल : केकर बेटा राज भरथरी, कह देना त नाम जी।
      कवन गुरु के चेला बन के भजते हरि का नाम जी ।।
      कै बरिस की उमिर भरथरी जोग रमाता तप में जी।
      कवन देस के रानी ब्याहे, का पछताये मन में जी ।।
      फिर देख चली जा सा रा रा राजवाब :-चंद्रसेन राजा के बेटा, जाहिर जग में नाम जी।
      गुरु गोरख के चेला होके, भटकत फिरे तमाम जी ।।
      तेरह बरस की उमिर भइआ, खाक रमाए तन में जी।
      सिंघलदीप की रानी ब्याहे जोग, करन पछताय जी ।।
      फिर देख चली जा सा रा रा रा
    8. अरर र र र र र र र ……..कबीरा ।
      होरी होरी का कहो,
      हरि होरी का मूल,
      जिस होरी में हरि नहीं,
      उस होरी में धूल ।
    9. होरी होरी का बको,
      होरी में हरि बोल ।
      बिना हरि होरि हार,
      तुम्हारा है गदहे का मोल ।
      भला होरी में हरि को भुला नहीं ।।
    10. होरी का यह स्वाग बनायो,
      सुनो मित्र होरि हार।
      तुम तो बनी रसीली राधे,
      हम तो नंदकुमार
      भला होरी का खेल खेलो रसिआ ।
    11. जिस होरी में हुरमत भागे,
      लागे कुल में दाग ।
      होरी जहर कटोरी है,
      वह उस होरी में आग।
      भला लगवाओ होरी के रसिया ।।
    12. हरि हीरा के भुला रहे हो,
      पी होरी में भंग ।
      हरि न वोले, होरी बोले,
      हो करके बदरंग ।
      भला मृदंग बजा के रे रसिआ
    13. काम-क्रोध का कीचड़ धोकर,
      ग्यान-गुलाल लगाव ।
      पकड़ो फिचुकारी परेम के,
      राम-नाम गुन गाव ।
      भला होरी यह है सच्ची होरी ।।
    14. बन के बीर, अवीर उडायो,
      किरच कबीर झनकार ।
      दुष्टों के मुख लाल करो
      भाई, फिचुकारी को मार।
      भला-गाली का गोला चला-चला ।।
    15. चढ़ी पियाली कल्लाली की,
      गाली बको गँवार ।
      कीचड़ नाली का पोतो,
      तन ताली पीट हजार।
      भला घरवाली झखै झरोखे पर ।।
    16. जिस बकरी का दूध पिओ तुम,
      वह माता भई तोर । उ
      स बकरी पर छुरा चलावो,
      घोर पाप है घोर ।
      भला देवी को मत बदनाम करो।
    17. उत रंग की फिचकारी चलती,
      इत आँसू की धार ।
      उत पूरी कचौरी,
      इत है खाली पेट उघार ।
      लगा दो आग, भला इस होली में ।।
    18. घर में बाबू मुरगो खाते,
      बाहर कंठी माल ।
      हमको तो ब्रह्मचर्य सिखावे,
      खुद रखनी दल्लाल ।
      भला भागो अस लेक्चर बाजों से ।।
    19. भंगी, धोबन के मुख चूमे,
      पंडा संड-मुसन्ड ।
      हमको हय कुजाती धकिआवे ,
      घरम है या पाखंड़ ।
      भला कहो वे, धूल उड़ाते धरमों को ।।
    20. सवाल : कवना काठ के बने खड़ऊवाँ,
      कवन इआर बनाया।
      कवन गुरु के सेवा किया,
      कवन खड़ऊवाँ पाया ।।
      बोलो जोगीरा सा रा रा रा….जवाब : चनन काठ के बने खड़ँवा,
      बढ़ई इआर बनाया।
      मैं ही गुरु के सेवा किया,
      मैं खडऊँचा पाया ।।
      बोलो जोगीरा सा रा रा रा……….
    21. झाल बाजे, डमरू बाजे, ढोलक बाजे घीरा ।
      कृस्नजी के मुरली बाजे, जमुना के तीरा ।
      ठुमुक-ठुमुक नाच रही रधिकाजी प्यारी ।
      घोर-घोर के रंग डारे कृस्न बनवारी ।
      फिर देख चली जा सा रा रा रा……..
    22. सवाल : केकर बेटा राजा दसरथ, कवन पुरी धाम जी।
      को नारी से ब्याह किये बतला देना तुम नाम जी ।।
      कवन-कवन के गरभ से जनमें भ्राता चारू राम जी ।
      कवन रिसी जी जग्य कराया कइसे जनमें राम जी ।
      फिर देख चली जा सा रा रा रा ……जवाब : राजा अज के बेटा दसरथ अवधपुरी धाम जी।
      राम के माता कोसिला रानी भरत मातु केकई ।
      सुमित्रा के लखन जनमें सत्रुधन छोटा भाय जी ।
      स्रिगी रिसी जग्य कराये, अगिन देव खीर जी ।
      उहे खीर मातु सभ खाये पूत दियो जनमाई ॥
      फिर देख चली जा सा रा रा रा…..
    23. सवाल : कवन देस के राजा अच्छा,
      कवन देस के रानी ।
      कवन देस के कपड़ा अच्छा,
      कवन देस के पानी ।।जवाब : राम-राज के राजा अच्छा,
      जनकपुरी के रानी ।
      पच्छिम देस के कपड़ा अच्छा,
      उत्तर देस के पानी ।।
    24. सवाल : के गोकुल में रास रचउलस,
      के अहिल्या के तारा ।
      लंकापुर के मेघनाद के,
      काहे लछिमन मारा ।।जवाब : सिरी किसुनजी रास रचउलीं
      राम अहिल्या तारा ।
      ब्रह्मा जी के नजर फिरल तब,
      मेघहि लछिमन मारा ॥
    25. सवाल : कवन जुग में धरती डोली,
      कवन जग असमान ।
      कवन जुग में सीता हरी,
      कहाँ रहे भगवान ।जवाब : कलजुग में ही धरती डोली,
      द्वापर में असमान ।
      त्रेता में सीता हरी,
      मृग मारि रहे भगवान ॥
      जोगीरा सा रा रा …….
    26. कबीरा सा रा रा रा. …
      राम लखन भरथ सत्रुहन हनुमान रनधीरा,
      इन पाचों में हनुमाने रन धीरा।
      एह पाचों के सुमिर के हो,
      पंचो पाछे से बोला कबीरा ।।
      कबीरा सा रा रा रा….
    27. सवाल : कवन नाथ के टीका सोभे,
      कवन नाथ के माला ।
      कवन नाथ के गद्दी सोभे,
      केकर मुँहवा काला ।।
      संगी देख-देख पर देख जोगीरा सा रा रा रा …..जवाब : रामचंद के टीका सोभे,
      सीताजी के माला।
      विभीसन के गद्दी सोभे,
      रावन के मुँह काला ॥
      संगी देख-देख पर देख कबीरा सा रा रा रा रा…
    28. भुलाई जा सभे पीर, बाजे दे मजीर ।
      लगाई दे अबीर, गाइ दे कबीर ॥
      गूजई दे चौपाल, होई दे चौताल ।
      जोगीरा सा रा रा रा……
    29. जोगीरा जोड़ बताना,
      नहीं तो घर चले जाना ।।
      जोरू से सीख के आना,
      जोगीरा हम से कहना ।।
      अजी हम से कहना सा रा रा रा रा … … … ..
    30. बालू के भीत उठाव,
      पत्थल के दरवाजा ।
      जिस पर मुनिआ रानी,
      माँग सँवारे-निरखे फिरंगी राजा।
      जोगीरा सा रा रा रा … … …
    31. रामनगर रामनगर बुधु बांका,
      चीलम में दाग दियो चिलकत भागा
      जोगीरा सा रा रा … … …
    32. नाटे-नाटे जात रहा पीछे से ललकारा,
      एक कउड़ी के चिलम भराया, ठीक नजारा मारा।
      फिर देख पर देख जोगीरा सा रा रा रा …..
    33. छर र र र कबीर पंचों सुन लो मोर कबीर ।
      जोलहिन पहिरे कान में वारी,
      नाँव बतावे तरकी ।
      रोज मिआइन चरखा काते,
      मिआ चलावे ढरकी ।।
      चला सूत उठावा–भरा नरी हो।
      जोगीरा सा रा रा रा…….
    34. हाली-हाली मार ताली,
      मोरा जोगीरा जाता खाली ।
      मजे से कहो जोगीरा सा रा रा रा ……
    35. उड़ जा, उड़ जा कागज की पतंग उड़ि जा,
      आकास में जाके खिल जा,
      पेंच लते त कटि जा, लड़िकन धरे त फट जा ।।
    36. जोगीरा खेलs राजा,
      जोगीरा बोलs राजा।
      मस्त बना जा सा रा रा रा
      जोगीरा  सा रा रा रा . …
    37. सा रा रा रा…..
      खेलाड़ी सा रा रा रा…
      उब महागुब तेरा खिड़की पर दूब,
      हरि चड़ते मेरा,
      तू राजा के बेटी मैं खूब नबाबा ।।
    38. तूँ चम्पे की कलिआ,
      मैं मस्त गुलाबा ।
      तू जंगल की हरनी,
      मैं हरन बेचारा ।।
      तू चकई हम चकवा,
      गुलेल  करीले
      गुलेल करीं जाके,
      दरीआव में दहीले ।।
      दरीआव के लहर लेके,
      ऊपर में उडिले ।
      ऊपर में लागल धाका,
      नीचा में गिराय बाचा ।।
      मौला के नाम साँचा,
      तोहरा के चाची,
      हमरा के कहे चाचा।
      फेर देख चलि जा सा रा…रा..रा…

बोल जोगीरा सा रा रा रा………

जोगीरा सा रा रा रा.........
जोगीरा सा रा रा रा………

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