खटमिठवा के लेखक की ओर से
प्रस्तुत रचना संग्रह भोजपुरी भाषा में आप सुनी पाठक लोग का सामने बना। भोजपुरी अब खाली एएगो बोली नइखे रहिगइल। डॉ ग्रियर्सन के सराहल ई अब विश्वविधालय के विषय, शोध आ साहित्य के चमकत रूप लेले बा। विदेशनों में एकर मान्यता आ पूरा प्रचलन बा। चाहे राष्ट्रभाषा, चाहे देश भाषा के रूप में।
ई फुटकर काव्य संग्रह में कुछ कविता व्यक्तिनिष्ठ (एगो क्षण चाहे घटना पर स्वतः स्फुरण से निकलल) बाड़ी स, कुछ रचना दूसरा के कष्ट, चाहे समाज के कष्ट आ दशा देखि के उपजल बाड़ी स, कुछ रचना लोगन के अनुरोध पर लिखल बाड़ी स, कुछ अपना मन के भाव बाड़ी स, कुछ प्रचलित आ कुछ अप्रचलित, नया चाहे पुरान, लोक गीतन आ सीने गीतन, कुछ शास्त्रीय आ कुछ परम्परागत रागन प।
ए रचना संग्रह के एक्को फूल आप पाठक गण के भा गइल त हम अपन श्रम के सार्थक समझब।
शुभेच्छा
कविवर श्री मणिन्द्र नाथ लाल के भोजपुरी काव्य संग्रह “खटमिठवा” की पाण्डुलिपि को देखा है । आपने बहुरंगी लोक जीवन के टटके चित्रों के
भीतर से अपने पाठकों को गुजार देने का सफल प्रयत्न किया है । रचनाएं पठनीय हैं और भोजपुरी के मीठे स्वाद ते परिपूर्ण हैं । आशा है भोजपुरी
साहित्य-संसार में और इस लोक भाषा के पाठकों के बीच इस पुस्तक को आदर मिलेगा।
महान साहित्यकार डॉ. विवेकी राय जी
शुभाशंसा
‘खटमिठवा’ नामक पुस्तक संग्रह के प्रकाशन पर मैं भाई मणिन्द्र नाथ लाल को बधाई देते हुए आशा करता हूँ कि आप निरन्तर साहित्य रचना करते हुए अपने काव्य संग्रहों से भोजपुरी भाषा और साहित्य का श्रृंगार करेंगे।
डॉ जितेंद्र नाथ पाठक
लेखक: श्री मणिन्द्र नाथ लाल
खटमिठवा: भोजपुरी काव्य संग्रह
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रउवा खातिर
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