Bhojpuri Book Bhojpuri Lok-sanskriti | भोजपुरी किताब भोजपुरी लोक-संस्कृति
ऐसे नैसर्गिक वैविध्य से सम्पन्न भारत मे अनेक भाषाओ ओर बोलियो का जन्म हुआ। गगा के तटीय इलाको से सिचित भोजपुरी क्षेत्र की कुछ अपनी विशेषताए है। इसकी बोली में कुछ ऐसी मिठास ओर करणाई झकृति है कि यहा के जन-जीवन के उल्लास-बिषाद, शोय ओर पराक्रम का आकषण अतर्राष्ट्रीय स्तर तक बना हुआ है।
यह प्रसन्नता का विषय है कि भोजपुरी लोक-साहित्य के प्रख्यात विद्वान् और लोकगीतो के सग्राहक डॉ० कृष्णदेव उपाध्याय ने भोजपुरी लोक-संस्कृति के सम्बन्ध में एक प्रामाणिक ग्रन्थ का प्रणयन किया है। भोजपुरी लोक-सस्कृति विराट् भारतीय सस्कृति के सामासिक स्वरूप का ही अग हे। इस दृष्टि से भोजपुरी लोक-संस्कृति पुस्तक का अध्ययन उपयोगी होगा। आज जब कि क्षेत्रीयता और भाषिक अभिनिवेश के कारण राष्ट्रीय एकता के सामने चुनौतियाँ आती जा रही है, उस स्थिति में भोजपुरी अचल के सास्कृतिक वृत्त का समेकित स्वरूप ग्रन्य में प्रस्तुत करना अपने में एक चुनोती है। किन्तु इस अचल के लोक-विश्वास, रहन-सहन, खान-पान, पर्व-ब्रत, उत्सव, परिवार, संस्कार, प्रथाएँ, लोक-कला, मनोन्जन, आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक और दार्शनिक स्वरूप के सम्बन्ध में व्यापक जिज्ञासा-भाव रहा है।
भोजपुरी फिल्मो की सफलता और भोजपुरी लोकधुनो की मादकता ने भारतीय जन-समाज को प्रभावित वि मारिशस आदि में बसे भोजपुरी भाषा-भाषियो मे जागृति आयी है और भोजपुरी लोक-जीवन के माध्यम से भारतीय संस्कृति की पहचान विश्व मे बनती जा रही है, उससे भोजपुरी लोक-सस्कृति के विविध आयामो के प्रति व्यापक जिज्ञासा बढ़ती जा रही है।
विश्वास है, डॉ० कृष्णदेव उपाध्याय जैसे मनीपी ओर समथ भोजपुरी भाषा-साहित्य के नदीष्ण विद्वान् की इस कृति को सम्यक् परिप्रेक्ष्य में देखा ओर परखा जायेगा। ग्रन्थ मे आए हुये सन्दर्भ कठोर वास्तविकताओ और नग्न यथार्थों से प्रभावित है। कही-कही लेखक ने समाजशास्त्रीय अध्ययन-सरणि का अनुगमन किया है। कही भी लेखक का भाव ऊँच-नीच, साधु-असाधु, श्लील-अश्लील के भावो से बोझिल नही है। जो कुछ भोजपुरी जीवन-प्रवाह मे व्यजित और चित्रित है, उसका सागोपाग विवरण ग्रन्थ मे प्रस्तुत किया गया है। आशा है, भोजपुरी लोक-संस्कृति ग्रन्थ का उपयोग जिज्ञासुजन भली-भाति करेगे।
भोजपुरी लोक-संस्कृति ग्रंथ मे दिये गये अधिकाश रेखाचित्र प्रोफेसर रामचन्द्र शुक्ल की प्रेरणा और विद्वान् कलाकार डॉ० रामशब्द सिंह के उदार सहयोग से प्राप्त हुए है। इन रेखाचित्रो एव छायाचित्रो के कारण ग्रंथ की सज्जा मे वृद्धि हुई है। में उनके सहयोग के लिए आभार ज्ञापित करता हूँ
डॉ० प्रेमनारायण शुक्ल
साहित्य-मत्री
डॉ० कृष्णदेव उपाध्याय जी के लिखल किताब भोजपुरी लोक-संस्कृति डाउनलोड करे के खातिर क्लिक करीं
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Download Bhojpuri book Bhojpuri lok-sanskriti written by Dr Krishnadev Upadhyay.
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