भोजपुरी लघु कथा “बयान”

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भोजपुरी लघु कथा "बयान"
भोजपुरी लघु कथा “बयान”
कहवां पोस्टिंग बा तोहार – जाँच अधिकारी ताराचचंद से तनी कडियल आवाज में पुछ्लें

चिल्ड्रेन वार्ड में – तारा चंद नेवरे होखत बोललें.

तोहरा के चिल्ड्रेन वार्ड के डॉक्टर लोग फलां तारीख के हे बजे कुछ आदेश देलें रहलें- जाँच अधिकारी फेर थइया थइया के पुछ्लें।

जी, डॉक्टर साहेब लोग वार्ड में के वाश बेसिन आ सिंक साफ़ करे के कहलें लो, ओह बेरा हम सारकाम निपटा के, लंच करत रहीं, ओही समय डॉ साहेब कहलें की अभिये इ सफाई होखे के चाहीं. बाकिर हम कहनी कि ठीक बा, लंच कर के हम साफ़ करि देम. ओही में से एगो एस आर (सीनियर रेजिडेंट) डॉ राजीव खिसया गइले आ हमरा खिलाफ अवमानना (इन-सबअर्डिनेशन) के केस बना के विजिलेंस ब्रांच के भेज देलें।

जांच अधिकारी के दाल में कुछ काला बुझात रहे, उ ताराचंद के डपट के कहलें कि – तू अबहियों सही बात छुपावत बाड़ा।

जांच अधिकारी के सखताई से चपरासी ताराचंद टूट गइले आ कहे लगलें – हुजुर, हम चपरासी के नोकरी करी लें संगही हमरा घरे क्लास -फोर के और छ लोग सरकारी नोकरी करेला. हमनी के तीन भाई के परिवार एक्के साथे बा. एगो हमरा लगे गाडी बा जेकरा पर सारा लोग बैठ के नोकरी करे अस्पताल में आवेनी सन . हमरा साफ सुथरा रहे के आदत बा. डॉ राजीव के एही बात के चिढ रहेला की हम गाडी से काहे आवे नी ? काहे हेतना साफ़ सुथरा रहेनी आ काहे हेतना नीमन चिक्कन खानी . बस एही बात के टीस से डॉ राजीव हरमेसा डॉ अंशु आ डॉ प्रमोद के चढ़ावत रहेलन. जब हम खाना खाये बइठेनी, ठीक ओही बेरा हमरा दोबारा सिंक साफ़ करे के आदेश मिलेला।

जांच अधिकारी कहले – काहे गोल गोल घुमावत बाड़ ताराचंद, अबहियों तू साफ़ बात बतावे से बचत बाड़ा, असली बात बताव द?

ताराचंद अब पूरा तरेह से टूट गईल रहलें, एकदम से कहे लगलें- सुनी हजुर असली बात, चिल्ड्रेन वार्ड के डॉक्टर साहेब चार- पांच जाने बा लो इहे डॉ राजीव, डॉ अंशु, डॉ प्रमोद, डॉ रितेष आ डॉ गीतिका – इ सभ जाने सीनियर रेजिडेंट ह लो. इ लोग के साजिश बा कि हमरा चिल्ड्रेन वार्ड से हमार कइसहूँ ट्रान्सफर हो जाए।

तारा चाँद आगे कहलें – एही वार्ड में जनमुआ बच्चा सन के मशीन में रखल जाला जवन जनम के समय कमजोर होखेलन. जादेतर कमजोर आ ढेर कमजोर बच्चा सन के ओह मशीन में राखल जाला. कबो कबो कुछेक बच्चा ना जी पावे लन सन. कबो कबो इमरजेंसी हो जाला. लाइफ सेविंग इंजेक्शन देवे के जरुरत पड़े ले. ओह बेरा डॉक्टर साहेब बच्चा के अटेन्देंट के लाइफ सेविंग इंजेक्शन बाज़ार से खरीद के ले आवे के कहे लन, अधिकतर इ इंजेक्शन हॉस्पिटल के बाहर खुलल दवाई के दोकान पर मिल जाला. पांच – छ हज़ार के इ इंजेक्शन वार्ड में आवे ला जरुर बाकीर बच्चा के पड़े ला ना, इ डॉक्टर लोग अपना भीरी रख लेवेलें. बच्चा टूट जाला, जादातर टूटले बच्चा के अटेनडेंट से लाइफ सेविंग इंजेक्शन मंगावल जाला.
सुई त पड़े ला ना, बाद में सुई दोकान पर तीन – चार हज़ार में बिका जाला, ओही पैसा के इ डॉक्टर लोग नाईट ड्यूटी में पार्टी करे लन , कबो पिज़्ज़ा, त कबो तंदूरी चापेला लो।

इ चीज हमरा ठीक ना लागत रहे, बरदास करत करत एक दिन हम डॉ साहेब लोगन के कहनी कि देखि ! सर, इ रउरा सभे ठीक नइखी करत, इ इंसानियत के खिलाफ हो रहल बा?

एही बात से भडकल डॉ राजीव कहलें- का ठीक नइखे होखत रे ? डॉ तू हइस की हम हई? जादे डॉक्टरी मत समझाव, जनले नु, चपरासी के जवन काम बा उहें ले रह, हमार आफिसर मत बन, ना त तोहर इहाँ से ट्रान्सफर जल्दिये हो जाई।

ओही दिन से सभ जाने मिल के हमरा के चिल्ड्रेन वार्ड से हटावे के साजिश करत बा लोग- कहल बा नू कि ना रही बांस, ना बाजी बसुरी।

फैक्ट-फाइंडिंग कमिटी के समाने एक तरफ डॉ लोग रहे, दोसर तरफ ताराचंद आ बीच में अस्पताल में डिप्टी मेडिकल सुपरिंटेन्देंट जांच अधिकारी के रूप में सब तफतीस करत ताराचंद के बयान दर्ज करत रहलें, एने ताराचंद के बयान पर डॉ लोगन के मुंह खुलल जात रहे, मुहं पर ठंडा के दिन में पसेना चलत रहे आ अइसन बुझात रहे की सच्चाई सुन सुन के सरम से उ लोग जमीन के धंसत जात बा लो।

भोजपुरी लघु कथा “बयान” ( कथाकार : संतोष पटेल)

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