परनाम ! स्वागत बा राउर जोगीरा डॉट कॉम प, आयीं पढ़ल जाव दिलीप पैनाली जी के लिखल भोजपुरी लघुकथा गजब भाग सोनी के (Bhojpuri laghukatha) , रउवा सब से निहोरा बा कि पढ़ला के बाद आपन राय जरूर दीं, अगर रउवा दिलीप पैनाली जी के लिखल भोजपुरी लघुकथा अच्छा लागल त शेयर आ लाइक जरूर करी।
“अगर प्रेम बुरा ना ह त परंपरो बुरा ना ह” ई बात चाय सुरूक सुरूक के अपना गांव का मोड़ का पलानी में बइठल भुअर जलेसर से कहलें।ओकरा बाद अपना आदत का अनुसार सुरू के देलें कवितई।
“एह राज्य के लइका, ओह राज्य के लइकी,
दिल मिल गउए जब, कइलें एके चउकी।
खटर पटर शुरू भइल, मन जब जो भरल,
तलाक के अरजी दे, गुपुते तिलक चढ़ल।
पता चलल जहिया तहिया, मचल कोहराम,
बनुक ले धउरलें बेटिहा, भगलें अगुआ राम।
कहल बाटे मश्किल, के बिआहल के कुंवार,
दहेज ला बेटहा बा बनत, सब जान हुंआर।”
कविता सुन जलेसर कहलें “ए भुअर भाई बात जवन कहे के बा साफ साफ कहऽ बुझलऽ कविता सविता द्वारा जनि बतावऽ।”
का कहीं जलेसर हमार आदते अइसन हो गइल बा। खैर छोड़ऽ धेयान से सुन एगो कथा कहऽ तानी। एकरा बाद भुअर कथा कहल सुरू कइलें।
समाज में इज्जत बढ़ावेला जगन्नाथ अपना ओह बेटा के जवन तीन साल पहिले कानूनन शादी क लेले रहे, बिआह तय कर देलें। तिलक छेंका ओतना धूमधाम से ना भइल जतना कि उ अपना बड़का बेटा के कइले रहस। सबकुछ योजना का अनुसार ठीके जात रहे। लेकिन एगो चुक सब जोजना पर पानी फेर दीहलस।
तिलक के फोटो सोशल साइट्स पर देख जींटी जवन की विवाह विच्छेद के अर्जी दीहले रहे चक्कर में पड़ गइल। ई कइसे हो सकऽता, बिना विच्छेद भइले दोसर शादी।
ई उहे जींटी रहली जिनका से आकाश तीन बरिस पहिले बिआहु कइले रहस उहो घर का चुपे।एह बात के पता जब उनका बाबू का चलल त उनकर बेटिहा के अइठें के सपना पानी बुलबुला जस भस गइल। जगन्नाथ अपना बेटा पर जींटी के छोड़े के दबाव बनावे लगलें। उनकर बहिनो दबाव देवे लगली सऽ।
जींटीं स्वतंत्र स्वभाव लइकी आकाश के कइल रोका टोकी धीरे-धीरे बाउर लागे लागल। तबो उ साथ छोड़ल ना चाहत रहली। आकाश का व्यवहार में परिवर्तन आ गइल रहे आ उ बात बात पर लड़ल शुरू क देले रहस। अंत में बिच्छेद के अर्जी बिना मर्जी़ दिया गइल।
आकाश बाबू बेचैनी में बिआह तय कर देलें। आ सोचलें जे कुछ दिन ई बिआह के गुपुते रखल जाई ताले ओने कोर्ट से बिच्छेद हो जाई। सब काम त अपना सोचला अनुसार होला ना, इनकर ममिला फँस गइल।
खबर पा जींटी तुरंत कोर्ट से आदेश निकलवइली आ लइका का जिला का एस पी का लगे बिआह रोकवावे ला भेजवा दीहली। आ अपनहूं फ्लाइट से परमानंदपुर(आकाश के गांव) ला चल दीहली। भोजपुरिया क्षेत्रण के पुलिस जानते बारऽ उ लोग समय के कतना पाबंद होला। बेचारी पटना से सड़क मार्ग द्वारा छपरा पहुंचल आ ओजा से बेटिहा (ई उनका पता रहे) का दुआर पर। तब तक रात के बारे बज चुकल रहे आ शादी रोकाय रोकाय ताले देर हो गइल माने सेनुर दान हो चुकल रहे।
सोनी, अभागीन के सारा सपना टुट गइल,आ उनकर उम्मीद न्यायालय पर टीक गइल —-बेचारी मायुस हो बिआहल आ कुंआर का बीच फंस गइल रहली दोष देस त देस के केकर। सोनी के भाई कट्टा निकाल अगुआ के आज ले खोजऽता लो।