भोजपुरी फिल्मों में गायक से नायक की परम्परा मे एक और नया चेहरा शुमार हुआ। वह है राकेश मिश्रा। भोजपुरी लोकगायक के रूप में पहचान बना चुके राकेश ‘प्रेम दिवानी’ से रूपहले परदे पर सामने आये हैं।
यह फिल्म प्रेम प्रधान तो है ही, साथ ही पांच पांच दबंग भाइयों के बीच एक बहन की खुशी के आगे मजबूर, महिला मनोबल को भी बल देता है। वहीं दूसरी ओर परम्परागत रीति रिवाजों को भी खास जगह दी गई है। कहानी में प्रौढ़ता है मगर तर्क का अभाव जरूर है, परन्तु मनोरंजक है।
इस फिल्म की अधिकांश शूटिंग रामोजी राव फिल्म सिटी हैदराबाद में हुई है। लिहाजा, लोकेशन मनोरम है। बतौर अभिनेता राकेश मिश्रा का अभिनय सराहनीय है, पर उसमे सुधार की बहुत आवश्यकता है । इस फिल्म में नायिका स्मृति सिन्हा एक मजबूर प्रेमिका के रूप में पारिवारिक दायित्व को सहजता से निभाई है। वहीं, दूसरी नायिका रानी चटर्जी अपने एकतरफा प्यार पर पहरा और उस पर प्रहार से बचाने में सफल कही जा सकती है।
उनका अभिनय फिल्म का एक मजबूत पक्ष है हास्य अभिनेता के रूप में आनंद मोहन पाण्डेय अपने पिछले कई फिल्मों के तरह ही दिखते हैं, परन्तु उनकी लोक गायिकी ठीक ठाक रही है। कुछ न बोलते हुए भी अवधेश मिश्रा अपने अभिनय का छाप छोड़ते हैं। नकारात्मक भूमिका में संजय पाण्डेय तथा नायक के दोस्त की भूमिका में प्रकाश जैश का काम भी संतोषजनक रहा है। फिल्म में बिहार शरीफ का विशेष स्थान है, कारण इस फिल्म के निर्माता वहीं के स्थानीय विधायक डॉ. सुनील कुमार है। डॉ . कुमार भोजपुरी फिल्मों के नामचीन निर्माता है। इस फिल्म के निर्देशक दिनेश यादव हैं। गीत संगीत में सबसे खास आरिफ का गया हुआ एक कव्वाली है, जो मेहमान भूमिका में दिनेश लाल यादव निरहुआ और प्रवेश लाल यादव पर्दे पर इसे प्रस्तुत कर रहे हैं, काफी उत्कृष्ट है। बाकि गीत संगीत में नयापन जरूर है। सीमा सिंह और मोनालिसा अपनी पुरानी घसी पिटी छवि में ही दिखी है, चाहे वह डांस हो या अभिनय।
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