डॉ. हरेश्वर राय जी के लिखल भोजपुरी कविता आइ हो दादा

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सपना देखनीं भोरहरिया
आइ हो दादा,
मुखिया हो गइल मोर मेहरिया
आइ हो दादा ।

हमरा दुअरा उमड़ रहल बा
सउँसे गाँव जवार,
लाग रहल बा देवीजी के
नारा बारम्बार,
डीजे बाजता दुअरिया
आइ हो दादा ।

ढोल नगाड़ा बाजे लागल
जुलुस निकलल भारी,
आगे आगे नवका मुखिया
पीछे से नर नारी,
बड़ुए मध दुपहरिया
आइ हो दादा।

चौकठ-चौकठ घूमे लगली
नवा नवा के सीस,
बड़ बुढ़न से माँगत गइली
अपना के आसीस,
गोड़ प ध ध के अंचरिया
आइ हो दादा।

उनकर पीए हो गइनी हम
दून भइल मोर सान,
आगा पाछा घुमत बानी
सुबह से लेके साम,

छोड़ के खेत आ बधरिया
आइ हो दादा।

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