गणेश नाथ तिवारी “विनायक” जी के लिखल चाँद के अंजोरिया से भइले अंजोर

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चाँद के अंजोरिया से भइलअंजोर
कोयल कुके चिरई चिहके चहुओर
उठ भइल अब भोर
चाँद के अंजोरिया से भइलअंजोर

खटिया के छोड़ि सब उठले किसनवा
फुटली किरिनिया के भइले जनमवा
घाम भइल घनघोर,चुवे मइया के लोर
नाचे बनवा में मोर
चाँद के अंजोरिया से भइलअंजोर

मंदिर के घंटी टूनुन टून बाजे
भक्ति के पायलिया पाव में साजे
हाथ लिही अब जोरि, होखे मन में अंजोर
रस चुवे पोरे पोरे
चाँद के अंजोरिया से भइलअंजोर

रहेला गणेशवा फुस की मड़इया में
साथ देला खुबे सांच के लड़इया में
उठे मन में हिलोर , करे सब लोग शोर
खिले चंदा चकोर
चाँद के अंजोरिया से भइलअंजोर

रउवा खातिर:
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