श्रावण शुक्ल पंचमी के दिन “नागपंचमी ” श्रद्धा आ विश्वास से मनावल जाला। एह दिन नाग देवता के पूजा कइल जाला आ एह दिन नाग दर्शन के विशेष महत्व बा। मंदिर से घर – घर तक नाग देवता के पूजा होला।
श्रावण के महीना में सूर्य कर्क राशिगत होला, एह महीना के संबंध भगवान शिव से बा आ शिव जी के आभूषण नाग देवता हँउवे। एह दिन पूजा कइला से नाग देवता के साथ साथ शिव जी के भी असीम कृपा प्राप्त होला।
गुरु पुराण, चरक संहिता आदि ग्रंथों में नाग देवता के बारे में कई गो बात लिखल बा। पुराणों में यक्ष, किन्नर आ गंधर्वों के साथ नाग के भी वर्णन बा आ भगवान विष्णु के भी शोभा नाग देवता बढ़ावे ले।
नागपंचमी के दिन नाग देवता के पूजा के विधि एह प्रकार से बा –
- नागपंचमी के दिन सबेरे उठ के नहा धोआ के सब से पाहिले भगवान शंकर के ध्यान करीं।
- नाग नागिन के जोड़ा के मूर्ति के दूध से स्नान कार्रवाई एह के शुद्ध जल से स्नान करवाके के गंध, फूल, धूप, दीप से पूजा करीं आ उज्जर मिठाई के भोग लगाई।
- नाग देवता के आरती उतारी आ प्रसाद बाटी। एह से नाग देवता खुश हो जईहे आ राउर मनोकामना पूरा हो जाई
- जेकरा प कालसर्प योग होखे ऊ एह दिन चांदी के नाग नागिन के जोड़ा शिवलिंग प अर्पित करें।
- जेकरा प कालसर्प योग होखे ऊ एह दिन रुद्राक्ष के माला शिवलिंग प अर्पित करें, कालसर्प योग के प्रभाव कम हो जाइ