भोजपुरी कविता संग्रह केहू मन पड़ल में जरत-बरत समकालीन जिनिगी के जियतार तस्वीर उकेरल गइल बा। संग्रह में दस गो गीति-रचना बाड़ी स, जवना में एह नामी-गिरामी के चुनिंदा गीत, ग़ज़ल, दोहा आ मुक्त छंद के समकालीन कविता संग्रहित बड़ी स।
चाहे गीत होखे भा गजल, दोहा होखे भा मुक्त छंद-कवी भाषा सवारी करत चलत बा आ भोजपुरी के खाँटी शब्दन, मुहावरन के चटख इस्तेमाल रचनन के पानीदार आउर जानदार बना देले बा।
बिसवास बा, तंग इनायतपुरी के भोजपुरी काव्य-साधना के समुंदर से अलग अलग छंदन में से बिनल – बिछल मोतियन के जवन संग्रह केहू मन पड़ल पेश कइल गइल बा, ऊ पढ़निहार आ गुननिहार के मन के मोहि ली आ एकर सार्थक आउर सकारात्मक मूल्यांकन होइ।
लेखक: तंग इनायतपुरी
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