कइसन कइसन चलल तमाशा
छनही तोला, छनही माशा ||
अगराइल लीहले उ तिरंगा
दिल करिया बारे मन न चंगा
बेटी के इज्जत का होला
बहिन भईल भाषा से नंगा |
अकुताइल सभ, बोली – भाषा
छनही तोला, छनही माशा ||
फूटल खपरा, चूवत मचान
थथमल बाटे गँवई किसान
कबों बाढ़ इहाँ कबहुं सूखा
सटल पेट बा, जुटल ईमान |
फाटल धोती, सियल न आशा
छनही तोला, छनही माशा ||
कबों जुड़ाइल कबों अघाइल
छोड़ल कबहुं कबों बन्हाइल
किसिम किसिम के चूंटा चूंटी
रेघरी पारत बा थउसाइल |
जात – धरम के फेंकत पासा
छनही तोला, छनही माशा ||
बुताइल मन, केकरा तारी
जिनगी अस जस झूर कियारी
झिहिर झिहिर कब बूंदा -बाँदी
तरसत तन, सकुताइल प्यारी |
बीतल जिनगी झेलत झांसा
छनही तोला, छनही माशा ||
जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
इंजीनियरिंग स्नातक ;
व्यवसाय: कम्पुटर सर्विस सेवा
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