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Home Bhojpuri Film Industry News Bhojpuri Film News | भोजपुरी मूवी मसाला भारत – मॉरिशस के रिश्तों पर हुआ काव्य पाठ

भारत – मॉरिशस के रिश्तों पर हुआ काव्य पाठ

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7 जून, आगरा में ग्रैंड होटल में भारत मॉरिशस मैत्री कवि सम्मलेन व विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता आगरा कॉलेज के प्राचार्य डा ० मनोज रावत ने की। मुख्य अतिथि थे केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक प्रो० नन्द किशोर पांडेय। साहित्यिक- सांस्कृतिक विनिमय हेतु आयोजित इस कवि सम्मलेन में मॉरिशस के कवियों डाक्टर हेमराज सुन्दर, अरविन्द बिसेसर, रीतेश मोहाबिर, अभी ऊदोय, अशिता रघू और अंजली चिंतामणि ने अपनी खांटी भोजपुरी से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। भारत की ओर से डा० चंद्रमणि ब्रम्हदत्त, रुचि चतुर्वेदी, जयशंकर प्रसाद द्विवेदी, विनय विनम्र, अनूप पांडेय ने भी खूब तालियां बटोरी।

कवि सम्मेलन का सञ्चालन सुप्रसिद्ध भोजपुरी कवि मनोज भावुक ने किया। भावुक अपने चिर परिचित अंदाज में कवियों के साथ हीं साथ दर्शकों से भी हंसी -मजाक व चुटीले संवाद स्थापित करते रहे। गम्भीर माहौल को हल्का करने और हल्के माहौल को गंभीर व संजीदा करने में मनोज भावुक जी को महारत हासिल है , यही वजह है कि उनके संचालन में कवि सम्मलेन की लम्बाई नहीं खटकती और दर्शक समापन तक बंधे रहते हैं। कवियों का क्रम भी कुछ ऐसा हीं रखते हैं कि रोचकता और उत्सुकता बनी रहे।

यही वजह है कि मॉरिशस से आये अरविन्द विशेसर चिरई वाली मार्मिक और संवेदना से भरी कविता से माहौल को ज्यों गम्भीर व भारी करते हैं मनोज भावुक वही की मॉडल व टीवी प्रेजेंटर अशिता रघू को आमंत्रित कर उनकी खिचाई करते हैं और फिर गूंजता है एक ठहाका। अनूप पांडेय दादाजी कविता से रिश्तों के मर्म को समझाते हैं तो डा० रूचि अपनी मनमोहक आवाज और सधे सुर से सबको विभोर कर देती हैं। महात्मा गांधी संस्थान , मॉरिशस की अंजलि चिंतामणि मॉरीशस की भोजपुरी कविताओं पर बात करती हैं तो उनका अंदाज भी एक कविता पाठ की तरह होता है।

जयशंकर प्रसाद द्विवेदी ”इंटरनेट के बाजार में बेजार भइल मनई” जैसे सुन्दर गीत से समय के राग की बात करते हैं , फेस बुक और इंटरनेट की बात करते हैं. और अंत में संचालक मनोज भावुक मॉरीशस और भारत की साझी संस्कृति और अटूट सम्बन्ध की बात कुछ यूं करते हैं की आइये सुनते हैं अपनी हीं धड़कनों को .. जो सात समुन्दर पार धड़कती हैं – “तेरे सीने में धड़कता है जो दिल मेरा है / मेरे सीने में धड़कता है जो दिल तेरा है / तभी तो सात समुन्दर के पार हैं , लेकिन / लगता है, अपनी हीं मिटटी है, अपना डेरा है।”

इस ऐतिहासिक कवि सम्मेलन की सफलता का श्रेय एडवोकेट व इस कार्यक्रम के संयोजक अशोक चौबे जी को जाता है जो ब्रज की धरती पर विगत दो- तीन दशक से भोजपुरी का परचम लहरा रहे हैं। कार्क्रम के आयोजक दीपक चतुर्वेदी और समन्वयक डा० राजकिशोर सिंह हैं। इस अवसर विशिष्ट अतिथि के रूप में ग़ज़ियाबाद से अशोक श्रीवास्तव , दिल्ली से अजित दूबे और डा० चंद्रमणि ब्रम्हदत्त , इलाहाबाद से अजीत सिंह और आगरा से डीके सिंह , शम्भूनाथ चौबे आदि उपस्थित थे।

रउवा खातिर:
भोजपुरी मुहावरा आउर कहाउत
देहाती गारी आ ओरहन
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