दुखवा के बतिया, लिखत बानी पतिया में,
लोरवा गिरेला दिन रतिया सहेलिया.
लगन देखि शादी भईल, पोथियो भी झूठ भईल,
धूल में सोहाग मिल गईल रे सहेलिया.
मईलअ कुचईल जबअ, कपड़ा पहिनी जबअ,
लोग कहे हमरा के फूहड़ रे सहेलिया.
साफ सुथड जब रहीं, लोग हँसें कही कही,
ई त अब मन के बिगडलस सहेलिया.
घर आ बहरवा के, बिगडल लोगवा के,
बुरा बाटे हम पे निगहवा सहेलिया.
दुनिया के रीति नीति, देखि देखि हम सोची,
मन के लगाम टूटी जाई रे सहेलिया.
गोतीनि-देयादिनी के, अपना पिया के संगे,
देखि जिया ह्हरेला हमरो सहेलिया.
मन के पियास जब, हमके सतावे तब,
कईसहूँ ईज्जतअ बचाइं रे सहेलिया.
लाजवा के बतिया हम, लिखी कईसे पतिया में,
दुनिया के मरमो, ना जननी सहेलिया.
जिनगी के आपन पोल, केतना दी हम खोल,
घर में कुतियो के ना मोल रे सहेलिया.
गोदवा में रहिते जे, एकोगो बालकवा त,
ओकरे में मन अझूरईती सहेलिया.
बाकिर गोद बाटे सुनअ, सोची सोची सूखे खूनअ,
जिनगी में खाली बा अन्हारे रे सहेलिया.
कुहुकी कुहुकी चिडई, पिंजरा में जीयतारी,
व्याध ई समाज गोली मारे रे सहेलिया.
पतिया के बात माँई से जनी कहिअ,
कही दीहअ बेटी नीक बाटी रे सहेलिया.