बा चुनाव क डंका बाजल, अब नेता अकुलाई।
हाथ जोड़ के सबका दुआरा, दउर-दउर उ जाई।
हमरा के उ आपन संगी, सबके उ समझाई।
सबका हित क बात करी ऊ, वादा में अँझुराइ ।
चट्टी- चट्टी लगा के मजमा, आपन बात बताई।
लाइन लेंथ लगाई आपन, आपन जीत बताई।
पार्टी से ना टिकट मिली त, दूसरा दल में जाई।
ओइजा जाके, उ पाटी क, खामी खूबे गिनाई।
न जीती,न जीते देही,उहो टांग अड़ाई।
अंदर-अंदर,सांठ-गांठ के, ठिका पर हो जाई।
नौजवान के नोकरी बांटी, अपना के आदर्श बताई।
अपने करी प्रशंशा आपन, दूसरा के गरियाइ ।
किसिम किसिम क वादा बांटी, जीते खातिर जोर लगाई।
गांव नगर में घूम घूम के, जात-पात क करी दुहाई।
चुपके-चुपके बांटी साड़ी, आपन रोब देखाई।
सगरो आपन भासन झाड़ी, अपने गीत बजाई।
थाक हार के जन्हवा बैठी, आपन गोल जमाई।
आगे क उ करी योजना, दारू मुर्गा खाई।
नोट बात के केहू आपन, वोटन के सरियाई।
कुल्ही बात ताखा पर राखी, जब संसद में जाई।
कहीं करी उ बुथो कब्ज़ा, केहू के धमकाई।
ओट अगर उ जीत गइल त, अपना के चमकाई।
तोहरा के उ झांसा देई, नीक-नीक बतियाई।
सबका से बा इहे निहोरा, केहू न पतिआई।
राष्ट्र बचावे वाला नेता, तोहके रह देखाई।
उ नेता हक़दार बानी जे, देसवा मोर बचाई।
भ्रस्ट आचरन खत्म करी जे, इहवां पांव जमाई।
जेकर नेक नीयत अच्छा बा, उहे ओटवा पाई।
रचनाकार: डॉ राधेश्याम केसरी
मोबाइल नंबर: +91-9415864534
ईमेल: rskesari1@gmail.com
गावँ + डाक: देवरिया
जिला: गाजीपुर(उ.प्र.)
पिन: 232340
जय – जय हो। मजा आ गइल केसरी जी ….