पंo गणेश चौबे जी के जनम 5 दिसम्बर 1912 ईo के उहा के ममहर गाँव साँढा डम्मर,जिला – मुजफ्फरपुर में भइल रहे।
भोजपुरी भाषा, साहित्य,संस्कृति लोक साहित्य के शोधपूर्ण ग्रन्थ, पत्र-पत्रिका आदि के विशाल संग्रह पंडित जी के पास रहे। जवन आन जगह मिलल कठिन रहे।देश- विदेश के अधिकारी विद्वान् लोग के हजारन पत्र इहा के भीरी संग्रहित रहे जवन साहित्य के अमूल्य निधि धरोहर रहे।
लोक साहित्य आ संस्कृति के अध्ययन के चलते पंडित गणेश चौबे जी में एकरा संग्रह के ललक रहे, जवना के चलते उहा का लगभग सात हजार पृष्ठन में लोकगीत, लोककथा, बुझउअल, कहाउत, रसम-रेवाज, लोक विश्वास आ जाति प्रथा आदि विषयक सामग्रियन के संग्रह कइले रही। एह में लगभग सात हजार लोकगीत आ तीन सौ लोक-कथा रहे।
भोजपुरी, हिन्दी आ अंग्रेजी में लिखल पंडित जी के लगभग 250 से ऊपर लेख विभिन्न पत्र पत्रिका में प्रकाशित भइल रहे। एह में अधिकांश लेख के विषय भोजपुरी भाषा, लोक-साहित्य आ शिष्ट-साहित्य से सम्बंधित रहे।
इहा के लिखल भोजपुरी लेख अँजोर, भोजपुरी जनपद, भोजपुरी कहानियाँ, भोजपुरी समाज, भोजपुरी के गमक, भोजपुरी माटी, साखी, सनेस, कोइल,भोजपुरी अकादमी पत्रिका सहित आउर कई गो पत्र -पत्रिकन आ स्मारिका वैगरह में प्रकाशित हो चुकल बा।
पंडित जी के महत्वपूर्ण ग्रन्थ रहे ” भोजपुरी के सईं बरिस” जवना में सन् 1882 ईo से लेके 1982 ईo के बीच में प्रकाशित तमाम भोजपुरी किताबन के जानकारी दिहल बा।शोध करे वाला लोग खातिर ई ग्रन्थ आंख के काम कर सकता,जवना के प्रकाशन भोजपुरी अकादमी 1982 ईo में कइले रहे।
भोजपुरी आ भोजपुरिया लोग के पंडित गणेश चौबे जी जइसन विद्वान लोग के कमी बराबर खलत रही।
रउवा खातिर:
भोजपुरी मुहावरा आउर कहाउत
देहाती गारी आ ओरहन
भोजपुरी शब्द के उल्टा अर्थ वाला शब्द
जानवर के नाम भोजपुरी में
भोजपुरी में चिरई चुरुंग के नाम
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