भोजपुरी के बढ़िया वीडियो देखे खातिर आ हमनी के चैनल सब्सक्राइब करे खातिर क्लिक करीं।
Home आलेख विश्व में आपन भोजपुरी

विश्व में आपन भोजपुरी

0
विश्व में आपन भोजपुरी
विश्व में आपन भोजपुरी

आपन भोजपुरी भाषा आधुनिक भारतीय आर्यभाषा परिवार के महत्त्वपूर्ण भाषा मानल जाले । विद्वान लोग एकरा के हिन्दी क्षेत्र के एगो महत्त्वपूर्ण उपभाषा मानला । क्षेत्र आ आबादी के विचार से ई हिन्दी के बाद भारत के सबसे लमहर भाषा ह । ‘पालि भाषा एकर पहिल पुरान रूप ह ।’ बारहवीं सदी के बाद कोसली भाषा, जवन बुद्धदेव का उपदेश के अउर सँडसेकासी आ कोसल राज्य (पूरब में पटना से पच्छिम में दिल्ली आ दक्खिन में सावत्थी से अवन्ति तक) के व्यवहार के भाषा रहे, ए के दूगो रूप छिनगल आ पूर्वी रूप भोजपुरी आ पच्छिमी रूप अवधी हो गइल ।

पूरब के मागधी आ पच्छिम के शौरसेनी के बीच एह मध्यदेशीय भाषा भोजपुरी के डॉक्टर ग्रियर्सन एगो काल्पनिक भाषा अर्द्धमागधी से विकसित बतवलन आ उनका बाद उनका मत के समर्थक देशी-विदेशी विद्वान उनका एह स्थापना के आर्ष वचन मान के खूब प्रचार-प्रसार कइले ।

विश्व में आपन भोजपुरी

डॉ० हार्नले आ डॉ० ग्रियर्सन त एकरा के बिहारी वर्ग के मैथिली आ मगही के साथे रख दीहलें, जबकि भोजपुरी बिहार से अधिक उत्तर प्रदेश में बोलल जाले । दोसरे एकर भाषिक प्रवृत्ति-प्रकृति मागधी श्रेणी का मैथिली आ मगही के अपेक्षा शौरसेनी के अवधी के अधिका निकट बा । खैर, भोजपुरी भाषा आ भोजपुरी भाषी जनता के घेरे आ व्रात्य अथवा प्राच्य प्रदेश के साबित करे के साजिश पुरानकाल से होत आइल बा आ आजुओ हो रहल बा जबकि भोजपुरी भाषी क्षेत्र प्राच्य आ उदीच्य के बीच के मध्य देशीय क्षेत्र है, जहँवा के भाषा ना उदीच्य के तरे रूढिबद्ध बा आ ना प्राच्य के तरे शिथिल ।

ई बीच के राह अपना के विकसित होत आइल बा अउर एकरा के बोले वाला लोग एगो सीमित घेरा में ना रहके भारते ना बल्कि भारत के बाहर कई देशन में अपना एह भाषा आ संस्कृति के साथे जाके रस-बस गइल, जवना के बदौलत आज विश्व का कई देशन में भोजपुरी भाषा-संस्कृति के बहुते तेज गति से विकास हो रहल बा ।

भोजपुरी सिनेमा के ताजा समाचार पढ़ने के लिए क्लिक करें

आज हमरा एह बात के गुमान बा कि भारतवंशी भोजपुरी भाषी सभे अपना आस्था अउर धैर्य के बदौलत खाली भारते ना बल्कि विश्व के नेपाल, मारिशस, फिजी, सूरीनाम (डचगुयाना), गुयाना (ब्रिटिश गुयाना), युगान्डा, बैंकाक (थाइलैंड), केनिया, वर्मा, ट्रिनिडाड आ टोबैगो, सिंगापुर, जमाइका, मालदीव, फिलिपीन्स (साइबेरिया), अमेरिका, दक्षिण अफ्रिका आदि अनेक प्रमुख देशन में अपना भोजपुरी भाषा आ सांस्कृतिक विरासत से साहस अउर प्रेरणा पाके आपन एगो खास पहचान बना चुकल बाडन, जवना के परिणाम स्वरूप आज भोजपुरी अन्तरराष्ट्रीय भाषा कहाये के हकदार बिया । अब इहँवा एह तमाम देशन में विस्तार पावत भोजपुरी भाषा के वर्तमान स्थिति के आकलन खातिर उदाहरन के रूप में कुछ खास-खास देशन के भोजपुरी भाषा आ साहित्य के लेखा-जोखा प्रस्तुत कइल जाई।

भारत वर्ष आपन भोजपुरी के जनम-धरती है। बिहार प्रांत के भोजपुर क्षेत्र के नांव पर एह भाषा के नामकरण संस्कार कइल गइल बा, बाकी ई भाषा भारत वर्ष में बिहार के अलावे झारखंड, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ अउर मध्य प्रदेश के कई जिलन में बोलल जाले ।

बिहार के भोजपुर, कैमूर, बक्सर, हितास, सारन, सिवान, गोपालगंज, पूर्वी चम्पारन, ‘पच्छिमी चम्पारन, मुजफ्फरपुर के पच्छिमी भाग आ झारखंड के राँची-पलामू के अधिकतर इलाका आउर उत्तर प्रदेश के बलिया, गाजीपुर, देवरिया, गोरखपुर, बस्ती, मऊ, आजमगढ़, जौनपुर, बनारस, चन्दौली, मिर्जापुर, सोनभद्र, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज के अलावे फैजाबाद के कुछ हिस्सन के मातृभाषा भोजपुरी है ।

छत्तीसगढ़ के जयपुर, विलासपुर, रीवा, सरगुजा आदि इलाका के ई मातृभाषा ह । मध्यप्रदेश के सीधी जिला भोजपुरी भाषी बा । एह चारो राज्यन के अलावे बंगाल, आसाम, महाराष्ट्र दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गुजरात आदि अनेक राज्यन का कई प्रमुख औद्योगिक शहरन में भोजपुरी भाषी लोग अपना भोजपुरी भाषा आ संस्कृति के जियावे-जोगावे के सड़े-सङ रोजी रोजगार में लागल बाड्न ।

आज भोजपुरी भाषा, साहित्य आ संस्कृति के पहचान-उत्थान खातिर विश्व भोजपुरी सम्मेलन (दिल्ली), विश्व भोजपुरी सम्मेलन (मुम्बई), अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन (पटना), अखिल भारतीय भोजपुरी भाषा सम्मेलन (देवघर), भारतीय भोजपुरी साहित्य परिषद् (मुजफ्फरपुर), अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य परिषद् (लखनऊ), भोजपुरी विकास परिषद् (सारन) दिल्ली भोजपुरी समाज (दिल्ली) आदि नांव के अनेक अन्तरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय, प्रान्तीय आ क्षेत्रीय भोजपुरी सेवी संस्था से जुड़ल भाषाविद् साहित्यकार, समीक्षक, कलाकार आदि लोग अपना भाषिक, साहित्यिक आ सांस्कृतिक कार्यन में अहर्निश जुटल बाड़न । अपना मातृभाषा भोजपुरी के प्रति समर्पित एह परमार्थी भाषा-साहित्य संस्कृतिसेवी लेखक लोग के बदौलत आज भोजपुरी एह मुकाम पर पहुँचल बा ।

आज हमरा ई बात कहे में इचिको हिचक-झिझक नइखे कि हमार भोजपुरी भाषा बिना कवनो सरकारी वैशाखी के ओह ँचाई पर आपन पताका फहरा रहल बा, जवना के देखे में बहुतेरे सरकारी वैशाखी पर टिकल भाषा सब का गरदन में दरद हो जाई । आज साहित्य के कवनो अइसन विधा नइखे जवना में भोजपुरी भाषा विश्व का कवनो भाषा से पीछे होखे ।

एकरा में लिखल कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, निबन्ध वगैरह विश्व का कवनो देश का समृद्ध भाषा का साहित्य के सामने तुलनात्मक मूल्यांकन खातिर प्रस्तुत बा । एतने ना, बिहार प्रांत के अनेक विश्वविद्यालयबिहार विश्वविद्यालय (मुजफ्फरपुर) कुंवर सिंह विश्वविद्यालय (आरा), जय प्रकाश वि.वि. (छपरा), मगध वि.वि. (गया), पटना वि.वि. (पटना), संस्कृत वि.वि. (दरभंगा) आ झारखंड के राँची वि.वि. (राँची) उत्तर पद्रेश के जौनपुर वि.वि. आदि में भोजपुरी (भाषा आ साहित्य) उच्च शिक्षा खातिर एगो सम्मानित विषय के रूप में पढ़ल-पढ़ावल जाले । देश के भोजपुरी भाषी इलाका के आकाशवाणी आ दूरदर्शन से भोजपुरी से सम्बन्धित अनेक साहित्यिक सांस्कृतिक कार्यक्रम होत रहेला । एतने ना, अनेक भोजपुरी-गैर भोजपुरी पत्र-पत्रिकन के माध्यम से एकरा विकास के दिसाईं काम हो रहल बा । बाकिर एह सब के बावजूद भोजपुरी अपने देश में अपने लोग से उपेक्षित रहल बिया । ई बात केहू से छिपल नइखे कि भोजपुरी भाषा आ भोजपुरी भाषी लोग में देशभक्ति के भावना कूट-कूट के भरले होले ।

मुगल काल के भक्ति आन्दोलन होखे चाहे देश के स्वतंत्रता आन्दोलन, भोजपुरी भाषी अपना भाषा आ जुझारू संस्कृति के परिचय सबका से दू डेगा आगे बढ़के दीहल आ राष्ट्रभाषा हिन्दी के निर्माण-उत्थान में जी-जान से जुटल रहल आ आजुओ जुटल बा । हमरा विचार से भोजपुरी भाषी भारतीय लोग अपना एही परमार्थी प्रवृति मूलक संस्कारन के चलते अपना मातृभाषा, साहित्य, संस्कृति सबके अब तक भइल उपेक्षा के नजरअंदाज करत आइल बाड्न ।

सभे जानता कि जब-जब राष्ट्र अउर राष्ट्रभाषा के अस्तित्व पर कवनो तरह के खतरा महसूस भइल बा, तब-तब भोजपुरी भाषी अपना अस्तित्व के चिन्ता त्याग के राष्ट्र अउर राष्ट्रभाषा के रक्षा खातिर आगे आइल बाड़न । बाकी अब जबकि देश आजाद हो गइल, देश के छोट-छोट भाषा भारतीय संविधान के आठवाँ अनुसूची में स्थान बनवला के साथ-साथे रोजी-रोजगार के भाषा बनके अपना लोगन का बेरोजगारी के बोझ हल्लुक कर रहल बा । तब एह स्थिति में भोजपुरी भाषी अपना एह उपेक्षा के कब तक सहत रहिहें जदि समय रहते देश के केन्द्रीय अथवा भोजपुरी भाषी प्रान्तीय सरकार एकरा विकास के निमित्त कारगर कदम ना उठावल त फेर दिन दूर नइखे जब भोजपुरी भाषी का अपना भाषा, साहित्य आ क्षेत्र के विकाखातिर आपन हक लड़के छीने के पड़ जावं आ इहो तय बा कि जब भोजपुरी भाषी बूढ-जवान लरिका-सयान एह दिसाई ठान लीहन तब फेर चाहे जे हो जाव आपन हक कवनो विधि लेके दम लीहें ।

भोजपुरी का एही संस्कार के उजागर करत भुवनेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव ‘भानुजी” लिखले बाड्न-

‘झूठ ना बखाने जाने, छूतछात नाहीं माने ।
माने जाने सभ के, ना जाने जी-हजुरिया ।
धुरिया चढ़ावे जाने, पीठ ना देखावे जाने ।
दीठ ना लगावे जाने, आन के बहुरिया ।
आन पर लडावे जान, जान के ना जान जाने ।
चले के उतान जाने, तान के लउरिया ।
बानी मरदानी जाने, चाल मस्तानी ‘भानु’ ।
होला एक पानी के मरद भोजपुरिया ।।”

आपन भोजपुरी भाषी पुरखा लोग अपना सीधापन आ संघर्षशील संस्कारन के बदौलत विदेशियन के अनेक तरह के अन्यायपूर्ण शोषण, उत्पीड़न के झेल के विश्व के अनेक बंजर, ऊसर, वीरान पड़ल द्वीप अउर देशन में हरियाली ला दीहलें । कइसनो खांडवप्रस्थ के इन्द्रप्रस्थ बनावे के हुनर एह भोजपुरी भाषी लोग में बा । बाकि एह लोग में कमी इहे बा कि ई लोग थोड़ा देर से जागेला, बाकिर जब जागेला । बहुत तरह के उथल-पुथल मच जाला ।

अलग अलग देसन में आपन भोजपुरी

भारते के तरह नेपाल मारिशस, फिजी, सूरीनाम, ट्रिनीडाड आ टोबैगो, हालैण्ड, बर्मा आदि देशन में भोजपुरी भाषा, साहित्य : आ संस्कृति के पहचान-उत्थान खातिर अनेक भोजपुरी सेवी संगठन से जुड़ल साहित्यकार, कलाकार आ शोधी विद्वान नि:स्वार्थ भाव से लागल बाड़न । नेपाल भारत के पड़ोसी राज्य हे जवना के सात जिला- रौतहट, बारा, पर्सा, चितवन, रूपन्देही, नवलपरासी आ लुम्बिनी भोजपुरी भाषी बा ।

नेपाल का सँउसे आबादी के 12. 9 प्रतिशत आबादी भोजपुरी भाषी बा, जवना में आदर्श भोजपुरी बोले वाला 7.5% आ भोजपुरी के उपबोली थारू बोले वाला 5.4% बाड़न । भोजपुरी नेपाल के तिसरकी भाषा हो । नेपाल के संविधान में एकरा के राष्ट्रभाषा के रूप में स्थान दिहल बा । नेपाल सरकार के आपन निकाय; जइसे- नेपाल राजकीय प्रज्ञा प्रतिष्ठान, नेपाल टेलीविजन आ नेपाल रेडियो आदि भोजपुरी भाषा, साहित्य, कला आ संस्कृति के उत्थान के कामें आ रहल बा ।

नेपाल राजकीय प्रज्ञा प्रतिष्ठान अपना पत्रिका; जइसे- सतपत्री, कविता आ समकालीन साहित्य में भोजपुरी साहित्य के स्थान देले अउर भोजपुरी के शोधी विद्वान के जरिये भोजपुरी भाषा आ साहित्य विषयक शोध कार्य करावेले, जवना में कुछ प्रमुख शोधकार्य बा- मुकुन्द आचार्य के भोजपुरी गद्य साहित्य”, भोजपुरी उखान टुक्का”, गोपाल ‘अश्क’ के नेपालीय भोजपुरी समकालीन कविता, नेपालीय भोजपुरी भाषा आ साहित्य के इतिहास, अउर भोजपुरी व्याकरण, शब्दकोश, लोककथा, लोकगीत, विषयक हो रहल शोध कार्य आदि । एही तरह से नेपाल टेलीविजन पर भोजपुरी के कई एक टेली फिल्म; जइसेकरवट, जानकी, कइसे भइल आदि, फुलवारी कार्यक्रम में भोजपुरी गीत प्रसारित-प्रदर्शित होत रहेला ।

नेपाल रेडियो से भोजपुरी समाचार आ सांस्कृतिक कार्यक्रम ”संगम” प्रसारित होला । नेपाल के भोजपुरी सेवी साहित्यकार साहित्य के हर विधा पर काम कर रहल बाड़न अउर उहँवा से कविता; कहानी, उपन्यास, निबन्ध आदि के अनेक ग्रन्थन के प्रकाशन लगातार हो रहल बा । एतने ना भारत आ नेपाल के भोजपुरी सेवी साहित्यकार एक दोसरा का संस्था के सदस्यों बाड्न आ हर एक भारतीय भा नेपाली सम्मेलन में भाग लेवेलन । उहँवा से ‘गमक’ जइसन भोजपुरी के कई एक पत्रिका प्रकाशित हो रहल बा ।

मारिशस में उहँवा का सँउसे आबादी के 69% लोग भारतीय मूल के बाड्न । मारिशस के राष्ट्रपिता पहिल प्रधान मंत्री राम गुलाम जी भोजपुरी भाषी रहलन । उनका बाद देश का सत्ता के बागडोर प्राय: भारतीय मूल के भोजपुरी प्रेमी लोग के हाथ में रहल । उहँवा राजभाषा में अंगरेजी के साथ-साथे फ्रेंच आ क्रियोली के बोलबाला बा । सरकारी विद्यालय में अंग्रेजी, फ्रेंच, हिन्दी, उर्दू, तमिल, तेलगू अथवा मराठी के पढ़ावल जाला ।

भारतीय लोग के बीच भोजपुरी व्यवहार के भाषा ह । उहँवा के लोग मारिशस के हिन्दी अथवा खड़ी बोली के भोजपुरी से विकसित मानेलन । मारिशस के जनता में हिन्दू, मुसलमान, मदरासी, तेलगू, मराठी, चीनी अथवा हबसी जे भी होखे सभे भोजपुरी समझेला-जानेला । भोजपुरी के किस्सा, बुझउवल, लोकगीत, लोकगाथा उहँवा काफी लोकप्रिय बा । बाकिर भारत के तरह उहँवो रेडियो, टेलीविजन आ सिनेमा के चलते एह किस्सा, लोकगीत के प्रति जनता के जुड़ाव कम हो गइल बा । तब रहल कि मारिशस आ भारत का भोजपुरी में फरक बा, काहे कि उहँवा के भोजपुरी में लगभग 30% फ्रेंच क्रियोली आ 3% अंग्रेजी के शब्द प्रयुक्त होले, मतलब उहँवा बोले जायेवाली भोजपुरी में 33% फ्रेंच, क्रियोली आ अंग्रेजी के शब्द बा । खैर, ई त स्वाभाविक बा कि भाषा पर भौगोलिक, सामाजिक आ सांस्कृतिक प्रभाव पड़बे करेला ।

एतने ना जब ‘कोसे-कोसे पानी बदले, सात कोस पर बानी” वाली बात बा तब त भारत आ मारीशस के बीच के दूरी त सभे जानता एने भोजपुरी का प्रति मारिशस- वासी लोग के झुकाव बढ़ल बा । लोग मारिशस भोजपुरी इन्स्टीच्यूट” जइसन शोध संस्थान खोल के भोजपुरी भाषा, साहित्य आ संस्कृति से सम्बन्धित शोधपरक कार्य कर रहल बा । ई संस्थानं ” भोजपुरी’ नांव के एगो पत्रिका अंग्रेजी में निकाले ला, जवना में भोजपुरी लोकगीत, कथा-कहानी, कविता आदि छपेला । मारिशस में भोजपुरी में लिखेवाला साहित्यकार लोग के संख्या दिने-दिन बढ़ रहल बा ।

फिजी का आबादी के 53% लोग आपन भोजपुरी भाषी बाड़न । फिजी के शासक वर्ग में भोजपुरी भाषी लोग के काफी भागीदारी रहल बा । उहँवा जवन फिजी-हिन्दी बोलल-लिखल जाला ओकरा में प्राय: क्रियापद के छोड़ के बाकी भोजपुरी के शब्द प्रयुक्त होला; जइसे- ”वे लोग घर पर नहीं हैं; (हिन्दी) – लोग घरे नहीं हैं । (फिजी हिन्दी), नीबू किसी पेड़ से तोड़कर लाओ । (हिन्दी)- निब्बू कोई पेड़ से तुड़ के लाओ । (फिजी हिन्दी) ।

‘फिजी में भोजपुरी आपसी बात-व्यवहार के भाषा ह आ भोजपुरी लोकगीत, कथा, कहानी के अलावे आधुनिक साहित्य के रचना फिजी में बसल भोजपुरी भाषी साहित्यकार लोग कर रहल बा ।

सूरीनाम मारशिस आ फिजी के तरे भारतवंशी लोग के देश कहल जा सकेला । सूरीनाम के सँउसे आबादी के 43% लोग भारतीय मूल के बा आ ओकरा में 60% से अधिक लोग भोजपुरी भाषी बा । उहँवा रह रहल भारत, अफ्रिका, जावा, चीन, इंडोनेसिया के मूल नागरिक, डच आ अंग्रेज सर्भ मिल-जुल के एगो नया समाज बनवले बा, जवना में कवनो तरह के जाति भा वर्ग भेद नइखे । आज उहँवा मुख्य रूप से दूगो भाषा प्रचलित बा । सरनामी आ ताकीताकी । सरनामी भाषा भोजपुरी, अवधी, ब्रज, खड़ी बोली आ पहाड़ी भाषा के मिलल-जुलल रूप ह । एकरा में भोजपुरी अपना रागात्मकता आ स्वर-प्रधानता के कारन अधिक प्रभावी बा । ताकाताकी ‘डच’ अंग्रेजी आ क्रियोल के मिलल-जुलल भाषा ह सूरीनामी लोग नीदरलैंड आ हालैण्ड से पारिवारिक रिश्ता के चलते आवत-जात रहेला आ उहँवों भोजपुरी-भाषी बस गइल बाड़न ।

सूरीनामी के संस्कृति आ भाषा, पर्व, तेवहार में आजुओ भोजपुरी भाषा-संस्कृति के स्पष्ट छाप नजर आवेला । उहँवा के भोजपुरी भाषी भारत वंशी लोग के बीच हाल के दिनन में भोजपुरी भाषा आ साहित्य के प्रति झुकाव बढ़ल बा ।

ट्रिनीडाड आ टोबैगो वेस्टइन्डीज के अंग देश ह । मारिशस, फिजी, आ सूरीनाम के भाँति एहू देश में भोजपुरी भाषी लोग अपना विश्वसनीयता आ प्रतिभा के बदौलत उच्च पद पर विराजमान बाड्न । एह देश में बिहार आ उत्तर प्रदेश के समस्त भोजपुरी प्रदेश के लोग पहुँचल बा । एह से इहवा के भोजपुरी पर पूर्वी आ पच्छिमी दूनों भोजपुरी के प्रभाव बा । इहँवा ” आपके लिए” खातिर ‘तू” भा ‘‘तहरा” शब्द के प्रयोग बा ‘रउआ’ भा ‘रउरा’ के ना । इहँवा के लोग होली, दीवाली, दशहरा जइसन पर्व-तेवहार खूब धूमधाम से मनावेला आ भोजपुरी लोकगीत, चौपाल, चइता, फगुआ आदि ढोल आ झाल के साथे गावेला । उहँवा गवाये वाला एगो चौपाल के नमूना प्रस्तुत बा

‘‘कन्हा कब से भयो घटवारी, कतने ठामहारी, दधी आउर दूध बहुत तोहरे घर, तबहूँ हाथ पसारी ।’

ट्रिनीडाड आ टोबैगो के निवासी आजुओ कासी में मरे आ गंगा नहाये के इच्छा राखेलन ।

वर्मा जवना के नया नांव म्यामार बा, पहिले भारते के अंग रहे आ भारत का विभिन्न इलाका के लोग नोकरी आ व्यापार करे वर्मा जात रहलन । छपरा, बलिया, गाजीपुर, आरा आ चम्पारन के लोग रंगून के “रैली ब्रदर्स” नांव के मसहूर कम्पनी में काम करस, बाकिर सन् 1935 ई० में वर्मा भारत से अलग हाक स्वतंत्र देश हो गइल आ उहँवा जाए खातिर पासपोर्ट आ बिसा बनवावे के जरूरत पड़े लागल । आजुओ वर्मा के राजधानी रंगून में भोजपुरी भाषी लोग के संख्या काफी बा । वर्मा के जिला टाँगू के अनेक गाँवन में पूरा के पूरा आबादी भोजपुरी भाषी लोग के बा । टाँगू जिला में ‘जय प्रकाश नगर” नांव के एगो बहुते लमहर गाँव बसल बा । ई गाँव भूतपूर्व डुमराँव राज्य के तत्कालीन मैनेजर जय प्रकाश लाल के नांव पर बसावल बा । एक तरह से वर्म में हजारन के संख्या में भोजपुरी भाषी लोग अपना भाषा आ संस्कृति के साथे जीवन बसर कऽ रहल बाड़न ।

एही तरह से थाइलैंड, हांगकांग, गुयाना, केनिया आदि देशन में भारतवंशी भोजपुरी भाषी लोग अपना भोजपुरी भाषा आ संस्कृति के जिया-जोगा के रखले बाड्न अउर भारत के आपन भोजपुरी भाषी लोग से मिले आ सम्बन्ध स्थापित करे के इच्छा राखेलन ।

एह तरह से वर्तमान में विश्व का अनेक देशन में भारत वंशी भोजपुरी भाषी लोग अपना भाषा आ संस्कृति के जीयावे-जोगावे खातिर संघर्षशील बाड्न, जवन परम संतोष के विषय बा । बाकिर एह नेक काम के गति देवे खातिर एह तमाम देशन के भोजपुरी भाषी साहित्यकार, भाषाविद् कलाकार विद्वान लोग का मिलजुल के आपसी सम्बन्ध मजबूत कर के कारगर डेग बढ़ावे के होई, जवना से भविष्य में भोजपुरी भाषा आ संस्कृति पर कवनो तरह के संकट ना आ पावे ।

आज विश्व में जवना तरह के भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक आ औद्योगिक-व्यावसायिक उथल-पुथल मच रहल बा, ओकरा से छोट-छोट भाषा आ संस्कृति पर खतरा मंडराये लागल बा । विद्वान लोग के अनुमान बा कि आज विश्व में बोले जाये वाली लगभग छव हजार से दस हजार भषन में से आगामी एक सदी में नब्बे प्रतिशत भाषा समाप्त हो जाई, जवना भाषा का बोले वालन के संख्या बहुत अधिक बा, उनको ऊपर खतरा मेड़रा रहल बा । काहे कि आज सूचना प्रौद्योगिकी आ इन्टरनेट का माध्यम से एगो वैश्विक संस्कृति के राह बन रहल बा, जवना के मुख्य भाषा बा अंग्रेजी ।

इहे कारन बा कि आज अंग्रेजी विश्व के आउर सब भाषा के निगल जाये खातिर सुरसा जइसन मुँह बा के खड़ा बिया । एह से भविष्य में आवेवाला एह भयानक संकट से बचे खातिर हम सब के मिलजुल के कुछ अइसन भाषा नीति बनावे के होई जवना के बल पर अपना मातृभाषा आ राष्ट्र भाषा के बचावल जा सके । भोजपुरी-हिन्दी भाषा आ साहित्य के काफी समृद्ध बनाके जन-जन की जरूरत के विषय बनावे के होई, जवना के बदौलत ई दूनो भाषा भावी संकट के सामना कर सके ।

ऊपर वर्णित भावी संकट से निपटे खातिर अन्तराष्ट्रीय हैसियत वाली एह भोजपुरी भाषा, जवन संस्कृत अउर हिन्दी जइसन समृद्ध भाषा-साहित्य परम्परा से जुड़ल बिया, के आधुनिक आवश्यकता के अनुरूप सजावे-सँवारे के होई अउर भोजपुरी भाषी लोग का अपना हीन भावना के त्याग क के भोजपुरी भाषा के प्रयोग में गर्व-गुमान महसूस करे के होई । एकरा के एगो व्यापक मानक स्वरूप देके जुग के अनुरूप व्यापार शासन-प्रशासन के भाषा बनावे के होई । भाषा के मानकीकरण अउर लिपि के सक्षमीकरण के सङ-सङ एकरा शब्दन के वर्तनी निश्चित करे के होई । भोजपुरी भाषा, साहित्य, समाज वगैरह से जुड़ल तमाम जानकारी आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, सांख्यिकी वगैरह सब हम सब के पास हस्तामलकवत् मौजूद हो के चाहीं, एह कम्प्यूटर जुग में ई सब सहज संभव हो सकेला । भोजपुरी के प्राचीन लोक साहित्य के सुरक्षित रखे के कारगर उपाय के साथे-साथ समकालीन आधुनिक साहित्य के रचनो समय का तेजी के साथे होखे के चाहीं ।

एह भाषा के व्याकरणिक आ भाषा वैज्ञानिक विवेचन के साथ-साथ एकरा में दोसरा भाषा के साहित्य के अनुवाद अउर एकरा साहित्य के विश्व के दोसरा समृद्ध भाषा में अनुवाद होखे के चाहीं ।

एकरा से धीरे-धीरे नया-नया विषय आ शब्द के समावेश अपना भोजपुरी भाषा में होई आ एकरा अभिव्यक्ति-क्षमता में दिने दिन बढ़ती होत जाई । भोजपुरी टेलीफिलिम, फिलिम आदि के विषयवस्तु आ गुणवत्ता व्यापक बनाके जुग का जरूरत के मुताबिक व्यापार फलक पर ज्वलन्त समस्यन के साथ उभारत उच्च कोटि के फिलिम बनावे के होई । आकाशवाणी, दूरदर्शन वगैरह के माध्यम से भोजपुरी के राष्ट्रीय-अन्तराष्ट्रीय स्तर पर प्रसारन के व्यवस्था करे के दिसाईं लागे के होई । एह तरह के व्यवस्था करे के होई ताकि आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी आ इंटरनेट के बल पर जइसे आज अंगरेजी आपन वर्चस्व कायम कर रहल बिया, ओही तरह से हमरो भाषा एकर उपयोग करे लायक बन सको ।

जब अंगरेजी सँउसे विश्व में आपन वर्चस्व कायम कर सकेली त हमनी अपना वैज्ञानिक लिपिवाली आ कम्प्यूटर के जोग संसार के सबसे उतिम भाषा संस्कृत’ से जुड़ल समृद्ध आ सक्षम भाषा के भविष्य का एह तमाम चुनौतियन के जुझे जोग का नइखीं बना सकत ? एकरा खातिर जरूरी बा कि हमनी आपन झिझक-संकोच त्याग के स्वाभिमान अउर आत्मविश्वास के सड़े दृढ़ संकल्पी होके सुनियोजित ढंग से अपना भाषा आ संस्कृति का बढ़ती में लाग जाई । एही में भोजपुरी भाषा आ भोजपुरी भाषी समाज के हित बा, काँहे कि कवनो भाषा खाली भाव-विचारन के अभिव्यक्ति के माध्यम भर ना होले बल्कि ओकरा में रचाइल साहित्य ओह संस्कृति के प्रतिनिधित्व करेले । भाषा त भाषा ह ।

भाषा के एक-एक शब्द का पीछे एकही गो लमहर सांस्कृतिक परम्परा आ इतिहास होला । एह से जब कवनो भाषा लुप्त होले त बुझे के चाहीं कि खाल भषे ना बल्कि हजारन बरिस के गढ़ल-बढ़ल संस्कृति, परम्परा, सामाजिक अनुभव-ग्यान इहाँ तक कि ओह सँउसे समाज के पहचाने लुप्त हो जाला । एह से विश्व स्तर पर जवन भोजपुरी के वर्तमान स्थिति बा, ओकरा विकास का दिसाई हरेक भोजपुरी भाषी का सामूहिक प्रयास करे के होई आ एकरा के विश्व के एगो समृद्ध समाज आ साहित्य के भाषा बनावे के होई।

डॉ० जयकान्त सिंह ‘जय’
अध्यक्ष, भोजपुरी विभाग लंगट सिंह महाविद्यालय बी.आर.ए. बिहार विश्वविद्यालय,
मुजफ्फरपुर, बिहार

इ आलेख डॉ० जयकान्त सिंह जी के लिखल किताब भोजपुरी भाषाः स्वरुप आ संभावना से लीहल बा

ध्यान दीं: भोजपुरी कथा कहानी, कविता आ साहित्य पढ़े खातिर जोगीरा के फेसबुक पेज के लाइक करीं

इहो पढ़ीं
भोजपुरी पर्यायवाची शब्द – भाग १
भोजपुरी पहेली | बुझउवल
भोजपुरी मुहावरा और अर्थ
अनेक शब्द खातिर एक शब्द : भाग १
लइकाई के खेल ओका – बोका
भोजपुरी व्याकरण : भाग १

NO COMMENTS

आपन राय जरूर दींCancel reply

Exit mobile version