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भोजपुरिया अभिवादन एवं आशिर्वाद के ढंग

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भोजपुरिया अभिवादन एवं आशिर्वाद के ढंग
भोजपुरिया अभिवादन एवं आशिर्वाद के ढंग

जिला गोपालगंज और उसके आस-पास के क्षेत्रों और जिलों में जैसे सीवान, छपरा, मोतिहारी में भोजपुरिया अभिवादन एवं आशिर्वाद के तरीकों एवं अभिवादन और आशिर्वाद के लिए उपयोग होनेवाले भोजपुरी शब्द और वाक्यांश, हिन्दी अनुवाद और वर्णन एवं विवरण के साथ नीचे दिए जा रहे हैं।

अभिवादन एवं अभिनन्दन के ये तरीका, शब्द, वाक्यांश आदि एक दूसरे के प्रति श्रद्धा, आदर, प्रेम आदि के साथ ही साथ अपने भोजपुरी सभ्यता को भी व्यक्त करते हैं।

अपने भोजपुरिया समाज में अभिवादन करते समय झुकने की प्रथा है। झुकने मात्र से ही सामनेवाले के प्रति हमारा सम्मान, श्रद्धा, प्रेम आदि प्रकट हो जाता है और सामनेवाले के हृदय में भी हमारे प्रति प्रेम एवं मंगल की भावना पल्लवित हो जाती है।

अपने भोजपुरिया समाज में भेंटने की प्रथा है। जब कोई महिला किसी दूसरी महिला से मिलती है तो गले मिलकर अँकवार देती है। अगर नई-नवेली दुल्हन है तो अपनी माँ, चाची, बुआ आदि को अँकवार देते समय रोती भी है, विशेषकर विदाई के समय। जब वह अपनी माँ को भेंटती है तो ‘अरे हमार माई’ या ‘अरे हमार माई हो माई’ या ‘माई हो माई’ इन में से किसी एक को बोलते हुए रोती है। इसी प्रकार अगर बुआ, चाची आदि को भेंटती है तो माई की जगह पर बुआ, चाची आदि का प्रयोग करती है। उसे रोता देख अन्य महिलाएँ भी रोने लगती हैं या कुछ आँखे नम कर लेती हैं और उसे बार-बार चुप कराने की कोशिश करती हैं।

अगर दुल्हन के मायके का कोई व्यक्ति उससे मिलने उसके ससुराल जाता है तो वह उन्हें भी भेंटती है। इस भेंटने में वह क्या करती है कि अपने पिता, भाई आदि का पैर पकड़कर रोती है और उसके पिता, भाई आदि नम आँखों से उसे चुप कराते हैं। ये अवसर प्रेम की, अपनत्व से सराबोर होते हैं।

आधुनिक युग में कुछ पढ़े-लिखे भोजपुरिया लोगों को यह सभ्यता गँवारू दिखती है जिसके कारण आधुनिकता के चक्कर में वे इससे दूर रहना ही पसंद कर रहे हैं।

भोजपुरिया अभिवादन एवं आशिर्वाद के कुछ विशेष तरीकों और शब्दों से परिचित होते हैं:-

अभिवादन:- भोजपुरिया समाज में अभिवादन के दो तरीके हैं; या तो व्यक्ति चुपचाप बड़ों का चरण छूते हैं या झुककर अभिवादन करते हैं। इस समय अभिवादनकर्ता के मुँह से शब्द तो नहीं निकलते पर उसकी आँखों में और चेहरे पर सामनेवाले के प्रति अपार सम्मान, प्रेम आदिप्रत्यक्ष परिलक्षित होते हैं।

दूसरा तरीका है; झुककर या पैर छूते हुए कुछ अभिवादनीय शब्द, वाक्यांश आदि बोलना। जैसे:-

  • गोड़ लागीं। गोड़ लागतानी। पैर पड़तानी। पाँव पड़तानी। पाँव लागीं।(पैर पड़ता हूँ।)- यह अभिवादन अपने से बड़ों को किया जाता है।
  • दंडवत। दंडवत महाराज। (यह अभिवादन विशेषकर किसी साधू,महात्मा आदि को किया जाता है।)
  • जय राम जी की। (यह अभिवादन अपने बराबरीवालों को कियाजाता है)।
  • नमस्कार। प्रनाम, परनाम (प्रणाम)।

आशिर्वाद:- आशीर्वाददाता भी अभिवादनकर्ता के मंगल एवं कल्याण केलिए या तो उसके सिर पर हाथ रखता है या हाथ उठाकर आशिर्वाद देता है या, और मंगलसूचक शब्द, वाक्यांश आदि व्यक्त करता है।

सौभाग्यवती महिला को दिया जानेवाला आशिर्वाद:-

  • जोड़ा लागो (जोड़ा लगे) – यह आशिर्वाद उस सौभाग्यवती महिला को दिया जाता है जिसके अभी केवल एक ही पुत्र हो।
  • तहार बाबू अँचरे लागल रहें (आपका पुत्र आँचल से लगा रहे।)
  • तहार सुहाग बनल रहो (तुम्हारा सुहाग बना रहे।)
  • तहार सेनुर बनल रहो (तुम्हारा सिंदूर बना रहे।)
  • दूध अउरी पूत दुनू बनल रहो (दूध और पूत दोनों बना रहे।)
  • दूधो नहा पूतो फलS (दूध से नहाइए और पूत फलें।)

पारिवारिक महिला या पुरुष को दिया जानेवाला आशिर्वाद:-

  • तहार परिवार सुखी रहो (आपका परिवार सुखी रहे)।
  • लोग-लइका सब निमने रहें (बाल-बच्चे सब अच्छे रहें)।
  • लइका-फइका सब बनल रहें (बाल-बच्चे सब बने रहें)।

सबके लिए प्रयुक्त होने वाले आशिर्वचन:-

  • जुड़ाइल रहS (अच्छी अवस्था में रहिए।)
  • बनल रहS। निमने रहS। (हर तरह से अच्छी अवस्था में रहिए।)
  • भगवान तहके बनवले रहें। (भगवान आपको अच्छी अवस्था में रखें।)
  • चिरिनजीवी होखS। चीरींजी होखS। आयु लमहर होखे।(उम्र लंबी हो।)
  • गदाइल रहS। फुलाइल रहS। मोटाS। (हर तरह से अच्छी अवस्था में रहिए।)
  • गच्च रहS। खुस रहS। मस्त रहS। (प्रसन्न रहिए।)
  • कुछ लोग अभिवादन के प्रत्युत्तर में बोलते हैं:- बाबू। बाबू-बाबू। जय हो।
  • जीअS। जीअS-जीअS। (आपका जीवन सानन्द बीते।)
  • नाया धरS, पुराना खाS। (नया रखिए, पुराना खाइए- तात्पर्य यह है कि आपको किसी वस्तु की कभी भी कमी न खले।)

कुछ गावं की सुहागिन औरते अपने से बड़ी महिलाओं का चरण अपने आँचल में लेकर दोनों हाथों से उठाकर अपने सिर से स्पर्श कराती हैं या हाथ में आँचल लेकर पैर छूती है। इसका तात्पर्त यह है कि ऐसा करने से सुख-समृद्धि उनके आँचल में आ जाती है।


लेखक: चन्दन कुमार सिंह,
संस्थापक जोगीरा डॉट कॉम
ईमेल: info@sh002.global.temp.domains

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