भोजपुरी कि सारी फिल्मों का लगभग यही हाल है, प्रदीप पांडेय उर्फ चिंटू की फिल्मों का बहुत बुरा हाल है । इनकी ‘दुलहिन चाही पाकिस्तान से 2’ का जो बुरा हाल हुआ था, उससे भी बुरा हाल कुछ दिन पहले रिलीज हुई फिल्म नायक का हुआ है।
रोचिश्री मूवीज प्रोडक्शन हाउस के बैनर तले बनी इस फिल्म का डायरेक्शन रमना मोगली ने किया है। इसमें चिंटू के अलावा नयी हीरोइन पावनी, निधि झा, ‘बाहुबलि’ फेम विलेन प्रभाकर आदि ने प्रमुख भूमिकाएं निभायी हैं।
इस फिल्म को बनानेवाला प्रोडक्शन हाउस से लेकर डायरेक्टर, हीरोइन और विलेन तक, सभी साउथ से हैं और शायद इन्हें ये सच नहीं पता रहा होगा कि भोजपुरी फिल्मों में आजकल पैसा केवल लगाया जाता है और उसका कोई रिटर्न नहीं मिलता।
फिल्म नायक को बिहार में रिलीज किया है अतुल पांडेय ने। अतुल पांडेय शौकिया तौर पर दिल्ली और यू पी में कई फिल्मों को रिलीज कर चुके हैं। वो मर्चेंट नेवी में काम करते हैं और पूर्व में मनोज पांडेय को लेकर ‘जंगबाज’ जैसी फिल्म भी बना चुके हैं।
बिहार के वितरकों को अच्छी तरह पता था कि चिंटू की फिल्मों का हश्र बॉक्स ऑफिस पर आजकल चौपट ही हो जाता है, इसलिए उन लोगों ने भोजपुरी फिल्म नायक’ में कोई रुचि नहीं दिखाई। मगर अतुल पांडेय इस बात को समझ नहीं पाये और मुंबई में राजेश पप्पू के बातों में आ गये। राजेश पप्पू के कहने पर ही अतुल पांडेय ने ‘नायक’ को बिहार और नेपाल में रिलीज करने के राइट्स खरीदे।
सूत्रों की मानें तो राजेश पप्पू ने चिंटू की तारीफ में ऐसे पुल बांधे कि अतुल पांडेय ‘नायक’ पर लट्टू हो गये और उन्होंने 14 लाख में डीलिंग कर ली। अतुल पांडेय को राजेश पप्पू ने समझाया कि बिहार में चिंटू की जबर्दस्त फैन फॉलोइंग है, इसलिए फिल्म खूब कमाई करेगी। पर अतुल पांडेय के दिमाग में इतनी सी बात नहीं आयी कि चिंटू की फिल्में अगर इतना ही फायदे का सौदा होतीं तो क्या पटना में बैठे पुराने वितरक ‘नायक’ को क्यों हाथ से जाने देते।
ट्रेड का ही एक सूत्र बताता है कि राजेश पप्पू ने ही यह डीलिंग करवाई और उन्होंने ही अतुल पांडेय को कहा कि पटना के गगन अपार्टमेंट स्थित राकेश शुक्ला के ऑफिस में चले जायें और वहीं बैठकर अपनी फिल्म को रिलीज कर डालें। उन्होंने अतुल पांडेय से ये भी कह दिया कि राकेश शुक्ला के लोग ‘नायक’ की बुकिंग वगैरह कर देंगे और वो इसके एवज में उन्हें 10 प्रतिशत कमीशन दे देंगे।
अतुल पांडेय बेशुमार खुशियां समेटे दौड़े-भागे पटना आ गये अपनी ‘नायक’ को रिलीज करने। उन्होंने सोचा कि जैसे ही वो पटना पहुंचेंगे, सिनेमाघर वाले उन्हें घेर लेंगे और एडवांस के तौर पर एकमुश्त रकम लाकर टेबल पर रख देंगे। लेकिन पटना में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। हालांकि कुछेक थियेटरों ने थोड़ी-बहुत रकम बतौर एडवांस जरूर दी, लेकिन ज्यादातर का यही कहना था कि वो फिल्म केवल कमीशन पर लगा सकते हैं, एडवांस के तौर पर एक भी पैसा नहीं दे सकते।
अतुल पांडेय ने वहां जब ये सूरत-ए-हाल देखा तो उनके पांव से जमीन खिसक गयी। उन्हें एहसास हो गया कि उन्होंने इस फिल्म का सौदा कर बहुत बड़ी गलती कर ली। चूंकि आजकल कोई भी भोजपुरी फिल्म प्राइस में नेपाल में नहीं जाती, इसलिए उन्होंने निर्माता से बात कर सबसे पहले नेपाल के नाम पर किसी तरह एक लाख कम करवाया, ताकि उनका घाटा कुछ तो कम हो सके। निर्माता ने उनकी सुन ली और इस तरह चिंटू की इस फिल्म की कीमत 14 लाख में से एक लाख कम होकर 13 लाख हो गयी।
खैर फिल्म रिलीज हुई, लेकिन थियेटरों से दर्शक नदारद। नतीजा, अतुल पांडेय ने वापस निर्माता का फोन खड़काया और अपना रोना फिर से रोना शुरू कर दिया। मरता क्या न करता…रहम खाकर निर्माता ने फिर एक लाख छोड़ दिया। इस तरह ‘नायक’ की बिहार और नेपाल की कीमत हो गयी 12 लाख। उधर निर्माता अपना माथा पीटकर रह गया।
जोगीरा डॉट कॉम पऽ भोजपुरी पाठक सब खातिर उपलब्ध सामग्री
ध्यान दीं: भोजपुरी फिल्म न्यूज़ ( Bhojpuri Film News ), भोजपुरी कथा कहानी, कविता आ साहित्य पढ़े जोगीरा के फेसबुक पेज के लाइक करीं।