पटना : बिहार राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम और कला संस्कृति विभाग, बिहार के संयुक्त तत्वावधान आयोजित आठ दिवसीय पटना फिल्म फेस्टिवल 2016 का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन के साथ रीजेंट सिनेमा में हुआ। सत्र के शुरूआत राष्ट्रगान और बिहार गीत से हुई। इस दौरान कला संस्कृति मंत्री शिवचंद्र राम, राजस्व विभाग के त्रिपुरारी शरण, विकास आयुक्त शिशिर सिन्हा, सूचना एवं प्रसारण विभाग, भारत सरकार की डिप्टी डायरेक्टर तनु राय, बिहार राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम के एमडी गंगा कुमार, पूर्व आईएएस और फिल्म फेस्टिवल के सलेक्शन कमेटी के अध्यक्ष आर एन दास, मशहूर निर्देशक इम्तियाज अली, अभिनेता कुणाल सिंह, अभिनेता क्रांति प्रकाश झा, अविनाश दास ने दीप प्रज्जवलित किया।
इससे पहले उद्घाटन सत्र के शुरूआत में बिहार राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम के एमडी गंगा कुमार ने स्वागत भाषण के जरिए तमाम अतिथियों का आभार जताया। रीजेंट सिनेमा के डायरेक्टर सुमन सिन्हा ने सभी अतिथियों को बुके देकर अभिभावदन किया। उद्घाटन सत्र के अंतिम पड़ाव में बिहार राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम गंगा कुमार ने सभी अतिथियों को शॉल और मोमेंटे देकर सम्मानित किया। वहीं, ध्यानवाद ज्ञापन फिल्म फेस्टिवल के सलेक्शन कमेटी के अध्यक्ष आर एन दास ने किया । पटना फिल्म फेस्टिवल 2016 के डिस्कशन सत्र में इम्तियाज अली के साथ क्रांति प्रकाश झा और हिरेन पांडेय ने बातचीत की।
उद्धाटन कार्यक्रम में बिहार राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम की विशेष कार्य पदाधिकारी शांति व्रत, गुटरूगूं फेम अभिनेता के के गोस्वामी, अभिनेता विनीत कुमार, अभिनेता क्रांति प्रकाश झा, फिल्म समीक्षक विनोद अनुपम, पटना फिल्म फेस्टिवल के संयोजक कुमार रविकांत, मीडिया प्रभारी रंजन सिन्हा मौजूद रहे।
उद्घाटन सत्र में क्या कहा वक्ताओं ने –
कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के मंत्री शिवचंद्र राम – फिल्में हमारी समाज, सोच, सभ्यता और संस्कृति को दर्शाता है। इसलिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार ने सात निश्चय के साथ – साथ राज्य में फिल्मों के विकास को महत्व दिया है। इसी का तकाजा है कि राजगीर में फिल्म सिटी के लिए 20 एकड़ जमीन ले लिया गया है। बिहार की मिट्टी हमेशा से सोना उगलती आई, मगर कुछ लोगों ने राजनीतिक कारणों से बिहार की छवि को पर सवाल उठाए। बिहार में फिल्मों के विकास के लिए जल्दी ही भारत की सबसे उन्नत फिल्म नीति सामने आएगी, जिसके तहत हम बाहर से आने वाले फिल्म मेकरों को सम्मान और सुरक्षा उपलब्ध कराएंगे। हमने केंद्र सरकार से भी बिहार में सेंसर बोर्ड केे दफ्तर के लिए चिट्ठी लिखी है। राज्य सरकार में फिल्म कल्चर लाने के लिए बस अड्डों पर भी एक थियेटर निर्माण की जरूरत है। ताकि एक दो घंट बसों का इंतजार करने वाले यात्रियों को ना सिर्फ मनोरंजन मिले, फिल्म की समझ रखने वाले लोगों केे समझ का भी विकास हो।
भारत सरकार की डिप्टी डायरेक्टर तनु राय – भारत सरकार ऐसे महोत्सव के आयोजन को प्रोत्साहित करती है। इसके लिए बिहार सरकार और बिहार राज्य वित्त निगम का प्रयास सराहनीय है। इस फिल्म फेस्टिवल में इंटरनेशनल पैनोरमा पर दिखाई जाने वाली उत्कृष्ट भारतीय सिनेमा के अलावा यूरोपियन यूनियन की भी फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा। यह युवा फिल्म मेकरों केे लिए काफी अच्छा होगा। साथ ही हम जल्द ही बिहार राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम के साथ मिल कर पैट्रियोटिक फिल्मों की सीरीज का शुरूआत करेंगे, जिसकी शुरूआत हमने इसी साल 15 अगस्त को दिल्ली में की है। इस
राजस्व विभाग के त्रिपुरारी शरण – पटना फिल्म फेस्टिवल जैसे आयोजन वृहद संस्कृति की विकास के लिए जरूरी है। इससे लोगों की समझ व्यक्तिगत आयामों से निकल कर नए विचारों का आदान – प्रदान की श्रृंंखला शुरू होती है। इससे हमारे समझ और चिंतन का दायरा विकसित होता है। वरना फिल्में तो लोगों सिनेमा हाॅल या घरों में देख ही लेते हैं, मगर वहां फिल्म के प्रति हमारी समझ खुद मेंं सिमट कर रह जाती है। हम उम्मीद करते हैं पटना फिल्म फेस्टिवल का जो यह सिलसिला फिर से शुरू हुआ है, वो अनवरत चलते रहे। तभी फिल्मों की संस्कृति यहां कायम रहेगी। हम इसके उज्जवल भविष्य की कामना भी करते हैं कि बिहार फिल्मों का हब बने।
विकास आयुक्त शिशिर सिन्हा – यह आयोजन सबों के लिए गर्व की बात है, क्योंकि जिस विभाग को कुुछ साल पहले तक मृत मान लिया गया था, वो आज बिहार राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम के एमडी गंगा कुमार के प्रयास से फिर से अपने लय में दिख रही हैै। हम चाहते हैं कि बिहार कम से कम क्षेत्रीय भाषी फिल्मों का हब तो जरूर बने। इसके लिए विभाग के तमाम लोग प्रयासरत भी हैंं। इसी दिशा में बिहार राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम राज्य की अपनी फिल्म नीति लेकर तैयार है, जो अभूतपर्व होगी।
निर्देशक इम्तियाज अली – आप जिस क्षेत्र से आते हैं, वहां अगर आपके क्षेत्र की गतिविधियों होती है और लोगों को समर्थन मिलता है, तब उसे देखकर काफी खुशी मिलती है। आज बदलते वक्त में पटना फिल्म फेस्टिवल जैसे उत्सव की बहुत अच्छी शुरूआत देख रहा हूं। बदलतेे दौर में अब फिल्म निर्माण के लिए अब वो हर चीज यहां भी उपलब्ध है जो पहले नहीं होती थी। वैसे भी बिहार में प्रतिभाओं का पर्वत है, बस विश्वास के साथ उसेे एक नये आयाम तक ले जाना होगा।