भोजपुरी उपन्यास फुलसुंघी के बारे में
फुलसुंघी का बारे में कुछ विशेष कहे के नइखे। कहे के एतने भर बा कि एह उपन्यास के कथावस्तु कवनो इतिहास ना ह, एकर कवनो घटना हु-ब-हु सही घटना ना ह, एकर कवनो पात्र यथाचितरित वास्तविक पात्र ना ह। एह में सन्देह ना कि ढेला, महेन्दर मिसिर, हलिवंत सहाय आ रिवेल साहेब साँचो के हो चुकल बाड़े। बाकिर एह चरित्रन के कवनो प्रमाणिक ब्योरा सामने नइखे रहल, आ एह लोगन के किस्सा किंवदन्तियन से भरल बा। अइसन कुछ किंवदन्तियन से सह पाके, एह उपन्यास के कथावस्तु कल्पना से खड़ा कइल गइल बा। बाकिर, एह उपन्यास में, एगो काल-विशेष के, क्षेत्र-विशेष के आ समाज-विशेष के जवन तस्वीर उरेहल गइल बा, ऊ जरूर सही बा।
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पाण्डेय कपिल जी जी भोजपुरी के समर्पित व्यक्ति है. बहुत-बहुत शुभकामना.
बहुते बढिया लेखनी बा