तन बा बिदेश मन गाँवे बा ए माई
रहि रहि याद आवे छठ के पुजाई ।।
उखिया शरीफा फल
दउरा लेके माथे चलल
रहि रहि याद आवे ठेकुआ बनाई ।।
तन बा बिदेश मन गाँवे बा ए माई
रहि रहि याद आवे छठ के पुजाई ।।
जोड़ा कलसूप नरियर
धोतिया पहिरी पियर
रहि रहि याद आवे घाट के लिपाई ।।
तन बा बिदेश मन गाँवे बा ए माई
रहि रहि याद आवे छठ के पुजाई ।।
बहंगी के लचकन
याद आवे बचपन
भिखिया में मिले फल ठेकुआ मिठाई
तन बा बिदेश मन गाँवे बा ए माई
रहि रहि याद आवे छठ के पुजाई ।।
बाबा भूंइपरी करस
बबुआ के भारा भरस
देख देख हुलसेले रसिक कन्हाई ।।
तन बा बिदेश मन गाँवे बा ए माई
रहि रहि याद आवे छठ के पुजाई ।।
~ कन्हैया प्रसाद रसिक ~
Chhath ke geet written by Kanhaya prasad rasik.