कवि ह्रदयानन्द विशाल जी के लिखल कुछ भोजपुरी कविता

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ब्यास + गायक

ए दुनू जाना मे अंतर होला

जे कथा कहानी गावेला
उ ब्यास गिनती मे आवेला
जे खाली गाना गावेला
सभे गायक ओके बतावेला

हम मानतानी की कुछ ब्यास लो
दुदाला प्रोग्राम मे गारागारी क के
रात भर आपन प्रोग्राम जमावता

बाकी सब ब्यास एके जइसे ना होलें
जे रात भर खूब नीमन शुद्ध गावता
ओहु के रउवा सब गरियावतानी
ई एकदम गलत होता ई ठीक ना ह

आज भी नीमन कवि ब्यास लो
एक से एक धुरंधर बा लो उ सब
आजुवो निमानका परोसता

हम निहोरा करतानी रउवा सब से
की बाउर के संगे ए सरकार ओह
निमनको के मत नासीं

गलत ब्यास गायक लो के खुल के
हमहुँ बिरोध करतानी रउवो करीं

बाकी निमानका के नीमन कहीं
ओकर प्रचार प्रसार करीं सभे

तनी हँसलो जरूरी बा ए भाई

यादव लिहले लाठी आ ना पाती
पंडित जी लिहनी पातारा
तिनो जाना संगहीं एकदिन
बना लिहल लो जातारा

भूख लागल त पंडित जी कहनी
कवनो तरीका अपनावल जाव
आपन आपन झोरा झार लो
मिलजुल के कुछ पावल जाव

ना के चाउर बाबा के चिनी
यादव के रहल दुध
बाबा कहनी खीर बना द
इहे बा सबसे शुध

दुइये पेट के खिरवा भइल
तिन जाना खइनिहार
कम खाये के केहू ना कहे
बढ़े लागल तकरार

पंडित जी एगो सर्त रखनी
उपासे सुत लो ए भाई
सबसे नीमन जे सपना देखी
उहे ई खिरवा खाई

तिनु जाना हुँसियारे आपन
दाव केहू ना छोड़ले बा
सुते के त सुतले बाकी
बरिआरे भुखियो कोड़ले बा

अधो घरी बितल नाही
पंडित जी तले जगनी
दुनू जाना के जगा के आपन
सपना सुनावे लगनी

केहू ना बा भगवान से बढ़ के
धरम सनातन अपना मे
रामलला के शुभ बियाह हम
देखले बानी सपना मे

ना कहलन हमरो सपना
सुनल जाव दे के धेयान
डमरू बजा के शंकर जी
हमके दिहनी ह वरदान

दुनू जाना यादव से पुछलें
अपनो सपना सुना द
काहें मुह लटकवले बाड़अ
कुछुवो त बतला द

बाउरो सपना यादव जी से
पुछे लागल लो ठाठा के
खीर त तहके ठेकी नाही
कहतालो खूब आगरा के

यादव कहलें हम त सपना
बाउरे देखले बानी
ना मानब त जवन देखनी
तवने सुनावतानी

गादा ले के हनुमान जी कहुवन
कुछऊ हम तहके ना देम
सगरो खिरवा खा जा ना त
गादा से मार के मुवा देम

जिये खाती खइले बानी
खाये खाती जियनी ना
नटी पर ले पहुँचवाना बाटे
चिरूवो भर पानी पियनी ना

सपना के फेरा मे रहे करेजा
लछत भूख के मारे
ना पंडित दुनू जाना
धइलन हाँथ कापारे

ह्रदयानन्द विशाल कहेले
केहू के साथे जाइल जाला
जवने मिले जूरे ओहि मे
मिल बाँट के खाइल जाला

चेतावनी गीत

सब दिनवा एके खान ना रहल
बाउर ह बाउर दोसरा के कहल
सब,,,,,,

पुरषोत्तम राम दुखी
नारी के बिरह से
रावण भी ठिके रहे
अपना जगह से

सिता के सुरच्छा दिहल सहल
बाउर ह बाउर दोसरा के कहल
सब,,,,,,,,

बिराट के पकावल मछरी
कूद गइल पानी मे
हरिश्चन्द सुख ना भोगले
अपने राजधानी मे

डोम घर बजवले जाके टहल
बाउर ह बाउर दोसरा के कहल
सब,,,,,,

ह्रदया विशाल ई त
सबका कापारे बा
ओकर के बिगाड़ ली
जे साँच के साहारे बा
झुँठका के दाव नाही लहल

बाउर ह बाउर दोसरा के कहल
सब,,,,,,,,

थेथरन के मुहे के लागी भइया

देखत रहीं सहत रहीं एने
इजत के नास भइल जाव
थेथरन से जीव आजिज बा
बताईं सभे का कइल जाव

आंडा बा जोगी एथी मे जाटा
धमकी दे देता केहू के
बवल पर कूद के जाता फतिंगा
घरी नियराइल बा एहू के

देखते चिलाई पाँयटे मे कदी
छोड़ दियाव की एके धइल जाव
थेथरन से जीव आजिज बा
बताईं सभे का कइल जाव

जात पात के मुद्दा लेके
चमचागिरी मे लाग जाता
टोक देहला पर गारी देके
ब्लाक मार के भाग जाता

कवन जड़ी सुंघाईं एके की
एकरा मन के मइल जाव
थेथरन से जीव आजिज बा
बताईं सभे का कइल जाव

गंगा जी के कुछ बुझे नाही
पनरोह मे जा के कुद जाता
अपने घर के इज्जत उतारे
कोठा पर लेके खुद जाता

ह्रदयानन्द विशाल कहे
हुमच दीं एथिये फइल जाव
थेथरन से जीव आजिज बा
बताईं सभे का कइल जाव

सबके एकोराहें से सादर प्रणाम

समय बड़ा बलवान ह भइया
सबकर घमंड ई तुरले बा
ओकर कुछऊ ना बिगड़ल जे
प्रेम के बतिहर पुरले बा

सपनो मे हम कइले नइखीं
केहू के साथे जब भला
हमरो पर ई लागू ना होई
अंत भला त सब भला

उठा उठा के पटक पटक के
मुँज के तरे ध के थुरले बा
ओकर कुछऊ ना बिगड़ल जे
प्रेम के बतिहर पुरले बा

आन के देख के जरल बा जे
घात से छुँरा भोंकले बा
उहे एकदिन समय के मारल
थुथुन पर लाठी रोकले बा

हुरा देखावल ओहु के मुह मे
लउर समइया हुरले बा
ओकर कुछऊ ना बिगड़ल जे
प्रेम के बतिहर पुरले बा

ह्रदयानन्द विशाल कहेले
डाह मे सुख सचमुच नइखे
जियते उड़बअ मुवला के बाद
माटी ले कुछऊ ँच नइखे

ठोकर खा के उहे गिरल जे
मुद के आँख दउरले बा
ओकर कुछऊ ना बिगड़ल जे
प्रेम के बतिहर पुरले बा

निमन चाहीं त निमने परोसल जाव

कुटल पिसल धइला बा सोझवे
आईं ना चार गाल फाँक लीं
आन के पइ निहारतानी त
तनी अपनो भितरा झाँक लीं

सभे जिनगी जियतावे
अपना अपना तरीका से
केहू करे सरकारी नोकरी
केहू कमाता ठीका से

कवना मे नुकसान बाटे
फायदा बा केइमे आँक लीं
आन के पइ निहारतानी त
तनी अपनो भितरा झाँक लीं

दिन दूना अउरी रात चौगुना
धन बढ़ो रउवो बढ़ीं
दिल मे रहीं दिमाग मे रहीं
मुड़ी के उपर मत चढ़ीं

भेद खुलल त सभे जानी
जेतना हाँकब हाँक लीं
आन के पइ निहारतानी त
तनी अपनो भितरा झाँक लीं

परल बा ओकरा झरे के ह
जन्मल बा ओकरा मरे के ह
दोसरा के सुख शान्ति देख के
ह्रदया विशाल काहें जरे के ह

भागि मे बाटे ओतने मिली
दसो दिशा मे माँक लीं
आन के पइ निहारतानी त
तनी अपनो भितरा झाँक लीं

केतना बदल गइल बा लोगवा

नींद ना आवे चैन ना पावे
ठहरत मन एक ठाँव नइखे
एतने दुख बा अब केहू मे
अपनापन के भाव नइखे

पहिले सभे अमरित पियावे
अब जहरे पियावता पियता
खबर नइखे केहू के के
मर गइल के जियता

डाहे कपटे जरता सभ
रती भर केहू से लगाव नइखे
एतने दुख बा अब केहू मे
अपनापन के भाव नइखे

आपना से छोटकन के पहिले
खूब आशीष दियात रहे
पाँव छुवल आदेश निभावल
बचवन के खूब सोहात रहे

झुके वाला ललसा नइखे
आशीष रुपी छाँव नइखे
एतने दुख बा अब केहू मे
अपनापन के भाव नइखे

कहाँ गइल संस्का
आदर सत्कार कहाँ गइल
ह्रदयानन्द विशाल ई हमरा
मती मे का का घोरा गइल

घर घर के इहे कहानी बाटे
बाँचल एकहू गाँव नइखे
एतने दुख बा अब केहू मे
अपनापन के भाव नइखे

रउवा खातिर:
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भोजपुरी शब्द के उल्टा अर्थ वाला शब्द
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कइसे भोजपुरी सिखल जाव : आठवाँ दिन

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