भिखारी ठाकुर एगो युग पुरुष रहलन: डॉ.गुरुचरण सिंह, महामंत्री, अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन, पटना
भिखारी ठाकुर जनमानस से जुड़ल एगो अईसन कलाकार रहलन जे अपना नाटकन के माध्यम से अपना गीतन के माध्यम से समाज में पफईलल बुराईयन के
अभिब्यक्त कईलन। समाज में जेतना प्रकार के विकृति रहे, चाहे उ धार्मिक, सामाजिक विकृति आ चाहे आर्थिक विषमता होखे ओह सभ पर उ अपना नाटकन के माध्यम से करारा प्रहार कईलें। उनकर नाटक खासकर के बिदेशिया एतना प्रचलित भईल की भोजपुरी नाटकन के नावें विदेशिया हो गईल।
भिखारी ठाकुर ना मात्रा भोजपुरी भाषा भाषी क्षेत्रा खातीर ही बल्कि उ रास्ट्रीय आ अंतररास्ट्रीय स्तर पर भी जहां-जहां भोजपुरी भाषा-भाषी बाड़न ओह क्षेत्रा के दोसरो भाषा-भाषी लोग ओह नाटकन आ गीतन के देखलन आ ओकरा के पसंद कईलन आ ओहसे एगो नया संस्कार पैदा भईल समाज में, बुराई के विरु( अच्छाई के संस्कार, दानवता के विरु( मानवता के संस्कार। एहसे लोक कलाकार भिखारी ठाकुर एगो युग पुरुष रहलन, महामानव रहलन, उनका के शत-शत प्रणाम।
भोजपुरी संस्कृति के स्तम्भ भिखारी ठाकुर: डॉ.रमाशंकर श्रीवास्तव, हिन्दी-भोजपुरी साहित्यकार
भोजपुरी भिखारी ठाकुर जईसन लोकगायक आ लोकचिन्तक पाके समृ( भईल बिया। अब तक भिखारी ठाकुर पर बहुत कुछ लिखल गईल बा। आउर पूर्वांचल संस्कृति के जोगावे में उनकर जोगदान अहम बहुत सराहनीय बा। ठाकुर जी लोक चेतना के गायक रहलें जवन उ अपना कईगो नाटकन में ब्यक्त कईलें। सामाजिक, धर्मिक आ नैतिक पतन पर मनोरंजक ढंग से अभिनय पूर्ण शैली में प्रहार कईलें। दोष पर चिउंटी कटलें जेकरा से संवेदनशील समाज के तनी दरद त भईल बाकिर खून नां निकलल। ठाकुर जी आपना मन के बात मनोरंजक ढंग से रखलें आ जीवन में पीथल बुराई के उभार के जन समाज के आगे ले अईलें। उनकर अईसन साहित्यिक योगदान के भोजपुरी समाज कबहीं नां बिसारी आ जब-जब भोजपुरी चेतना के प्रसंग उठी तब-तब भिखारी ठाकुर इयाद पड़ि हें।
भिखारी ठाकुर के सही मूल्यांकन ओबीसी पद्धति से होखे के चाहीं: डॉ. राजेन्द्र प्रसाद सिंह, हिंदी-भोजपुरी, साहित्यकार
भिखारी ठाकुर के मुल्यांकन काल अभी जारी बा। आगे भी जारी रही। कारण कि उनकर मूल्यांकन के आज तक आलोचना के जवना-जवना प(ति के इस्तेमाल कईल गईल उ सभ पारम्परिक आ विश्वादी नजरिया के आलोचना पद्धति रहे। इहे कारण रहे कि उनका के एगो नाच मण्डली के गवईया कहल गईल आ बाद में चलके थोड़ा सा परिमार्जन भईल त कवि, नाटककार के रूप में भोजपुरी साहित्य में उनका स्थान मिलल बाकिर एह पक्ष के कईयों आलोचक कबीर के तरह उनका के समाज सुधरक के तरेह स्थापित कके आलोचना के दिशा लोग बदल दीहल।
एहीसे हमार आपन सोंच बा कि भिखारी ठाकुर के मूल्यांकन खातिर आलोचना के ओबीसी पद्धति के जरूरत बा आ एह पद्धतिसे अगर भिखारी ठाकुर के मूल्यांकन होखी तबे भिखारी ठाकुर के सही मूल्यांकन होई। हमरा जानकारी में पहिला बेर चन्द्रशेखर कइलन आ एह परंपरा के आउर आगे बढ़े के चाहीं। आज चन्द्रशेखर भिखारी ठाकुर के मूल्यांकन करत बतवलन की 19वीं शताब्दी के नवजागरण काल कहल जाला। ओह सिलसिला में कइगो संस्था आ समाज सुधरक के नाम गिनावल जाला-ब्रह्मा समाज, भारत समाज, राम कृष्ण मिशन आदि। लेकिन एह क्रम में अग्रणीय भिखारी ठाकुर के आ उनका शुद्र-अतिशुद्र जातियन के सामूहिक
सांस्कृतिक आंदोलन बिदेसिया के जानबूझ के छोड़ दिहल जाला। जब बंगाल समाज सुधरक के केन्द्र रहल तब भिखारी ठाकुर कइसे ना भोजपुरी नवजागरण के अग्रदूत रहलन। कईंची छूरा के भिखारी ठाकुर भी कलकत्ता आ ओकरा अन्य भाग में प्रवास कइलन। एह प्रकार से बंगाल भिखारी ठाकुर के ज्ञानोदय केन्द्र रहे। उनका नाच मंडली में रउरा देख सकीलें कि सबसे जादा ओबीसी के ही लोग रहे। सबसे जादा संख्या बीन जाति के रहे। आ एकरा बाद गवाला रहलन।
उनका नाच मंडली में सवर्ण जाति के खाली एगो कलाकार रामचन्दर लाल रहलन। जवन कि कायस्थ परिवार स े रहलन। बाकी उनकर सब नाच मडं ली ओबीसी कलाकारन से भरल-पूरल रहे।
नाई होखस, कोहांर होखस आ कहार होखस एहसे हमार मानल बा कि भिखारी ठाकुर के ओबीसी साहित्य मानल जाव आ उनकर मूल्यांकन ओबीसी आलोचना पद्धति से कइल जावतब जाके सही मूल्यांकन हा पाई।
भिखारी ठाकुर के बारे में जेतना कहल जाव कमे बा: कुणाल सिंह, अभिनेता
भिखारी ठाकुर जईसन महान हस्ती के बारे में हमनी के का बोल सकिले। हमनी के त उनकर लिखल पढ़ के, अपना अन्दर प्रेरणा पाके एही क्षेत्रा में अपना के ले अईनी। भिखारी ठाकुर जी के कलम से ओह समय अइसन अइसन बात निकलल बा जवना के आज भी हमनी देख सकीले। पलायन के बात आज हमनी करीले उ ओहिबेरा ओह पर केतना लिखलन। गरीबी, गरीब औरतन प अत्याचार के बात होखे, गरीब बाप जे अपना बेटी के बियाह दहेज के चलते ना कर पावेला आ उ बाप सोंचेला की हे भगवान केहुके घर में या त तू बेटी जन दिह नाही त केहुके बेटी के बाप मत बनईह ई अभिशाप बा। त जवन आदमी एतना बरिस पहिले समाज के समस्या देख के लिख देले बा ओकरा बारे में जेतना कहल जाव कमे बा।
मनोरंजन के मिठास में सांच के तिंताई घोरे के जोखिम उठवलें भिखारी ठाकुर: विपिन बहार गीतकार व अभिनेता
सांच कहीं त भिखारी ठाकुर जईसन महान हस्ती प टिका टिप्पणी करे के अध्किार हमरा जईसन तुच्छ आदमी के नईखे। हम त बस उनका कृतित्व आ व्यक्तिव के मनन चिंतन कके पसंगो भर अपना जिनिगी में ढाल लिहीं त धन्य समझब।
अब पता ना इ सौभाग्य बा कि दुर्भाग्य कि आज जेही ना सेही सभे अपना भोजपुरिया राजनीत के शुरुआत उनके नांव से करत बा। हर गली आ शहर में उनका नांव प सम्मान लिया-दिया रहल बा, उहो खुदरा के भाव में। अईसने माहौल में उहो लोग बदनाम बा जेकरा मन में भिखारी के प्रति स्रद्धा आ ईमानदारी बा।
आज जहां चारों तरपफ चमचागिरी के माहौल बा, भिखारी ठाकुर के साहस प्रणम्य आ स्तुत्य बा। अपना नाच पार्टी के बिजनेस आ जिनिगी प खतरा उठावत सामाजिक बुरईयन के निर्भीकता से मंचन कईलन।
जेकरा दुआर प साटा बन्हाईल बा ओहिजे बेमेल जोड़ी आ बाल-विवाह प कटाक्ष करेके मुर्खता भला आज के करी जी..? उनका धिधिरिक के बलिहारी बा।
असल में सामाजिक कुरीतियन के प्रति जवन पीड़ा उनका हृदय में रहे उहे उनका व्यावसायिक नियम प भारी पड़ के चट्टान नियन मजबूत साहस देत रहे।
मनोरंजन के मिठास में सांच के तिंताई घोरे के जोखिम, उहो मान-अपमान आ कवनो खतरा के परवाह बिना कईले।
आज भोजपुरी में एक से एक लेखक आ गीतकार बाड़ें, बाकिर काहे केहू भिखारी आ महेंदर मिसिर के अगलो-बगल नईखे टीक पावत..? तुच्छ राजनीत करे वाला लोग झूठे अपना के खुशपफहमी के भरम में रखले बा। खाली कलम दऊरावला आ भाषण दिहला के अलावा करनी में भी त्याग, सच्चाई आ समर्पण राखे के
पड़ी, तबे भिखारी ठाकुर के नांव लिहल जाईज कहाई आ ओकर पफयदो मिली। प्रणाम!
संभार:हेलो भोजपुरी, पत्रिका
भिखारी ठाकुर जी के 125 वीं जन्मदिन टीम जोगीरा डॉट के तरफ से भावपुअर्ण श्रधांजलि