गोपालगंज जिला और उसके आस-पास के जिलों में जैसे सीवान, छपरा, मोतिहारी में सगा-संबंधी या रिस्तेदार के लिए उपयोग किये जाने वाले भोजपुरी संबोधन नीचे दिए जा रहे हैं। इनका उपयोग गावँ के साथ-साथ शहर में भी होता है। धीरे-धीरे इन शब्दों की जगह पर अंकल, आंटी, पापा, मंमी, डैडी, मॉम आदि शब्द लेने लगे हैं लेकिन भोजपुरी संबोधनों का अस्तित्व अभी भी बना हुआ है। ये भोजपुरी संबोधन अपनापन और मिठास से भरें और सराबोर हैं। बाबूजी (पिता के लिए संबोधन) कहने से जो अपनापन, प्रेम एवं सम्मान पिताजी के प्रति झलकता है वह पापा, डैड या डैडी कहने से नहीं।
अब भोजपुरी संबोधन में उपयोग होने वाले शब्दो से परिचित होते हैं:-
ध्यान दें- भोजपुरी शब्दों के आगे कोष्टक में हिन्दी शब्द भी दिए गए हैं। यहाँ उन संबोधनों को नहीं रखा गया है जो हिन्दी जैसे ही बोले जाते हैं। जैसे – मामा, मामी, नाना, नानी इत्यादि।
बाबूजी, बाबू, भइया (पिताजी)। माई (माँ)।
काका (चाचा)। काकी (चाची)।
मउसी (मौसी)। मउसा (मौसा)।
बाबा (दादा) – आजा भी बोलते हैं लेकिन आजा शब्द का प्रयोग दूसरा कोई जब किसी से किसी के दादा के बारे में बात करता है तो करता है- जैसे- तोहार आजा कहाँ बाड़ेऽ ? (तुम्हारे दादा कहाँ हैं? इसी प्रकार दादी के लिए आजी का प्रयोग भी होता है)।
इया(दादी)।
परपाजा (परदादा)।
परपाजी (परदादी)।
फुआ (बुआ)। फूफा। सार (साला)। सारि (साली)। भउजी (भाभी)। भइया (बड़े भाई)।
मरद, बुढ़ऊ, मालिक (तहार मालिक काहाँ बाने- आपके पति कहाँ हैं?)(मर्द, पति)।
मेहरारू, मउगी, मलिकाइन (औरत, पत्नी) ।
पतोहिया (पतोहू)। दामाद।
जीजा (बड़ी बहन का पति)।
पहुना, पाहुन (किसी भी रिस्तेदार के लिए और दामाद के लिए भी)।
बहनोई।
देयादिन (पति के भाई की पत्नी) ।
देवरानी (देवर की पत्नी)।
ननदी, ननद (ननद) । ननदोई (नंदोई)
सरहज (साले की पत्नी)।
जेठ, जेठजी (पति के बड़े भाई)।
देवर, देवरू (देवर) ।
लइका, बेटवा, बेटउआ,लइकवा,बंस (लड़का,पुत्र)।
लइकिनी, लइकी, बिटिया, बेटी, बबुनिया (लड़की, बेटी)।
बहिन, बहिनी (बहन)।
भइया (भाई)।
समधी। समधिनी, समधिआइन, समधिन (समधिन) ।
साढ़ू, सारू (पत्नी की बहन का पति) ।
सढ़ूआइन (साढ़ू की पत्नी) ।
नाती (पुत्र या पुत्री दोनों के बेटे के लिए)।
नतिनी (पुत्र या पुत्री दोनों के बेटी के लिए)।
वैसे पुत्र के पुत्र या पुत्री के लिए पोता और पोती भी खूब चलता है।
पिता की भाभी के लिए बड़की माई, बड़की अम्मा तथा पिता के बड़े भाई के लिए बड़का बाबूजी प्रयुक्त होता है। बड़े बेटे को बड़कू (जैसे- तोहार बड़कू कहाँ बाड़ेऽ ? मतलब आपका बड़ा बेटा कहाँ हैं?)
इसी प्रकार छोटे बेटे को छोटकू, मँझले बेटे को मझीलू, साझिल बेटे को सझीलू, बड़ी बेटी को बड़की, छोटी बेटी को छोटकी, मँझली बेटी को मझीली, साझिल बेटी को सझीली कहते हैं। छोटे बच्चोंको बाबू का भी उपयोग होता हैं।
अपरिचित व्यक्ति जब किसी लड़के को बुलाता है तो मुन्ना, गुड्डू या बाबु और किसी लड़की को बुलाता है तो मुन्नी, गुड्डी, बिटिया या बबुनी कह कर संबोधित करता है।
किसी भी बुजुर्ग के लिए काका, बाबा और महिला बुजुर्ग के लिए काकी, ईया आदि भोजपुरी संबोधन उपयोग होते हैं।
लेखक: चन्दन कुमार सिंह,
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