दुखवा कलेसवा में हिमत ना हारीला,
सुखवा में कबो ना धाधाईं भोजपुरीया।
सभके हो सुख चैन इहे हम मनाईला,
दोसरा के दुख के संघाती भोजपुरीया।
महला दुमहला के लालासा ना हमरा हो,
देशवा के सभकुछ माने भोजपुरीया।
आकाशवा के मानीले देह के चदरिया हो,
भुईंया के माई के आ़चर भोजपुरीया।
सगरो बिदेशवा में हमही भेंटाईला,
हमही पुरूब के अंजोर भोजपुरीया।
हमरा के देखि के कांपेला फिरंगीया हो,
फेरू इंहा मिले ना सम्मान भोजपुरीया।
सतर बरीसवा से केहु ना पूछेला,
कवना जुलुम के सजाइ भोजपुरीया।
कुँअर बशीठ के हमहीं मतरीया हो,
फेरु काहे लोग दुरदुरावे भोजपुरीया।
जबले भोजपुरीया के देशवा ना पूजी हो,
तबले ना भारत महान भोजपुरीया।
देवेन्द्र कुमार राय ( ग्राम+पो०: जमुआँव, पीरो, भोजपुर, बिहार )
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