मनोज तिवारी को मीडिया मे बने रहना बेखूबी आता है. आज कल मनोज अपने गॉव मे भारत रत्न क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को कि मूर्ति लगा और उनकी मंदिर बनवाने को लेकर चर्चा मे है. उनके इस कदम का भोजपुरी फ़िल्म इंडस्ट्री और भोजपुरी समाज मे थू-थू हो रहा है. आज कल अभिनेत्री वैष्णवी द्वारा भिखारी ठाकुर कि प्रतिमा बिहार कि राजधानी पटना मे लगाने को लेकर इंडस्ट्री के लोग उनका समर्थन कर रहे है वही मनोज से पूछना भी चाह रहे है कि जब मनोज तिवारी अपना पैसा खर्च कर सचिन कि मूर्ति लगा सकते है तो भोजपुरी से तो उनका पहचान है और उनका पेट पलता है तब मनोज भिखारी ठाकुर कि प्रतिमा नही बनवा सकते ? कुछ लोग उन्हें भोजपुरी सिनेमा के तीसरे दौर का जन्मदाता मानते है लेकिन मुझे तो कही से नही लगता है. मनोज ने अपने पहली फ़िल्म ससुरा बढ़ा पैसा वाला मे पैसा लेकर काम किया है कोई फ्री मे नही. तीसरे दौर के जन्मदाता तो निर्माता मोहन जी और स्व.सुधाकर पाण्डेय थे, जिन्होंने इस काम को करने का जोखिम उठाया. क्या कोई माँ जन्म देने के लिए पैसा लेती है क्या ? मनोज पर हमेशा आरोप भी लगता रहा फ़िल्म वितरकों के साथ मिल कर भोजपुरी फ़िल्म के निर्माता व निर्देशक का पैसा लूटने का. कुछ लोग यह भी कहते है कि महुआ के शो से भी कुछ लोगो को यह कर मनोज ने निकलवाया की यह शो बंद हो रहा है सब के निकल जाने के बाद मनोज अंत तक बने रहे. मनोज भाजपा के टिकट पर से पूर्वी दिल्ली और बक्सर (बिहार) से लोकसभा का चुनाव लड़ने का मन बना रहे है इसके पहले वह गोरखपुर से समाजवादी पार्टी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव 2009 मे लड़ कर अपने जमानत जप्त करा चुके है. जिस इंडस्ट्री से उनकी पहचान है वह उसके विकास के लिए कुछ नही किये तो वह जनता का क्या भला करेंगे. भगवन ही मालिक है
लेखक : मधुप श्रीवास्तव