पगड़ी सर के ताज बहिनिया।
सारा घर के नाज बहिनिया।
आँखिन के हs लाज बहिनिया।
दुनिया अऊर समाज बहिनिया।
दादा-दादी के ह थाति ।
घरवा के हs दीया-बाती।
बाबूजी के राज दुलारी।
माई के अँखिया के पुतरी।
भइया के दुलार बहिनिया ।
भउजी के तकरार बहिनिया।
सावन के गुलजार बहिनिया।
घरवा के श्रृंगार बहिनिया।
दुनियादारी खूब सिखावे।
दादागिरी रोज दिखावे।
खाये खातिर दउरल धावे।
काम पड़े तs गाल बजावे।
सबसे बड़ मक्कार बहिनिया।
घरवा के सरकार बहिनिया।
सभका पर अधिकार बहिनिया।
सबसे जिम्मेदार बहिनिया।
धमा चउकड़ी खूब मचावे।
आँगन में चिरई जस गावे।
पढ़े लिखे के कुछ ना आवे।
तब्बो सभके ज्ञान बताबे।
उधम हs घनघोर बहिनिया।
अँगना के अँजोर बहिनिया।
उत्पाती घनघोर बहिनिया।
तनिका सा चटोर बहिनिया।
रूठ गईल तs माने नाहीं।
ज़िद्दी हs पर ठाने नाहीं।
चोर कहीं मक्कार कहीं हम।
फिर भी बुरा माने नहीं।
गुस्सा में अंगार बहिनिया।
दुर्गा के अवतार बहिनिया।
सेवा हs सत्कार बहिनिया ।
संस्कृति- संस्कार बहिनिया ।
बखरा खातिर कबो ना लड़े।
आपन हिस्सा हमके धरे।
अपना खातिर कुछु ना माँगे।
पूरा घर में खुशियाँ बांटे।
तनिका सा मुँहजोर बहिनिया।
थोड़ा सा मुँहचोर बहिनिया।
अब्बर हs, कमजोर बहिनिया।
सभका से बरजोर बहिनिया।
गउरईया जस फुदके घर में।
ख़ुशी पाईके कुदके घर में।
सजा- धजा के घर चमकावे।
सारा घर के स्वर्ग बनावे।
सबसे समझदार बहिनिया ।
घर आँगन दुवार बहिनिया ।
अँसुवन के बखार बहिनिया।
खुशियन के संसार बहिनिया।
दिन भर पटर-पटर बतियावे।
डाँट देला पर मुँह फुलावे।
मुँह फुला के लोर बहावे।
तनिका देर में ठहाका लगावे।
नखरा अरु नक्कार बहिनिया।
पढ़ल लिखल हूँसियार बहिनिया।
हमके कहे गँवार बहिनिया।
बुद्धू हs हमार बहिनिया।
बाबुल के घर छोड़ चलल जब।
घर से नाता तोड़ चलल जब।
ससुरा नाता जोड़ चलल जब।
घरवा छोड़ी गईल लछुमिनिया।
ससुरा के हs शान बहिनिया।
मायका के स्वाभिमान बहिनिया।
रक्षक हs रखवार बहिनिया।
ईश्वर के उपहार बहिनिया।
धर्मदेव चौहान, कुशीनगर
रउवा खातिर:
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