नाम चम्पवा खुशबु के पते ना ….
ढेर बा लोग अइसन आन्हर
चारु ओरि छितराइल
चेला चमचा बा ढेर उनका पीछे बोटरालइल
जे उ बोली उहे बा सही
विद्वान के तगमा बा त ओकरे बतिया रही
कथनी करनी बा तेरे बाइस
राखे ले विद्वान बने के खाहिस
घृणा द्वेष बांटी लोग
अपने त लुटी सभे
दोसरा के डाँटि लोग
रचनाकार: संतोष कुमार