बहुत हो गइल अब तS पड़ोसी
सुधर जा सुधर जा सुधर जा हो….
तंग कर ना जन हमके बेसी
सुधर जा सुधर जा सुधर जा हो….
कर बतिया के आव समाधान हो
ना त सीमा पर जाई केतना जान हो
ना तS हम समझाइब अब देसी
सुधर जा सुधर जा सुधर जा हो….
होई सीमा पर अब ना कबनो लाफरा
आपन माटी के होए ना देहब बाखरा
आव लाइन पर अब तू परोसी
सुधर जा सुधर जा सुधर जा हो….
कर खेल तू बंद आतंकवाद के
खत्म कर तू सब अब बिबाद के
ना तS मारब पकर के खूब केसी
सुधर जा सुधर जा सुधर जा हो….
ना जे मनब मनाइब लाबदा से
पी.ओ.के.अब छोड़ाइब काब्जा से
लाल बिहारी बहुते संतोषी
सुधर जा सुधर जा सुधर जा हो….
लेखक: लाल बिहारी लाल
सचिव: लाल कला मंच,नई दिल्ली
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