प्रकाश कुमार : बिहार के शहर भागलपुर से बड़े ख्वाब लेकर मायानगरी मुंबई आयी स्मृति सिन्हा के फिल्मी करियर को एक नयी दिशा मिल गयी है। सफलता उनके कदम चूम रही है। भो जपुरी में एक के बाद एक हिट फिल्में दे रही स्मृति सिन्हा का जादू इन दिनों भोजपुरिया दर्शकों पर खूब चल रहा है। स्मृ ति से बातचीत –
आपकी लगातार हिट फिल्मों का सफर जारी है। कैसा महसूस कर रही हैं?
इस मुकाम पर खुद को पाकर बहुत ही अच्छा लग रहा है। हर किसी की तमन्ना होती है कि उसके काम की तारीफ हो। यह सफलता केवल हमारी मेहनत का नतीजा नहीं है बल्कि इस सफलता के पीछे कई लोगों का हाथ है। जैसे हमारी पूरी टीम की कड़ी लगन, दर्शकों का प्यार और भगवान का आशीर्वाद। बस, भगवान से मैं यही प्रार्थना करूंगी कि आगे भी इसी प्रकार उनका आशीर्वाद हमारी टीम को मिलता रहे।
आपकी जितनी भी फिल्में हिट हु ई, उसके नायक खेसारीलाल रहे हैं। इसका क्या फंडा है?
खेसारीलाल के साथ मेरी सभी फिल्म हिट हुई हैं। इसके पीछे क्या फंडा है, यह तो मैं नहीं जानती लेकिन ऐसा मेरी और खेसारीलाल की केमेस्ट्री कहें या दर्शकों का प्यार। खेसारीलाल के साथ मेरी और भी कई फिल्में आने वाली हैं।
आप अकसर फिल्मों में एक ही तरह के किरदार में नजर आती हैं। कुछ अलग करने की इच्छा नहीं होती है?
देखिए, इस बारे में तो इतना ही कहूंगी कि मैं कलाकार हूं। मुझे वही करना होगा जैसा हमें किरदार मिलेगा। रही बात कुछ अलग करने की तो मैं बिल्कुल हटकर कुछ करना चाहती हूं। लेकिन अभी भोजपुरिया दर्शक मुझे इसी इमेज में पसंद कर रहे हैं। इस कारण मैं चाहकर भी कुछ नहीं कर सकती। अगर आगे मौका मिला तो जरूर कुछ अलग करूंगी। फिलहाल तो इसी इमेज में बनी रहूंगी।
फिल्मों में नायिकाएं केवल लटके-झटके और रोमांटिक सीन तक ही सीमित रह जाती हैं!
मैं सिर्फ इतना कहूंगी कि हर किसी का फिल्मों में अपना अलग महत्व है। जहां नायक गुंडों से हाथापाई और नायिका से रोमांस करते नजर आते हैं, वही नायिकाओं का भी फिल्मों में अपना अलग अंदाज होता है रोमांटिक सीन और लटके-झटके से दर्शकों का दिल जीत लेने का। फिल्मों में सबका काम बंटा हुआ है इसलिए यह कहना मेरी नजर में उचित नहीं लगता है कि नायिकाएं केवल लटके-झटके और रोमांटिक सीन तक
सीमित हैं। जैसा दर्शक पसंद करते हैं वैसा हमें उनके सामने पेश किया जाता है। अपने लटके-झटके और रोमांटिक सीन के दम पर हम दर्शकों का दिल जीत लेते हैं।
कोई खास किरदार निभाना चाहती हैं?
जहां तक खास किरदार की बात है तो अब तक कई ऐसे खास किरदार कर चुकी हूं जो काफी चैलेंजिंग माने गये हैं। मैं आगे भी हर तरह के चैलेंजिंग किरदार निभाना चाहती हूं। एक कलाकार के लिए किरदार मायने नहीं रखते हैं। मायने रखती है उसकी अभिनय क्षमता, जो जीवं त रूप से परदे पर उतर सके।
आगे के बारे में क्या सोच रखा है?
अभी तो वर्तमान से ही फुर्सत नहीं मिल रही है। फिर आगे की सोचने की कहां फुर्सत है। अभी काम का बोझ कुछ ज्यादा है। रोज कहीं-न-कहीं फिल्म की शूटिंग रहती है। अभी तो वर्तमान को ही अच्छा से अच्छा बनाना है, तभी जाकर मेरा भविष्य खुद-ब-खुद संवरा हुआ मिलेगा।