केतना बेर के लेखक की ओर से
ई पैसठ गो गीत परोसत हम एक बेर फेरु सुधियन का भँवरजाल में अझुरा के रह गइल बानी। सुख आ दुख के मीठ-तीत छुअन, हरिअरा गइल बा आ केतना बेर लेखा फेरु ओह सबका भीतर से गुजर जाए के मन खुदबुदाये लागल बा; जवना में अनसोहातो कबो काट गड गइल रहे, कबो ठोकर लागल रहे, कबो गुदगुदी बुझाइल रहे भा कवनो गंद बेसुध कर दिहले रहे।
गीत के रचना आ ओकरा संकलन खातिर जेकर – जेकर हमरा टोकरी मिलल, प्यार दुलार मिलल, सलाह -इसलाह मिलल ओह सब के ईहाँ नावँ गिनवा के हम अपना के भारमुक्त करे के नइखी चाहत। प्रभु से प्रार्थना बा कि ऊ सभे हमरा आँतर में ओइसही रसल बसल रहे।
लेखक: पी. चंद्रविनोद
केतना बेर : भोजपुरी गीत संग्रह
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