भोजपुरी के बढ़िया वीडियो देखे खातिर आ हमनी के चैनल सब्सक्राइब करे खातिर क्लिक करीं।
Home आलेख भिखारी ठाकुर के वंशज

भिखारी ठाकुर के वंशज

0
भिखारी ठाकुर के वंशज
भिखारी ठाकुर के वंशज

भिखारी ठाकुर के वंशज : दलसिंगार ठाकुर के दो पुत्र हुए- भिखारी ठाकुर और बहोर ठाकुर. भिखारी के एक ही पुत्र हुए-शिलानाथ ठाकुर. भिखारी ठाकुर के बाद उनके पुत्र शिलानाथ ने ‘नाच मंडली’ चलायी. जिनकी परम्परा का निर्वाह उनके तीन पुत्रों ने भी किया, यानी भिखारी ठाकुर के खास पोते-राजेन्द्र ठाकुर, हीरालाल और दिनकर. वे सभी भिखारी ठाकुर की तरह तमाशा के साथ गीत भी खुद ही लिखते थे. दिनकर ठाकुर के लिखे गीत- ‘भोजपुरी के उमरिया आ लरिकाई’ और ‘मालिक जी महानमा ये लोगे जानेला जह्नमा ना’ आज भी मशहूर है।

राजेन्द्र ठाकुर के वंश नहीं चले. केवल दो लड़कियां हुईं, जो ससुराल चली गयीं. हीरालाल के दो पुत्र हुए-रमेश और मुन्ना. इन लोगों ने नौकरी करना पसंद किया. भिखारी के तीसरे पोते दिनकर जवानी (केवल 28 साल की उम्र) में ही चल बसे. उनका एकमात्र बेटा यानी भिखारी के खास पोते- सुशील जितने सुन्दर और जवान हैं, उतने ही पढ़े-लिखे और विद्वान भी. वे प्रथम श्रेणी में एम्.ए. पास हैं, पर अविवाहित और बेरोजगार हैं. कहते हैं- नौकरी के बाद ही शादी करूँगा।

भिखारी के भाई बहोर ठाकुर के दो पुत्र हुए- गौरीशंकर ठाकुर और रघुवर ठाकुर. गौरीशंकर ठाकुर ने नाच की परम्परा जारी रखी, इनके दो पुत्र हुए-मुनेश्वर ठाकुर और वेद प्रकाश. इन लोगों ने नाच-तमाशा को छोडकर खेती-बारी और अपना पुश्तैनी धंधा ही पसंद किया. मुनेश्वर ठाकुर के चार पुत्र हैं- बिंदोश ठाकुर, धीरन ठाकुर, रीतेश और करण ठाकुर. करण प्राईवेट नौकरी करते हैं. रघुवर ठाकुर के दो पुत्र- मनोज और साधू ठाकुर. मनोज सरकारी नौकरी में हैं. साधू ठाकुर के तीन लड़के हैं-जितेन्द्र, प्रेमधर और विजय. इनमें से अधिकांश दरवाजे पर ही मिल गयें. इनकी माली हालत अच्छी नहीं हैं. वे अपना पुश्तैनी धंधा और मजदूरी करके जीविका चलाते हैं।

लेकिन भिखारी ठाकुर के नाच आज भी चलते हैं. उनकी मंडली बचे हुए पुराने और कुछ नए कलाकारों के साथ उसी धूम-धड़ाके और शैली के साथ नाच चलानेवाले भिखारी के दो सरबेटे हैं- भृगुनाथ ठाकुर और प्रभुनाथ ठाकुर. भिखारी ने अपने साले को भी अपनी नाच मंडली में शामिल कर लिया था. उनके साले के तीन बेटों में सबसे बड़े रामजतन ठाकुर अब नहीं रहे. भृगुनाथ ठाकुर और प्रभुनाथ ठाकुर की उम्र भी क्रमश: 70 और 65 साल हैं. सच पूछा जाये तो भिखारी ठाकुर की नाच परम्परा को जीवित रखनेवाले ये ही लोग हैं, जो बचपन से ही भिखारी ठाकुर के घर में ही रहे. आज भी हैं. भिखारी ने इन्हें अपने पुत्र की तरह पाला-पोषा. इन्हीं लोगों की मदद से हमने भिखारी ठाकुर के पुराने कलाकारों से मुलाकात की. वे सुबह से शाम तक हमारी गाड़ी में बैठकर कलाकारों के घर घुमाते रहे।

लेखक: हरिनारायण ठाकुर जी
इ पोस्ट हरिनारायण ठाकुर जी के फेसबुक पेज से लिहल गईल बा

जोगीरा डॉट कॉम पऽ भोजपुरी पाठक सब खातिर उपलब्ध सामग्री

ध्यान दीं: भोजपुरी न्यूज़ ( Bhojpuri news ), भोजपुरी कथा कहानी, कविता आ साहित्य पढ़े  जोगीरा के फेसबुक पेज के लाइक करीं।

NO COMMENTS

आपन राय जरूर दींCancel reply

Exit mobile version