पढ़ि लिखि के का कइल
भईया पढ़वईया,
कमाइ दिहलस पपुआ
खाँचा भर रुपईया।
मंत्री बिधायकजी के
खास भइल बड़ुए,
गऊआँ के लफुअन के
बॉस भइल बड़ुए,
आ मुखियाजी के काँख के
भइल बा अँठईया।
मुंशी पटवारीजी के
करेला दलाली,
मुँहवा में पान लेके
करेला जुगाली,
आ भोरहिं से लाग जाला
फाँसे में चिरईयाँ।
हिंदी-अंगरेजी
भोजपुरी बोलि लेला,
बनब त बन हरेसर
ओकर पकवा चेला,
पढ़ल लिखल छोड़छाड़ के
बन जा पप्पू भईया।