माटी का कर्ज चुकाने को भोजपुरी फिल्म करूंगा: पंकज त्रिपाठी

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गैंग्स ऑफ वासेपुर, रन और ओंकारा जैसी फिल्मों से नाम कमा चुके बिहार के गोपालगंज जिला स्थित बरौली प्रखंड के बेलसंड गांव निवासी पंकज त्रिपाठी माटी का कर्ज चुकाने के लिए भोजपुरी फिल्मों में भी अभिनय करेंगे। ‘हिन्दुस्तान’ से खास बातचीत में कहा कि भोजपुरी फिल्मों में अभिनय के क्षेत्र में बहुत कुछ काम करना बाकी है।

पंकज त्रिपाठी ने कहा कि आज हम अपनी माई के साथ बैठ कर फिल्म नहीं देख सकते तो फिर भोजपुरी की मिठास कहां से लाएंगे। इसलिए, ऐसी कथा पर आधारित फिल्म में जरूर अभिनय करुंगा। वे मुंबई से अपने गांव सावन देखने के लिए आए थे। उन्होंने कहा कि महानगरों में सावन की हरियाली कहां दिखने वाली, जो गांवों में है।

द्वंदों पर सवाल उठाता है कलाका
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि गांव-कस्बों में जो प्रतिभा है, टैलेंट है, वही तो मुंबई और दिल्ली जैसे महानगरों में जाकर बिकती है। आप चाहें तो गिनती कर लें। जो भी कलाकार या साहित्यकार गांव से जुड़ा रहा है, वहीं सही अर्थों में साहित्य या अभिनय के क्षेत्र में सेवा कर समाज को कुछ देता है। समाज में चल रहे द्वंदों पर सवाल उठाना ही तो कलाकार का काम है।

पैसा कमाना ही कलाकार का ध्येय नहीं
आनेवाली फिल्मों के बारे में चर्चा करने पर पंकज कहते हैं कि अनारकली आरावाली और लाइफ बिरयानी दो ऐसी फिल्में हैं, जिनमें अभिनय के क्षेत्र में नया रुप दर्शकों को देखने को मिलेगा। दोनों ही फिल्मों की शूटिंग पूरी हो चुकी है। पंकज कहते हैं कि आत्मसंतोष के लिए वे दो आर्ट फिल्मों में अभिनय करते हैं तो फिर बाजार को देखते हुए दो व्यवसायिक फिल्मों में काम करते हैं। उनका मानना है कि केवल पैसा कमाना कलाकार का ध्येय नहीं होना चाहिए, वह अपने अभिनय से समाज को क्या दे रहा है, यह भी अधिक मायने रखता है।

गरीब वो होते हैं जिनके सपने नहीं होते
पंकज फिलवक्त भैयाजी सुपर हिट और फूक्रे- 2 में अभिनय को लेकर व्यस्त हैं। दबंग- 2, सिंघम रिटनर्स, एबीसीडी, माउंनटेन मैन मांझी, मसान, नील बट्टे सन्नाटा, अग्निपथ, अपहरण जैसी फिल्मों से दर्शकों पर अपनी छाप छोड़ चुके पंकज का कहना है कि कलाकार का काम सिर्फ मनोरंजन करना नहीं है। गरीब वे होते हैं, जिनके सपने नहीं होते, इसलिए जरूरी है कि हम कला से समाज का सृजन करें। पंकज ने कहा कि वे सपने देखते हैं तो उनको पूरा करने के लिए जुनून की हद तक जाकर मेहनत भी करते हैं।

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