प्रस्तुत बा देवेन्द्र कुमार राय जी के लिखल दू गो भोजपुरी गीत

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भोजपुरी गीत अजबे दुखाता

डभकता ता भीतरे भीतर अजबे दुखाता,
बता दे दवाई केहु ना हमरा बुझाता। टेक।

कवनो दवाई हमरा कामे नाहीं आवे,
डाक्टर हकीम चाहे कुछुओ बतावे।
रहि रहि टुसुकेला देंहि अईंठाता,
बता दे—————–हमरा बुझाता।

उपर झापर फुंकफांक करववलसि माई,
कुछुओ ना बांचल अब करेके ओझाई।
सभ कुछ ठीके बा करेजवे पीराता,
बता दे—————-हमरा बुझाता।

अखियां से दूर गईली ओहीदिन से टभके,
बायां अलंग मोरा रहि रहि फरके।
कईसन रोग से जुटल बा हमार नाता,
बता दे—————हमरा बुझाता।

जहिया सनम मोरा अईहें अंकवारी,
ओही दिन दूर होई रोग अईसन भारी।
उनुके के पावे खातीर करेजवा दुखाता,
बता दे—————-हमरा बुझाता।

भोजपुरी छपरहिया गीत सुन भईल अंगनवा

जहिया ले गईली सिया छोडि़ के भवनवा,
मनवा लागत नईखे, सुन भईल हमरो अंगनवा।टेक।
राम बिनु सुना भईल अवध नगरीया,
सिया सुकुमारी बिनु तरसे नजरीया,
लछुमन के देखे खातीर हहरे परनवा,
मनवा लागत———हमरो अंगनवा।

बिना बहतर रहत होईहें कईसे वन में,
कईसन कईसन लहर उठत होई मन में,
काहे न मनलू केकई दशरथ के कहनवा,
मनवा लागत———हमरो अंगनवा।

जाहो भरत जाके राम के ले आव,
रोवत अयोध्या के फेरु से हंसाव,
राम बिना का़ट लागे तन के गहनवा,
मनवा लागत———-हमरो अंगनवा।

देवेन्द्र कुमार राय
(ग्राम +पो०-जमुआँव, पीरो , भोजपुर, बिहार )

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