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ना रोअले रोआत बा ना हंसले हसात बा

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ना रोअले रोआत बा ना हंसले हसात बा
मत पुछी बोझ जीन्गी के कईसे ढोआत बा
कर देहलस बेभरम मंहगाई आदमी के
उधार लेके जीन्गी के गाड़ी खींचात बा
कबो बाढ आईल त कबो सुखाड़ ले गईल
खेत त हर साल नीमने बोआत बा
अब त मुँह फेर लेत बीया अपने मेहरारू
पाकेट मे जइसे पईसा ओरात बा

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उबाल एतना भी ना होखे की,
खूनवे सुख के उड़िया जाए।

धीरज एतना भी ना होखे की,
खुनवा जमे त खउले ना पाए॥

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“का कही हम पढ़त बानी
मने मन तऽ डरत बानी
समझ पाईब खाक पत्थर
भईस बराबर करिया अक्षर
विद्या खेती करत बानी
का कही हम पढ़त बानी”

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सावन में झूलूआ झूलत रहलू
बदरी घेराइल त झूमे लगलू
बरखा बूनी के ना हम देखनी
सजनिया तोहसे प्रीत लगवनी

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