देवेन्द्र कुमार राय जी के लिखल भोजपुरी कविता बेटा ह कि मेटा
चालीस बरीस प अईसन भईल
जमले बेटा बुढ़ऊ के अंगनाई,
थरीया ढोल मजीरा बाजल
बाजल सोहर में खुब शहनाई ।
...
हरेश्वर राय जी के लिखल भोजपुरी कविता कमाइ दिहलस पपुआ
पढ़ि लिखि के का कइल
भईया पढ़वईया,
कमाइ दिहलस पपुआ
खाँचा भर रुपईया।
मंत्री बिधायकजी के
खास भइल बड़ुए,
गऊआँ के लफुअन के
बॉस भइल बड़ुए,
आ मुखियाजी के काँख के
भइल...
डॉ. हरेश्वर राय जी के लिखल भोजपुरी कविता हमार जान ह भोजपुरी
हमार सान ह
हमार पहचान ह भोजपुरी,
हमार मतारी ह
हमार जान ह भोजपुरी|
इहे ह खेत, इहे खरिहान ह
इहे ह सोखा, इहे सिवान ह,
हमार सुरुज ह
हमार चान...
डॉ. हरेश्वर राय जी के लिखल भोजपुरी कविता आवले बोलता नयका बिहान
हर के कलम से
धरती के कागज प
पसीना के सियाही से
जीवन उकेरे ला किसान
बाकिर ओकरे घटल रहता
चाउर पिसान।
ओकरे पसीना
अतना सस्ता काहे बा
ओकरे हालत
अतना खस्ता काहे...
जगदीश खेतान जी के लिखल भोजपुरी कविता कबले होब फेल
बबुआ तू कबले होब फेल?
का कहीं बहुत तोहका झेललीं,
अब हम ना पाईब तोहें झेल।
कइसे पढबऽ कबले पढब्ऽ।
का-का पढबऽ ई समझा दऽ
डागडर बनब कि...
जलज कुमार अनुपम जी के लिखल भोजपुरी कविता होरहा
बड़का मछरी छोटका के खाला
इ नियति के भइया बनल बिधान ह
जात पात के उलझन हरदम सुलझल
सबकेहु जानेला जग मे करम...
जगदीश खेतान जी के लिखल भोजपुरी कविता हमहूं लूटीं तेहू लूट
हमहूं लूटीं तेहू लूट।
दूनो पहिने मंहग सूट।
उपर वाले के भी खियाव।
अपने पीअ आ उनके पियाव।
अईसे जो कईले जईब त
रिश्ता हरदम रही अटूट।
हमहूं लूटीं तेहू...
कुमार विनय पांडेय जी के लिखल माई के करजा
नान्ह-नान्ह हाथ-गोड नान्हही देहिया,
दिन-दिन बढल जाला तोहरो उमीरिया।
घर भर करे तोहसे बहुत सनेहिया,
नजर ना लागो माई-बाबूजी के कीरिया।।
बाटे ना सहुर तहरा उठे-बैठे, बोले के,
तवनो...
जगदीश खेतान जी के लिखल मोबाइल महिमा
नया खेलवना आईल बा।
येकर नाम मोबाइल बा।
बजता खेते खरीहाने मे।
बाग बगईचा सीवाने मे।
बजता होटल मयखाने मे।
आफिस मे आ जेलखाने मे।
येकर अइसन नसा चढल बा
येही...
डॉ राधेश्याम केसरी जी के लिखल भोजपुरी कविता सावन-सिसक गइल बा
ढहल दलानी अब त सउँसे,
पुरवइया क झांटा मारे,
सनसनात ठंढा झोका से,
देहिया काँप गइल बा।
मेजुका-रेवां गली- गली में,
झेंगुर छोड़े मिठकी तान,
रोब गांठ के अँगनैया में,
डेरा...
प्रिंस रितुराज दुबे जी के लिखल भोजपुरी कविता मोदी आईनी काशी
मोदी आईनी काशी
हई उहा कS भारत बासी
भारत के मिलता पहचान अब
कशी बनता भारत के शान अब
कशी करे निहोरा अब
भोजपुरी के सम्मान करS पूरा
देश बिदेश...
संतोष पटेल जी के लिखल भोजपुरी कविता किसान के पिसान
आजू भारत के राजनीति में
एक्के गो चरित्र रह गइल बा
किसान
किसान हो के / उ / हो गइल बा
एगो सीढ़ी सत्ता...
प्रिंस रितुराज दुबे जी के लिखल भोजपुरी कविता नायका बरिस
नायका बरिस लेके आईल बहार हो
नाया नाया होई हजार धमाल हो |
मन के भीतरिया ख़ुशी के उमंग
आकाश में चमके सतरंगी पतंग |
दईब करस कुछु...
प्रिंस रितुराज दुबे जी के लिखल भोजपुरी कविता भारत से इंडिया ले
जवन भारत सभ्यता आ संस्कृति कऽ केंद्र होत रहे
आज उऽ फूहर इंडिया हो गईल बा |
जेकरा के मर्यादा आ सुनरता के जननी बुझल जात...
एगो जिनगानी
कबो सुख त कबो, परेशानी से गुजरल
कबो आग त कबो, पानी से गुजरल
कबो लड़िर्काइं त कबो,जवानी से गुजरल
एगो जिनगानी, केतना कहानी से गुजरल।
कबो काम...
सुजीत सिंह जी के लिखल तीन गो भोजपुरी कविता
बाह रे जमाना...
बाह रे जमाना इ त,
हद हो गइल।
मेहरारू के आगे माई,
रदद् हो गइल।।
छोह मउगी से प्यार,
माई पावे दुत्कार।
माई बाटे मोहताज,
मेहर मुरीया के ताज।
ममतामयी...
भोजपुरी कविता ससुरारी के दाना खइले
ससुरारी के दाना खइले
एक जमाना बीत गयल
जब से साली गईल बियह के
आना-जाना छुट गयल।
मनवा होखे देख के चोहर
साली जब भईल लड़कोहर
बईठ टवेरा घुमब केह...
कवने ओरियाँ
पीरितिया के कइसे जोगाईं जोगी जी ।
कवने ओरियाँ मुहवाँ छिपाईं जोगी जी ॥
बयरी बनल बाटें पुलिस दरोगवा
अचके मे बढ़ल जाता प्रेम रोगवा
घरी घरी देवता...
डॉ राधेश्याम केसरी जी के लिखल भोजपुरी कविता प्रदूषण क मार
पेड़ कटाईल धुंआधार, धुँआ-धक्कड़ भइल अन्हार,
जड़ में जहर घोलाइल जाता, सुतल मनई अब त जाग।
माधो क माटी से ममता, माटी क उपजाऊ छमता,
रसायन से...
डॉ राधेश्याम केसरी जी के लिखल भोजपुरी कविता आइल गरमी
सूरज खड़ा कपारे आइल, गर्मी में मनवा अकुलाइल।
दुपहरिया में छाता तनले, बबूर खड़े सीवान।
टहनी, टहनी बया चिरईया, डल्ले रहे मचान।
उ बबूर के तरवां मनई,...