भोजपुरी साहित्य

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तारकेश्वर राय जी

तारकेश्वर राय जी के लिखल तीन गो भोजपुरी कविता

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भोजपुरी कविता फैसन के हावा बहल बा अइसन, एगो पछिमा हावा | फार के कपड़ा, पहिरल जाता नावा || कपड़ा पहिरल जाला, तन ढ़ाके के | पहिरल जाता...
देवेन्द्र कुमार राय जी

देवेन्द्र कुमार राय जी के लिखल भोजपुरी होली गीत ए सखी फागुन में

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फागुन में सखी फागुन में सईंया हमरा के कईले लाचार ए सखी फागुन में । केनहु से आवे धरे भर अंकवारी आव तुं नियरा मिलीं जा पारा...
देवेन्द्र कुमार राय जी

देवेन्द्र कुमार राय जी के लिखल भोजपुरी कविता दारा राग

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सुनी सभे आपन बा बतावतानी घर के प्रेम प्रीत राग सुनावतानी। भोरे पराती रोजे सुनाई बीबी भैरवी पंचम में गाईं। सातो सुर आ सातो थाट हरदम खोजे मेहरि घाट। जे...
तारकेश्वर राय जी

तारकेश्वर राय जी के लिखल भोजपुरी कविता सालो भर प त गाँवे आई

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घूमे आ बचवन के घुमावे आई रिश्ता आ नाता चिन्हावे आई ढेका जांत पीढ़ा आ मचिया एकरा के देखावे आई मम्मी पापा अंकल आ ऑन्टी , नाता एकरा सिवा...
देवेन्द्र कुमार राय जी

देवेन्द्र कुमार राय जी के लिखल तीन गो भोजपुरी गीत आ कविता

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महंगाई महंगाई अईसन कईले बा बेहाल कि नुन रोटी हो गईल मोहाल। माई के दूध सुखल बचवा के अतडी़ हमरा कमासुत के झुरा गईल गतरी, आगे बुझात नईखे होई...
देवेन्द्र कुमार राय जी

देवेन्द्र कुमार राय जी के लिखल भोजपुरी कविता मुंह कहवां बोरीं

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कह ए भोजपुरिया भईया हीक भ भोजन कहां झोरी कमाईल त मिलत नईखे कह मुंह कहवां बोरीं? कतना दिन ले आस लगवनी कुछ कटि जाई दिन मोर तुहीं कह...
डॉ. हरेश्वर राय जी

डॉ. हरेश्वर राय जी के लिखल भोजपुरी कविता आइ हो दादा

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सपना देखनीं भोरहरिया आइ हो दादा, मुखिया हो गइल मोर मेहरिया आइ हो दादा । हमरा दुअरा उमड़ रहल बा सउँसे गाँव जवार, लाग रहल बा देवीजी के नारा बारम्बार, डीजे बाजता...
देवेन्द्र कुमार राय जी

देवेन्द्र कुमार राय जी के लिखल भोजपुरी कविता बेटा ह कि मेटा

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चालीस बरीस प अईसन भईल जमले बेटा बुढ़ऊ के अंगनाई, थरीया ढोल मजीरा बाजल बाजल सोहर में खुब शहनाई । ...
डॉ. हरेश्वर राय जी

हरेश्वर राय जी के लिखल भोजपुरी कविता कमाइ दिहलस पपुआ

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पढ़ि लिखि के का कइल भईया पढ़वईया, कमाइ दिहलस पपुआ खाँचा भर रुपईया। मंत्री बिधायकजी के खास भइल बड़ुए, गऊआँ के लफुअन के बॉस भइल बड़ुए, आ मुखियाजी के काँख के भइल...
देवेन्द्र कुमार राय जी

देवेन्द्र कुमार राय जी के लिखल भोजपुरी गीत बात समझ ना पाईले

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किस्मत से निकल के का आईल ई बात समझ ना पाईले, जहवां जहवां कुछ आस दिखे ओह ओर खीचल चलि जाईले। सभ अन्जान भईल एहीजा केहु ना आपन...
विमल कुमार जी

विमल कुमार जी के लिखल किरिन कब फुटी

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किसान दिनभर धावेला तबो कुछु ना पावेला, थुके सातु सानेला। दोसरा के जिनगी देवे, अपने माड़भात पावेला। दिन रात रो रो के आपन जीवन सुखावेला। पेट पीठ सभ...
डॉ. हरेश्वर राय जी

डॉ. हरेश्वर राय जी के लिखल अँखियन के आकाश सूना हो गइल

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अँखियन के आकाश सूना हो गइल | सब तारा भइलन स खेत सपना सब भइलन स रेत पंखियन के परिहास चूना हो गइल | खेतवन प पाला पड़ल पेटवन प भाला...
रत्नेश चंचल जी

रत्नेश चंचल जी के लिखल भोजपुरी गजल

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शहर में रह के सकुताइल रहीला गांवें जाए बदे अकुताइल रहीला । रोजी रोटी के फेरा जवन ना करावे एही से त हम चुप लगाइल रहीला...
डॉ. हरेश्वर राय जी

डॉ. हरेश्वर राय जी के लिखल भोजपुरी कविता हमार जान ह भोजपुरी

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हमार सान ह हमार पहचान ह भोजपुरी, हमार मतारी ह हमार जान ह भोजपुरी| इहे ह खेत, इहे खरिहान ह इहे ह सोखा, इहे सिवान ह, हमार सुरुज ह हमार चान...
सुनील प्रसाद शाहाबादी

सुनील प्रसाद शाहाबादी जी के लिखल पुर्वांचल के दुःख

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मोतिहारी गोपालगंज सिवान सतकार छपरा के मीठ पानी-आरा कड़ियार। निहाल बक्सर बलिया-निरमल गंग धार गहमर वीर सैन्य सपूत -संग साहितकार। बदलल मजदूरी में गते गते किसानी, आजमगढ़ देवरिया-गोरखपुर बेमार। बन्हक...
सुनील प्रसाद शाहाबादी

सुनील प्रसाद शाहाबादी जी के लिखल गाँव के झुमकी

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नाम ओकर झुमकी रहे गाँव मे चमर टोली के अँजोरिया,भगवान के गढ़ल सुंदर कृति बारहवीं में जिला भर में टाप कइला के बाद सउँसे...
कुणाल भरद्वाज जी

कुणाल भरद्वाज जी के लिखल भोजपुरी लघु कथा आत्महत्या

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भोर होखे में अबही देर रहे। हमरा आँखि में नींद ना रहे। मन अकुताईल रहे। जिनगी बहुते नीरस हो गइल रहे। बेटा पतोह दुनु...
धनंजय तिवारी जी

धनंजय तिवारी जी के लिखल नईहर के रास्ता

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"अब हमसे तहरा माई के सेवा ना होई" बाल्टी पटकत चनर बो कहली " कह कि मथुरा काशी चल जास। इन कर भार उठावे...
कन्हैया प्रसाद तिवारी रसिक जी

कन्हैया प्रसाद तिवारी रसिक जी के लिखल एगो पुर्वी

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जीया तड़पावे जियते मरले बा भाला हला सुनत नइखे छीन लेला आगे से नेवाला हाला सुनत नइखे ।। बोलत रहे तूती जब रहीं हम जवान हो कान्ही...
विमल कुमार जी

विमल कुमार जी के लिखल नवकी भउजी

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कोयल जइसन मीठी बोली लागे निमन का मिठाई ह, चाल देखि के नागिन कहेली ई कमर ना ह कलाई ह। पायल के मधुर छन छन लागे...