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गिन गिन बिती गईल परब के दिन

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गिन गिन बिती गईल परब के दिन,सईया नाहीं अईले ना ।
अरमान भईल छिन भिन्न, सईया नाहीं अईले ना ।

कहि के गईले अबकी होली पर आईब ,वसंती रंग में धनिया तोहके डुबाईब
खुशी खुशी होली में रंगवा लगाके ,तोहरे ही हाथ धनि पुवा पुड़ी खायब ।

रहिया देखत बित गईले फगुनवा के दिन। सईया नाहीं अईले ना ।
अरमान भयल छिन भिन्न , सईया नाहीं अईले ना ।

बार बार लिखले धनि सावन में आईब , सखियन संग तोहके झूला झूलाईब
कुछु हो जाय अब समय पर आईब,तोहरा के कजरी गा गा के सुनायब

लागत बा बिती अबकी सवनवा
जियरा भयल बेदिनवा,सईया नाहीं अईले ना अरमान भयल छिन भिन्न , सैंया नाहीं अईले ना ।

—-लल्ला बिहारी “भोजपुरीया”

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