परनाम ! स्वागत बा राउर जोगीरा डॉट कॉम प, आईं पढ़ल जाव भोजपुरी कहानी अनोखा रिस्ता, कहानी के लेखक बानी अभियन्ता सौरभ भोजपुरीया जी। पढ़ीं आ आपन राय जरूर दीं कि रउवा अभियन्ता सौरभ भोजपुरीया जी लिखल भोजपुरी कहानी ( Bhojpuri Kahani) कइसन लागल आ रउवा सब से निहोरा बा कि अगर रउवा सब के रचना अच्छा लागल त शेयर क के आगे बढ़ाईं।
बात 15 बारिष पाहिले के ह ! ऐसे दिन तारीख ठीक से नईखे याद । महीना जनवरी फरवरी के रहे । जाड़ हाड में समाये वाला पड़त रहे । अचानक से हमार तबादला दोसर जगह भा गईल । जाड़ा के रात आ सफर इ सोच के ही मन काँप जाव । खैर उ रात भी आ गईल जाये वाला । ट्रेन के तत्काल टिकट करवा के तैयारी करे लगनी जाये के ।
पुरान जगह छूटला के गम आ नवका जगह जाये के उत्साह में आपन शीट पर बइठ गईनी । धीरे धीरे आउर लोग बोगी के आवे लागल आ आपन सामान ठुसे लागल ।आगे बढे लगनी आपन गंतब्य जगह खतीर । खिड़की से गेहू के खेत आ मोजर टिकोरा से आम के गाछ लदल रहे । पियर पियर सरसो से खेत दुल्हिन नीयन लागत रहे । धीरे धीरे ट्रेन दुधिया रौशनी में नहाये लागल रहे । यात्री के उतरे चढ़े वाला क्रम चालू रहे । आगीला दिन में हमार बोगी में भीड़ कम हो गईल । खिड़की से बाहर के शीन देखत रहनी । ऊँचा ऊँचा पहाड़ पर्वत से उतरत झरना , इतरात बलखात नदी नाला, के पानी चानी जईसे चमकत रहे ।।
दुपहरिया के बाद फिर हमारा बोगी में सब शीट पर यात्री आ गईले । ज्यादा यात्री के वजह से शोर गुल बढ़ गईल । हम सुते के कोशिश करत रहनी जइसे आँख लागल । तबले ईगो बुजुर्ग महिला के आवाज सुनाईल बेटा ! ! हमनी के लगे सामान ज्यादा बा ऐसे इ तहरा शीट के नीचे हमनी के कुछ सामान रख देत बानी । कवनो तकलीफ ना नु होइ तहरा ? ना आम्मा कवनो दिखत ना रख दी । कही के हम सूत गईनी । रात के खाना खा के हम फिर सुत गईनी । सुबह अलार्म बाजल ता उठनी | हमार मंजिल आ गईल रहे । हम उतरे खातीर आपन बैग शीट के नीचे से निकलनी । बैग निकलते हमार आंख फाटल के फाटल रह गईल । काहे की हमार बैग बदला गईल रहे । हम मायुश हो के सोचे लगनी की का करी !! बैग पुलिस के दे दी ?? की कही रास्ता में फेंक दी एमे कवनो चोरी के सामान ता नईखे ?? बाकिर ऊ आम्मा हमरा साथै आइसन काहे करीहे ?? अईसन हजारो सवाल में डूबल हम रेक्सा पकड़ के रूम पर आ गईनी ।
एक दिन बितला के बाद सोचनी की एक बेर इ बैग के खोल के देखी की का बा एमे । बैग के ताला तुड़ के खोलनी । इ बेर फेर हमार आँख फाटल के फाटल रह गईल । बैग के भीतर सोना चांदी के गहना आ कीमती साड़ी कपडा रहे । मन खुश हो गईल । कबो मन करे की पुलिस के खबर का दी !! कबो मन करे की बेटा रख ले हरिचन्द्र बनला के काम नइखे । इ उधेड़ बुन आ घबराहट से हमार पसीना छूटे लागल ।
कुछ देर सोचला के बाद हम फैसला लिहनी की इ बैग के हम वापिस करेम । बाकिर केइसे करबा बेटा तहरा लगे ता कवनो पता बा ना ?? इ फेर हमरा सैतानी मन के जबाब रहे । हनुमान जी के मंदिर लगे रहे गइनी आ गोहार लागैनी की हमरा के इ बोझ से मुक्ति दिलाई । हम रूम पर वापीस आ गईनी । बेग के सब समान के तलासी लेबे लगनी । बहुत देर के बाद साड़ी में एगो छोट पर्ची मिलल जवना पर दोकान के टेलीफोन नॉ लिखल रहे । बहुँत मुश्कील से ओ नम्बर से बात भईल ता पता चलल की कवनो शर्मा जी के बारे में जवन हमरा शहर से दू सौ किलो मिटर के दुरी पर रहलन ।
हम बैग लेके चलल देहनी आधा अधूरा जानकारी लिहले । रात में पहुँचनी ओ पता के नजदीकी स्टेसन पर । कैइसहु रात गुजार के बस पकड़ के सुबह ओ पता के आस- पास पहुँचनी । बहुँत मुश्किल होत रहे खोजे में लगभग दुपहरिया हो गईल बिना ख़इले पियले । पास के एगो चाय के दुकान पर चाय पीयत रहनी ता उहवाँ कुछ लोग बात करत रहे … की शर्मा जी के कवनो चोर ट्रैन में बैग चोरी कर लेहलश जवना के चलते शर्मा जी के हालत बहुँत खराब बा ।
हम पास में जा के पूछनी ता मालूम चलल शर्मा जी के घर । घर पर सब के हूँ उदास रहे । उ आम्मा शर्मा जी के चारपाई के लगे बैइठ के रौवत रहली । हम अम्मा से पूछनी की आम्मा हमरा के पहिचानत बाड़ू ?? आम्मा …उ ट्रैन में तू ही रहला ऊहे नु ! ! ! ??
अतना सुनते आस – पास के कुछ नवजवान हमरा के चोर समझ के अधमरा कर देहलश लोग । बहुँत मुश्कील से आपन जान बचवनी । आ शर्मा जी से आपन सब बात बतावनी की हम उ बैग के वापीस केरे आईल बानी । रउवा आपन सामान मिला ली की सब बा कि ना ! अतना सुनते शर्मा जी खटिया से उठ के बइठ गईनी । अम्मा आ शर्मा जी के सामने बैग खुलल ता सबकर ख़ुशी के ठिकाना ना रहे । अम्मा शर्मा जी आशीर्वाद दे रहे लोग । बाकिर नवजवान लोग माफी माँगत रहे लोग अपना करनी पर । हमार दर्द से हालात खराब होत रहे बाकिर ओ परिवार के ख़ुशी के आगे हम दर्द के भुला गईनी ।
कुछ देर रुकला के बाद हम आपन बैग लेके वापीस जायेके आज्ञा मँगनी। ता कुछ बुजुर्ग लोग राय दिहलाश की इ लईका के कुछ रूपिया इनाम में दे दिहल जाओ ताकी ओ कर ट्रैन के किराया हो जाओ । शर्मा जी आ अम्मा दुनो लोग आईल लोग आ बिनती कइल लोग रुके के आ पैसा ले लेबे के । हम उ गहना आ कपडा के बारे में पूछनी ता पता चलल की शर्मा जी के बेटी के 2 दीन के बाद शादी बा । हम कहनी की आम्मा हम एकही शर्त पर रुकेम । हम इ इनाम उ बेटी के हाथ से लेम जेकर शादी होख़े वाला बा ??? हम एक बेर ओ लईकी से मिले के चाहत बानी ! बड़ी मुस्किल से हमरा सामने एगो पियर हर्दी लागल गुड़िया जइसन लईकी आईल ।
हम कहनी बहिन इ बैग पहुँचावे के चलते हम आपन साईट पर जॉइनिंग ना कर पवनी जवना के चलते । आज हमरा के नोकरी से निकाल दिहल गईल । आ हमार पैसा भी खर्च हो गईल मार तक खैनी दर्द साहनी । हम तहरे हाँथ से ईनाम लेम । हमार बिनती बा की तू इनकार मत कारिहा देबे से । बोला देबू नू ??
हम कहनी .. हमरा कलाई पर ईगो राखी बाँध दा इ हमरा खातीर बहुँत बड़हन ईनाम होई । अतना सुनते आम्मा आ शर्मा जी दुनो लोग हमार देह पकड़ी के रोवे लागल लोग । राखी ता ना मिलल बाकिर उ (बेटी ) बहीन आपन चुनरी के कोर फाड़ी के हमार कलाई पर बंधली ।
दू दीन बाद ओ बहिन के डोली में बिदा कइला के बाद । हम वापिस चलल आईनी । नोकरी छुटला से करोड़ गुना ख़ुशी बहिन मिलला के रहे आ बा ।।।
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