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श्री पी राज सिंह जी के लिखल भिखारी ठाकुर के गाँव से लवट के

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श्री पी राज सिंह जी के लिखल भिखारी ठाकुर के गाँव से लवट के
श्री पी राज सिंह जी के लिखल भिखारी ठाकुर के गाँव से लवट के

आंखो देखा हाल जननायक , महानायक , सास्कृतिक योद्धा अमर रंगकर्मी भिखारी ठाकुर जी के गांव से:

भाषा के अस्मिता ओह भाषा के बोलवाला समुदाय / समाज के अस्मिता से सीधा जुड़ल बा । लोक कलाकार भिखारी ठाकुर ना केवल भोजपुरी भाषा आ नाट्य कला के एगो नया ंचाई पर पहुंचवले बल्कि देश विदेश में बसल करोड़ों भोजपुरियन के एगो नया पहचान भी देहले । आज जब भी देश के बड़ बड़ शहरन में , राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में , दिल्ली के मंडी हाउस में , इंडिया हैबिटैट सेंटर आदि के मंचन से भिखारी ठाकुर के रचना के मंचन गायन होला , तब ई सन्देश भी जाला कि भोजपुरी मात्र अनपढ़ गँवारन के ही भाषा ना ह बल्कि एगो विकसित , सभ्य आ सुसंस्कृत आबादी के वाणी भी ह । एही कुल्हि कारणन से कुछ लोग भिखारी ठाकुर के भोजपुरी के शेक्सपियर , कालिदास आदि भी कहले बा । भिखारी ठाकुर के नाटकन आ गीतन में अपना समय के समाज के केवल रूप ही ना लउके , ओह में समाज के कुरीतियन के आलोचना भी लउकेला ।

आज जब भिखारी ठाकुर के गाँव राकेश कुमार सिंह आ उषा तितिकछु के साथे घुमे के इच्छा भईल त मन में एगो सुखद स्मृति रहे । राकेश जी लिंग हिंसा के खिलाफ जागरण खातिर साइकील से भारत भ्रमण पर निकलल बानी । उषा तितिकच्छू उनकर साथ देबे खातिर काठमांडू से साइकील से आईल बानी । मन में एगो सुखद एहसास के साथे साथे कई प्रकार के प्रश्न भी उथल पुथल करत रहे । कईसन होई भिखारी के गाँव ? भिखारी के घर परिवार में के के बा ? भिखारी के मरला के बाद उनकर कला के का भईल ? उनके गिरोह में से अब केहू बा की ना ?आज के समाज आ सरकार भिखारी के ऋण के के तरी चुकवले बा ? आदि आदि ।

डोरीगंज के बंगाली घाट भा तिवारी घाट से नाव से गंगा नदी के ओह पार गईला पर पहिलका गाँव कुतुबपुर भेंटाला । नावन पर आदमी ,माल मवेशी , साइकील मोटर साइकील , सब्जी दूध सभे लदाला आ सवारी भईले पर नाव खुलेली सन । एह घाटन से सोन के लाल बालू के एगो बड़ कारोबार होला । लगहीं बाएं आ दाहिने ओह पार गंगा आ सरजू के संगम भी बा । त्रिवेणी के कारण जल सम्पदा भरपूर बा । पेशा से फोटो पत्रकार उषा तितिकच्छू के कैमरा एह सब दृश्यन के कैद करे में रुकत ना रहे । शायद छपरा आ आरा के जोड़े वाला सड़क पुल के नाम भी भिखारी ठाकुर पुल राखे के प्रस्ताव बा । तैयार भ गईला के बाद हाजीपुर पटना के गांधी सेतु से भी ई बड़ पुल होई । पुल के काम लगभग पूरा हो आईल बा । नदी के बीच के दस गो पाया के जोड़े भर के काम बाकी बा ।

ओह पार नदी किनारे दायें एक की मी गईला पर पहिलका गाँव कुतुबपुर भेंटाई । गाँव में 6-7 गो फुस पलानी के एगो छोट बाजार बा । एक ओरि एगो चौताल बनल बा । एक कोना में भिखारी ठाकुर के संगमरमर के छाती भर के मूर्ति बा । सरकारी कृपा से स्थापित बनल एह भाग के गाँव के लोग आश्रम कहेला । मूर्ति एगो साधारण कलाकार के हाथ के ही बनल बा । मेंहीं कलकारी जवन बड़ बड़ शहरन में नेता लोग के मूर्ति में लउकेला ओह में नइखे । 18 दिसंबर के भिखारी ठाकुर के जन्म दिन के पटना से बड़ बड़ कलाकार लोग जुटेला आ गीत गवनई के कारक्रम होला।

एकरा अलावा हमरा अइसन कवनो चिन्ह ना मिलल जेकरा से बुझाव कि ओह गाँव , समाज के उन्नति खातिर सरकार चेतनशील बिया । गाँव में आज भी माटी के सड़क बा । कवनो सवारी बस छगड़ा गाँव से ना चले । गाँव के लोग आपन साधन से 4 की मी दूर बबुरा जाला । उहाँ से आरा जाये के सवारी मिलेली सन । जिला मुख्यालय छपरा आवे खातिर नाव के सहारा लेबे के परेला । नाव खातिर एगो स्वास्थ्य केंद्र बा जहां कबो डाक्टर ना आवस । लईकन के पढाई खातिर बगल के गाँव चकिया में वर्ग 5 तक खातिर एगो पाठशाला बा । बिजली त दूर के बात बा झुलत तार भी दूर दूर तक ना लउकल । ग्रामीण आपन उद्यम से चापाकल गाड़ के पानी के व्यवस्था कईले बाड़े । कहे के माने अजादी के 68 साल बाद भी प्रारंभिक स्तर के जे कवनो सुविधा कवनो भी गाँव में रहे के चाहीं कवनो नइखे एह गाँव कुतुबपुर में ।

भिखारी ठाकुर के वंशज में उनकर पोता राजिंदर ठाकुर थोड़े ठीक स्थिति में बाड़े । अभी लगभग सत्तर बरिस के बाड़े आ रेल से रिटायर कईला के बाद गाँवही में रहेले । बाकि सब लोग छोट मोट नोकरी व्यवसाय से केहू तारे भरण पोषण करेला ।

भिखारी ठाकुर के मंडली में से एकमात्र किशुनदेव शर्मा अभी जीवित बाड़े । किशुनदेव शर्मा से दू तीन गो गीत हमनी के हरमोनियम पर सुननी जा आ रिकॉड कईनी जा । भिखारी ठाकुर के सरबेटा प्रभुनाथ ठाकुर अबहियों नाच पार्टी चलावेले आ भिखारी के परम्परा के आगा बढ़ावे के कोशिश में लागल बाड़े बाकिर देह धाजा देखला पर इहे बुझाइल कि रोटी खातिर हांथ आ मुहँ के खेल में अझुराईल बाड़े । जुग आ समय बीतल । कसेट , टी वी आ बड़ बड़ बिजली से चले वाला वाद जन्तर के जमाना में साधनहीन कवनो भी लोक कलाकार के जवन दशा के कल्पना कईल जा सकेला साफ साफ प्रभुनाथ ठाकुर के देखला पर बुझा जात रहे । संग्रहालय के नाम पर राजिंदर ठाकुर के एगो छोट कमरा बा जवना में भिखारी ठाकुर के मिलल मानपत्र , पुरस्कार आदि फोटो के साथे देवाल पर टाँगल बा । भिखारी ठाकुर के फोटो में से दू तीन फोटो ही लउकल आ सब नेट उपलब्ध बाड़ी सन ।

कहल जा सकेला कि ई नेता लोग के भोजपुरी प्रेम देखावटी आ मौकापरस्ती के बढिया उदाहरण बा ।

श्री पी राज सिंह जी के , परिआर जाड़ा मे इंहा के भिखारी ठाकुर के गाँव कुतूबपुर गइल रहनी

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