डॉ राधेश्याम केसरी जी के लिखल भोजपुरी कविता दुनिया कइसे बा फेफियात
आइल गरीबी जिनिगी आफत, उनकर खाली लमहर बात।
सात समुन्दर, उनका घरवा ,
घी क अदहन रोज दियात।
हमरा घर में कीच- कांच बा,
नइखे घर में भूंसा-...
कइसन गांव-गिरांव हो गइल
कइसन गांव-गिरांव हो गइल
अजबे चलन सुभाव हो गइल।
गांव शहर में बदले लागल
सिमटे लागल खेतिहर धरती
जाने कहां बिलाये लागल
जंगल अउरी हरियर...
भोजपुरी भासा हऽ माई के
भोजपुरी भासा के अस्मिता आ ओकरा संवैधानिक दरजा खातिर आंदोलन जारी बा। एही सिलसिला में केंद्र सरकार से अपना हक के मांग करत भोजपुरिया...
भोजपुरी आजादी गीत
हाथवा के झंडा लिहले वीरवा बा खाड़ हे।।
खोलबू त भारत अपनी दुलार हे ।।
हाथवा तिरंगा लिहले वीरवा बा खाड़ हे।
खोलबू तू भारत मइया बजर...
भोजपुरी के शेक्सपीयर
आवेला आसाढ़ मास, लागेला अधिक आस, बरखा में पिया रहितन पासवा बटोहिया।
पिया अइतन बुनिया में,राखि लेतीं दुनिया में, अखरेला अधिका सवनवाँ बटोहिया।
आई जब मास...
दरद मोहब्बत के
करब इयाद रखिहा , सबर इयाद रखिहा
मोहब्बत के कवनो ना घर इयाद रखिहा
कहा से चली ई कहाँ तक ले जाइ
एकर ना...
भोजपुरी कविता जब से रोटी बोर खवायल
जब से रोटी बोर खवायल
ओठलाली खूबै महंगायल
अब का आलू खेत बोआई
सबही चोखा से भरुआयल।
रोटी भात न खाये अईली
ओरहन बा मउगी के आयल
का चाहत बा...
कइसे काम चलइहें मालिक ?
घरे - दुआरे सगरों शोर
बनवा नाहीं नाचल मोर
कइसे काम चलइहें मालिक ॥
हेरत हेरत हारल आँख
केकर कहवाँ टूटल पांख
सात पुहुत के बनल बेवस्था
अब कइसे बतइहें...
हमार बनारस
लिट्टी,चोखा भयल नदारत
पिज्जा,बरगर खाय बनारस।
टीका,रोरी,धोती,कुरता
कय देहलस इनकार बनारस।
अपनें रंगत से लागत अब
होखत बाटै दुर बनारस।
बहा के नाला गंगा में
अईंठत गईंठत बाय बनारस।
महादेव के अभिनन्दन...
दो बैलों की कथा
झूरी के दू गो बैल थे, हीरा और मोती। मोती बड़ा सज्जन बैल था, झूरी उसकी नाद में जो डाल दे, वह उसी को...
बाराती
जे तरे बिना जर्दा के पान कौनो मानी नइखे राखत ओही तरे बिना बराती के शादी के कौनो मतलब ना हऽ। जइसे सारी जिनगी...
उधार खाइले
खूब ले के ढे़कार खाइले।
ढ़ेर जगे हम उधार खाइले।।
एगो मरदाना तू हे नइ खऽ जी।
हमहूँ बेलना से मार खाइले।।
हम जे खानी ऊ घूस ना...
इतिहास
नइखे नईका बा बहुते पुरान
ई भोजपुरियन के सब इतिहास
इतिहास के सँउसे पृष्ठ पर
भरल बा ख्याति भोजपुरियन के
सिद्ध नाथ के वाणी में
भरल बा दर्शन सब
कबीर,...
घट गइल बा
हमार बैंक बैलेंस घट गइल बा।
कनेकसन सब जगह से कट गइल बा।।
ई इसकूटर, फिरीज, रंगीन टी.वी।
बड़ा सस्ता में लइका पट गइल बा।।
बनी अब एकता...
कौनो गारन्टी बा का
केकरा से नैना लड़ी, कौनो गारन्टी बा का।
केतना ऊपर से पड़ी, कौनो गारन्टी बा का।।
ई हऽ सम्मेलन कवि के, दउड़ के मत जा उहाँ।
चाए...
नथुनियाँ पर गोली मारे…
गोली मारल एगो अइसन शब्द बा जवना के अर्थ हरमेसे उल्टा लिहल जाला - नाम सुनते रोआँ खड़ा हो जाला आ करेजा काँप जाला...
बियाह मत करि हऽ
आपन जिनगी तबाह मत करि हऽ।
प्यार करि हऽ बियाह मत करि हऽ।।
आदमी से तू नेता बन जई बऽ।
राजनीति के चाह मत करि हऽ।।
ऊ कमाएले...
कहनी गढ़त मनई
कहनी गढ़त मनई
छरका से सार ले दुआर
घूरे तक बहारत,
झंखत
जिनगी में लागल उढुक से
उठ के संभरे में ढमिलात
हिरिस से मातल मनई |
गुरखुल के दरद
बंहटियावत
नादी में...
अब कइसे बबुआ नमाज पढ़े जइहें
अइसन भइल चीर-फार
मिटी गइल आर - पार
अब कइसे बबुआ नमाज पढ़े जइहें ||
टभकेले रोज रोज मन के दरदिया
बाबा के नावें से लागे सरदिया
सपनों में...
डॉ गोरख मस्ताना के एगो ग़ज़ल – उजियार
रात अन्हरिया, दिया जराईं, डगर डगर उजियार करीं
बहुत सरहनीं महल के रउआ, अब मडई से प्यार करीं
सागर के पानी ह खारा, एह में...