बब्लु सिंह जी के लिखल भोजपुरी लघु कथा रीत ह जमाना के

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परनाम ! स्वागत बा राउर जोगीरा डॉट कॉम प , रउवा सब के सोझा बा बब्लु सिंह जी के लिखल भोजपुरी लघु कथा रीत ह जमाना के ( Bhojpuri Laghu katha Rit h jamana ke) , पढ़ीं आ आपन राय जरूर दीं कि रउवा बब्लु सिंह जी के लिखल भोजपुरी लघु कथा (Bhojpuri laghu katha ) कइसन लागल आ रउवा सब से निहोरा बा कि एह लघुकथा के शेयर जरूर करी।

करवट फेरत फेरत परेशान हो के, अपना ऊपर से राजाई हटा, सलोनी उठली आ आपन मोबाइल निकाल के आदतन मैसेज चेक कइली !

मैसेज त ढेर लो के आइल रहे लेकिन मन से केहू के रिप्लाई ना देहली ! आ देती भी केंगा, ज़ब दिमाग में हजारो सवाल अपने में लडाई करी त आउर कुछु मनवा के कइसे भायी !!

बाहर ठंढी बहुत रहे, लेकिन उनका जिनगी के उथल पुथल के गर्मी, ओह ले जादा रहे त एह दुनो के कुश्ती में जुकाम – बुखार आपन हाज़िरी लागा देहलस !!

सलोनी कॉलेज में टॉप कइला के बाद, आपना रंग बिरंगी सापाना के सँजोवत रहली, परब त्यौहार के महीना रहे त उनकर पापा कहलें कि अबकी के परब गाँव में मनी आ पूरा परिवार गाँव आ गइल !!

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इंसान के कहाँ पता रहेला कि अभी का हो रहल बा आ आगे का होई, ऊपर बइठल डायरेक्टर साहब (भगवान) जइसन चाहिले, एह जीनगी के रंगमंच पर, अऊसने सभ केहू आपन पात्र निभावेला !! अंतर एतने बा कि पर्दा के पीछे से ना, उन्हा के लोगवा के दिमाग में ओह तरीका के बात घुसा दिले जवन करावे के रहेला !!

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हँसी ख़ुशी से दिन बीतत रहे, रात हो गइल रहे, सलोनी आपना बाबा के खाना दे के लवटत रहली त उनका कान में जवन बात सुनाईल, उनके रुक के सुने पर मजबूर कर देहलस !

उ आवाज़ उनकर बाबा के रहे, सलोनी के पापा से उनकर बाबा कहत रहलन कि —
बबुआ बात भइल ह बबुनी के होखे आला ससुर से, उ कहत रहलें ह कि एह महिनवा बाद देखउकी हो जाव, आ हमरो इहे मन बा कि अगिला लगन में बिआह हो जाइ त ठीक रहीं ! अइसन रिश्ता नसीब से नु मिलेला !!

एतना सुनत कहीं कि सलोनी के जियारा धक्क से कर गइल, अइसे बुझाइल जइसे पूरा जीनगी रुक गइल,
इ का भइल ए दादा मन उनकर कुहुक उठल, मनवा में एगो सवाल उठल कि कम से कम एक बेर हमरा से त पूछे के चाही !!

बब्लु सिंह जी
बब्लु सिंह जी

लेकिन हमनी के संस्कारी समाज में कवनो बेटी के आँख के पानी एतनो ना उत्तरेला कि उ घरवाला लो से सामने कहें के कुछ सोंच भी सके, समझावे आ मनावे के हक महतारी के देहल गइल बा, जवन उनकर मम्मी आपन काम बखूबी निभवली !!

हमेशा चिड़िया नियन चहचहात सलोनी के जुबान खामोश हो गइल रहे, उनका कुछ समझ ही ना आवे कि करी त करी का, कहीं त कहीं का ! भरल मन से बिना खइले बिछौना में घुस गइलीं, आ हजारो विचार उनकर दिमाग में उछल खुद मचावे लागल !

केतना ख्वाब रहे उनकर जवन उनका लागत रहे कि सभ दूर जा रहल बा, आपना हौसला के उड़ान दे के, आपना मंजिल के हासिल कर के, आपना पापा के चेहरा पर मुस्कुराहट लिआवे के, एगो छोटहन ख्वाब, लगे आ के दूर जात महसूस होत रहे !

अइसन हजारो बात के साथे साथे, इहो मनवा में कसक रहे, कि सखी लो का सोंची कि दूर आसमान में उड़े वाली चिड़िया के पँख कुतर देहल गइल !

जमाना के इहे त दस्तूर बा, बेटी पराई ही होले, लाख बाबूजी प्यार करीहे, आपना सीना से लगा के राखे चहीहें, लेकिन घोड़ा बेच के ओह दिने सुतेलन, जहिया आपना चाँद के टुकड़ा के कन्यादान कर देलन !

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आ सलोनी त रंग बिरंगी तितली रहली, भले ओह रात उनकर सारा रंग गायब हो गइल रहे, लेकिन विधाता के केतना नीमन उपहार बेटी लो के मिलल बा कि उम्र के ओह दहलीज पर समझदारी आ जाला !

तकिआ में चेहरा छुपा के रजाई के अंदर फुट फुट के रोवत रहली, आ ओह आंसू में शिकायत ना रहे, ओह आंसूवन के धार में, इनकर आपन पहिलका छोट छोट सपना आ ख्वाब निकलत रहे, कि आवे वाला जीनगी के सपना सजावल जा सके आ पापा के पगड़ी, मम्मी के शान आ परिवार के आन पर कवनो आँच ना आवे !

रोवत रोवत कब आँख लाग गइल पते ना चलल, सुबह उठली त मन हल्का रहे, आ रहे त घर के हर कोन्हरी से प्यार………………………..!!

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