“करे ला कमाल, धरती के लाल” एक बेहतरीन फिल्म है: कुमार विकल
भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के लिए यह एक शुभ संकेत है कि बुद्धिजीवी वर्ग और अन्य बड़े-बड़े लोग भी इसमें रुचि लेने लगे हैं, साथ ही इसका स्टैंडर्ड बढ़ाने की कोशिश में जुट गए हैं। कुमार विकल एक ऐसे लेखक-निर्देशक हैं जो सदा नये तेवर और नये धरातल की फिल्में बनाते रहे हैं। हाल ही में कुमार विकल ने पवन सिंह, मोनालिसा, सचित कुमार, अंजना सिंह, अक्षरा सिंह, बृजेश त्रिपाठी, आनंद मोहन, के.के. गोस्वामी, सीमा सिंह आदि को लेकर “करे ला कमाल, धरती के लाल” कम्पलीट की है और अपनी नयी फिल्म “रॉक डांसर” की भव्य संगीतमय शुरुआत की है। उनकी फिल्मों और भोजपुरी फिल्मों की दिशा-दशा को लेकर उनसे लम्बी बातचीत हुई। प्रस्तुत है बातचीत के कुछ प्रमुख अंश:
कुमार विकल जी, “करे ला कमाल, धरती की लाल” के बारे में कुछ बताइए। सुना है, यह फिल्म पहले से ही धमाल मचा रही है?
देखिए, वैसे तो मैंने अनेक फिल्में की हैं, पर यह फिल्म मेरे लिए खास है, क्योंकि इसके लिए मैंने खास तैयारी की है। मैं निर्माता डॉ. यू.एस. प्रसाद का शुक्रगुजार हूं, जो पेशे से एक विख्यात डॉक्टर है और उन्होंने आम भोजपुरी फिल्मों से बिल्कुल अलग एक ऐसा स्टोरी आइडिया दिया है, जो हिन्दी फिल्मों पर भी भारी पड़ सकता है। भगवान बुद्ध के उपदेशों पर आधारित इसमें दिखाया गया है कि समाज में बुराई और बेईमानी की कोई जगह नहीं है और यह सब शांति और भाईचारे की नीति से ही समूल नष्ट किया जा सकता है। इसके लिए भोजपुरी में पहली बार मंहगे सेट-सेटिंग तैयार किये गये हैं और नयनाभिराम अछूते लोकेशनों का उपयोग किया गया है।
इसमें पवन सिंह और मोनालिसा की क्या भूमिकाएं हैं? उनके साथ काम करके कैसा लगा?
पवन सिंह से मेरा पुराना परिचय रहा है और उनके साथ मेरा पारिवारिक ताल्लुकात है। उन्होंने एक ही शेड्यूल में फिल्म पूरी करवा दी, इससे बड़ी बात क्या हो सकती है? इस फिल्म में पवन सिंह किसान के बेटे की भूमिका में हैं जो उच्च शिक्षित होकर भी गांव में रहना पसंद करते हैं और गांव-समाज की सेवा करना ही अपना धर्म व कर्तव्य समझते हैं। मोनालिसा है तो थाईलैण्ड की, मगर उसके पूर्वज कभी बिहारी थे और वह अपने पूर्वज की जन्मभूमि का दर्शन करने आती है, जहां उसकी मुलाकात पवन सिंह से होती है। वह पवन सिंह से इतना प्रभावित होती है कि उससे प्यार कर बैठती है।
अक्षरा सिंह की क्या भूमिका है?
देखिये, भोजपुरी फिल्म के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब विलेन के रूप में कोई अभिनेत्री इस फिल्म में काम कर रही है। अक्षरा सिंह इसमें एक लेडी डॉन के रूप में है जो भयंकर रूप से पवन सिंह से टकराती है। इसके अतिरिक्त इस फिल्म में सचित कुमार एक जांबाज पुलिस इन्स्पेक्टर की भूमिका में हैं जिसे गांव की एक चंचल छोरी के रूप में अंजना सिंह जबरन प्यार करना चाहती है। इसके अलावा बृजेश त्रिपाठी, समर्थ चतुर्वेदी, पुष्पा वर्मा, पूजा राय, के.के. गोस्वामी, शकीला मजीद और उदय शंकर जी की भी अहम भूमिकाएं हैं। आइटम गर्ल के रूप में सीमा सिंह की एंट्री हेलेन जी की याद दिलाएगी। इसमें विनय बिहारी के लिखे गीतों को राजेश गुप्ता ने बेहतरीन संगीत दिया है जिन्हें कानू मुखर्जी और रिकी गुप्ता ने शानदार ढंग से फिल्माया है। दिलीप यादव का एक्शन जबरदस्त है। संजीव राणे की कला एक सबल पक्ष है। प्रमोद पांडेय की फोटोग्राफी लाजवाब है।
भोजपुरी फिल्मों की वर्तमान स्थिति से आप संतुष्ट हैं?
देखिए, अपनी चीज को बुरा नहीं कहना चाहिए, लेकिन भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री की जो स्थिति है, उसके जिम्मेवार हम खुद हैं। मैं खुद भोजपुरी क्षेत्र से हूं, भोजपुरी की रोटी खाता हूं, मगर भोजपुरी फिल्में नहीं देखता। आज के भोजपुरी दर्शकों को जो देना चाहिए, वह हम दे नहीं पाते और अपनी गलती का ठीकरा दूसरों पर फोड़ना चाहते हैं। आज ऐसी कोई भोजपुरी फिल्म नहीं बन रही, जो अन्य भाषा की फिल्मों पर भारी पड़े और हम गर्व से सीना तान सकें। भोजपुरी का व्यापक दायरा होते हुए भी हम काफी पीछे हैं।
आपकी आगामी योजनाएं क्या हैं?
अभी तो “करे ला कमाल, धरती के लाल” के रिलीज की तैयारी चल रही है। एक दो आगामी फिल्मों पर काम चल रहा है। “रॉक डांसर” की शूटिंग भी शीध्र ही करनी है।
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