अभी अभी प्रवासी महासंघ नोएडा का छठ उत्सव 2013 देखकर घर लौटा हूँ। भोजपुरी सुपर स्टार रवि किशन, गायिका कल्पना और देवी मुख्य आकर्षण थे और सच पूछिए तो नोएडा स्टेडियम में भारी भीड़ इन्ही को देखने सुनने इकट्ठी हुई थी। ये तीनों मेरे मित्र हैं और प्रिय भी हैं। देवी के कई Interview कर चुका हूँ और मंचो पर इनके साथ स्टेज शोज भी होस्ट कर चुका हूँ। इसलिए इनकी रुचि जानता हूँ। पद्मश्री शारदा सिन्हा, मालिनी अवस्थी और देवी भोजपुरी की लोकप्रिय और एक हीं धारा की लोक गायिकाएं हैं …लेकिन इनमें देवी खांटी भोजपुरी माटी की खांटी गायिका हैं। आवाज भी यूनिक और अनोखा है। शारदा सिन्हा और मालिनी अवस्थी के लिए भोजपुरी यशोदा मईया हैं ..पर इन तीनों में समानता यह है कि तीनो गायिकाओं ने भोजपुरी लोक गायिकी को न सिर्फ ऊंचाई दी है वरन उसका मान भी बढ़ाया है। आज के कार्यक्रम में भी देवी ने छठी मईया से शुरू कर अपने तमाम चर्चित गीतों के साथ बहे के पुरुआ रामा से सचमुच पुरुआ बयार बहा दिया।
अब बात कल्पना की। मै इनकी आवाज का कायल हूँ। भोजपुरी सिनेमा के 50 वर्षों के इतिहास पर गौर करें तो कल्पना ने जितने गाने भोजपुरी फिल्मों में गाये हैं, उतना किसी और गायिका ने नहीं गाये। हाँ यह भी सही है कि उनमें अश्लील गीतों की तादाद ज्यादा है पर साथ हीं यह भी सच है कि ” लीगेसी ऑफ़ भिखारी ठाकुर” भी कल्पना की हीं देन है। उन्होंने मुझे 2010 में कोलकाता में आयोजित भिखारी ठाकुर फेस्टिवल में इस अल्बम के प्रोमोशन और मंच संचालन के लिए दिल्ली से कोलकाता बुलाया था। मै कल्पना को जानता हूँ। अच्छे गीतों की तड़प है उनमें और वो अच्छे गीत हीं गाना चाहती हैं। आज भी छठी मईया के गीत गाने के बाद जब आयोजकों ने उन्हें ” गमछा बिछाई के ” गीत गाने को कहा तो उन्हें संकोच हो रहा था। वह बार बार कह रहीं थी कि छठ उत्सव है ..छठी मईया के गीत होने चाहिए। फिर उन्होंने दर्शकों से पूछा …वो भी ” गमछा बिछाई के ” हीं सुनना चाह रहे थे ..सो सुना दिया कल्पना ने।
अब बात रवि बाबू की। सुपर स्टार रवि किशन। 2002 में इनका एक interview किया था. मोहन जी प्रसाद की फ़िल्म सईया से कर द मिलनवा हे राम के सेट पर। यह रवि बाबू की दूसरी भोजपुरी फ़िल्म है। तब और अब के रवि किशन में बहुत फर्क है। अब इनका कद बहुत ऊँचा हो गया है और ये जनता की नब्ज भी जानते हैं। आज स्टेडियम में उमड़ी भीड़ की मनसा को भांप गए रवि बाबू …हर हर महादेव के बाद सुनाया ….. लहंगा उठा देब रिमोट से। …..मोबाइल चोली में रखबू त सिम लॉक हो जाई। जनता को क्या चाहिए ….मनोरंजन। मनोरंजन हो रहा था। आयोजक खुश …जनता खुश …कलाकार खुश। और क्या चाहिए ?? मन गया छठ उत्सव ….अब पता नहीं छठी मईया को ये गीत कैसे लगे ? ….मै भीड़ को चीरते हुए बाहर निकला। कुछ लोग कह रहे थे ….खूब जकवलस नू रवि किसनवा …. फिर किसी और ने कहा – नास त देहलन। …..किसी और ने फुसफुसाया ….. कुछ नया कइलन ह का ?….. सरसती पूजा में हिन्दी गाना नइखे बाजत — तू चीज बड़ी है मस्त मस्त, चाहे चोली के पीछे क्या है ? बोका कहीं का ..ई कुल्हि ना होखी त भीड़े ना जूटी …भीड़ ना जुटी त नेते ना अइहें सन … फेर आयोजन केकरा खातिर ? चलें है परवचन देने। …और वह आदमी फिर गुनगुनाने लगा – ..मोबाइल चोली में रखबू त सिम लॉक हो जाई।
छठ उत्सव में रवि किशन ने गाया मोबाइल चोली में रखबू त सिम लॉक हो जाई