भोजपुरी के लिपि : कैथी

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प्राचीन काल में मध्य प्रदेश में एगो लिपि व्यवहार में रहे जेकरा के कैथी कहल जात रहे। कहल जाला कैथी के शुरूआत भोजपुरिये लोग कइलस। इहे भोजपुरी भाषा के आपन लिपि बा। आज भले इ लिपि लुप्त भ गइल बा बाकिर पहिले के जमीन-जायदाद के दस्तावेज, खतियान कुल्हि एही लिपि में लिखल मिलेला।

भोजपुरी के लिपि : कैथी
भोजपुरी के लिपि : कैथी

एकर चर्चा भाषा शास्त्र के विद्वान डॉ. ग्रियर्सन के किताब में आ पूर्णियां जिला के गजेटियरो में पावल जाला। पुराना राजघराना के ताम्रपत्रन पर भोजपुरी के बीजक कैथी में मिलेला। कैथी के इण्डो आर्यन भाषन के पूर्वी समूह के लिपि मानल गइल बा। इ देवनागरी लिपि के करीब के लिपि मानल जाला।

कैथी-लिपि के नामकरणों के एगो कहानी बा। पहिले पुराना जमाना में लिखे-पढ़े के काम कुछ जाति विशेष के लोग करत रहे। उहें सभे कातिब आ मुनीम भा मुंशी होत रहेलोग। कहल जाला कि अंग्रेज लोग पारसी लिपि के हटावे खातिर कैथी लिपि के बढ़ावा देलस। पहिले भोजपुरी इलाका में पढ़े-लिखे के शुरूआत ‘रामगति देहूँ सुमति’ से होत रहे। आज इ लिपि विलुप्त हो रहल बिया। अब केहू के अगर कवनो पुराना लिखल किताब भा कवनो दस्तावेज पढ़ावे के होला त पढ़े वाला के खाने में नौ दिया के तेल खरच हो जाला, तबहूँ कबो-कबो ना मिले। बाकिर इ बात सोरह आना साँच बा कि भोजपुरिया लोग जहवाँ-जहवाँ गइलन मारिशश, सूरीनाम, फिजी, त्रिनिडॉड तहवाँ कैथी लिपि संगे ले ले गइलन।

कैथी गुजराती आ बांगला देश के सिलॉटी लिपि से बहुत मेल खाले। भोजपुरी के कैथी-लिपि के बचावल बहुत जरूरी बाटे। जेह से कि भोजपुरी भाषा-भाषी लोगन में नवका पीढ़ी अपना भाषा के लिपि के बारे में नीमन से जानकारी राख पावें।

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