विनय आनंद से सीधी बात में उन्होंने कहा की हाल ही में उन्होंने निर्णय लिया है की वे अब ऐसी फिल्मे करेंगे जिसके निर्माता निर्देशक फिल्म बनाने की छमता रखते हो. उन्होंने कहा की ” अब ऐसे निर्माताओ के साथ काम नहीं करूँगा जो शौकिया तौर पर फिल्मे बनाने आते हो. हाल ही में उन्होंने १० फिल्मे ठुकरा दी है क्यूंकि उनके फिल्म की कहानी कमज़ोर होने के साथ साथ डायरेक्टर व् निर्माता भी कमज़ोर थे जिन्हें फिल्म कम बनानी थी और फिल्मगिरी ज्यादा दिखानी थी. भोजपुरी सिनेमा किसी एक हीरो का, किसी एक डिस्ट्रीब्यूटर या एक फाईनंसर का मोहताज नहीं है. जिस दिन ओवरसीज का मार्किट खुल जाएगा उस दिन भोजपुरी सिनेमा भी एक बड़े सिनेमा इंडस्ट्री में गिना जाएगा. भोजपुरी फिल्मे भी १०० करोड़ का बिज़नस करने लगेंगी. अगर हैदराबाद और तमिल की फिल्मे इतना बिज़नस कर सकती है तो भोजपुरी फिल्मे भी कर सकती है कुछ भी नामुमकिन नहीं है, जिस दिन काम्प्युतारीसेद टिकेट बिहार, यु.पी के थेतरो में आ जाएगा उस दिन बिज़नस बिहार और यु.पी में बढ़ जाएगा. जिस दिन ओवरसीज का मार्किट खुल गया उस दिन ये संभव है. अब वो समय आ गया है किं हम रावण के हाथ से तलवार छीने और राम को ढूंढ़कर तलवार उनके हाथो में दे. भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री भारत के साथ साथ पुरे विश्व में अपनी एक अलग पहचान बनाएगी”