विबेक कुमार पांडेय जी के लिखल तीन गो भोजपुरी कविता

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हम ना जननी कि अइसन जुटान होइहें
माई भाखा में गंगा असनान होइहें

सभ चेहरा खिलल बा रंगे प्यार से
सभे गले मिल रहल बा दिली यार से
आज पूरा हमार अरमान होइहें
माई भाखा में गंगा असनान होइहें

माई बहिनी के दिल में समाइल बा ई
रिस्ता के रस में संउसे पगाइल बा ई
आज भोजपुरिया भइया भागवान होइहें
माई भाखा में गंगा असनान होइहें ।।

ई त परिवार हऽ प्रेम के भाइजी
साफ नीयत से इहँवा सभे आईं जी
आज विबेकवा से सबके पहचान होइहें
माई भाखा में गंगा असनान होइहें ।।

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ए गोरी झुलनी तोहार नीक लागे ×2
छैला सुरतिया पो रतिया में जागे
ए गोरी झुलनी तोहार नीक लागे ।।

साँवरी सुरतिया कटार बा नैनवा
मुस्की तोहार मारे दिल पो पैनावा
अंगुरी के पोर छूई सब दुख भागे
ए गोरी झुलनी तोहार नीक लागे।।

जूडा के खोंता अलोता ना रखेला
मनवा हमार रूप दूर हीं से चखेला
केश झटकावल देख भाग हमार जागे
ए गोरी झुलनी तोहार नीक लागे।।

रहि रहि अचके में चान चमकावेलु
दिलवा विबेक के तू पंचर करावेलु
कनखी के तीरवा करेजवा में लागे
ए गोरी झुलनी तोहार नीक लागे।।

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लेके अइलन भूअर भइया, अगुआ दुआर
नाड़ी धकधक करे,
कइसे हम करीं खातिरदारी
नाड़ी धकधक करे ।।

सीधा सादा हईं हम गाँव के किसान हो
भरल बाटे घरवा में चाउरपिसान हो
चाउरपिसान हो
उनका के चाहीं पिज्जा बर्गर चटकारी
नाड़ी धकधक करे ,
कइसे हम करीं खातिरदारी
नाड़ी धकधक करे ।।

चोट देके नोट के लंगोट हमार माँगेलन
घरी घरी अँगना दुअरिया पो झाँकेलन
दुअरिया पो झाँकेलन
पनिगर बुझाता बाकी निपटे अनारी
नाड़ी धकधक करे ,
कइसे हम करीं खातिरदारी
नाड़ी धकधक करे ।।

दादा हो दहेज लेके देहज ना बेचब
गाड़ी चरपहियावा के गड़हा में फेंकब
गड़हा में फेंकब
नाहीं करब देशवा से कबहुँ गद्दारी
नाड़ी धकधक करे ,
कइसे हम करीं खातिरदारी
नाड़ी धकधक करे ।।

विबेक कुमार पांडेय -आरा भोजपुर बिहार

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